मेरा बचपन बर्बाद करने का डेढ़ करोड़ मुआवजा दे मां, बचपन में क्यों छोड़ गई थी फुटपाथ पर

Published : Jan 12, 2020, 04:16 PM ISTUpdated : Jan 12, 2020, 04:29 PM IST
मेरा बचपन बर्बाद करने का डेढ़ करोड़ मुआवजा दे मां, बचपन में क्यों छोड़ गई थी फुटपाथ पर

सार

महिला ने बच्चे को एक ट्रेन में छोड़ दिया और वहां से चली गई। साथ ही इसमें कहा गया कि रेलवे के एक अधिकारी ने बच्चे को एक बाल गृह में भेज दिया।

मुंबई. देश में कई ऐसे मामले सामने आते हैं जब माएं अपने बच्चों को बेसहारा फुटपाथ पर या कचरे के ढेर में छोड़ जाती हैं। ऐसे ही एक मां ने 38 साल पहले अपने बच्चे को बेसहारा छोड़ दिया। पर अब वही बेटा मां से बचपन बर्बाद करने की रकम मांग रहा है। 

बंबई उच्च न्यायालय में 40 वर्षीय एक व्यक्ति ने याचिका दायर कर दो साल की उम्र में उसे मुंबई में अकेला छोड़ देने तथा बाद में बेटे के तौर पर अपनाने से इंकार करने के लिए अपनी जैविक मां से डेढ़ करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा है।

कष्ट में गुजरी सारी जिंदगी- 

पेशे से मेकअप आर्टिस्ट, याचिकाकर्ता श्रीकांत सबनिस ने कहा कि जानबूझ कर अनजाने शहर में छोड़ दिए जाने के चलते उसका जीवन पूरी तरह कष्ट एवं मानसिक प्रताड़ना में बीता जिसके लिए उसकी मां आरती महासकर और उसके दूसरे पति (सबनिस के सौतेले पिता) को हर्जाना देना होगा ।

फिल्मों में जाने के लिए मां ने बेटे को छोड़ दिया- 

याचिका के मुताबिक आरती महासकर की पहली शादी दीपक सबनिस से हुई थी और फरवरी 1979 श्रीकांत का जन्म हुआ था जब दोनों पुणे में रहते थे। इसमें कहा गया कि महिला बेहद महत्वाकांक्षी थी और फिल्म उद्योग में काम करने के लिए मुंबई आना चाहती थी। सितंबर 1981 में उसने बच्चे को साथ लिया और मुंबई के लिए रवाना हो गई।

ट्रेन में बच्चे को छोड़ गायब हो गई- 

याचिका में आरोप लगाया गया कि मुंबई पहुंचने के बाद, महिला ने बच्चे को एक ट्रेन में छोड़ दिया और वहां से चली गई। साथ ही इसमें कहा गया कि रेलवे के एक अधिकारी ने बच्चे को एक बाल गृह में भेज दिया।

13 जनवरी को होगी मामले पर सुनवाई

याचिका में उच्च न्यायालय से श्रीकांत सबनिस की मां को निर्देश देने का अनुरोध किया गया कि वह स्वीकार करे कि सबनिस उसका बेटा है और उसने दो साल की उम्र में उसे अकेला छोड़ दिया था। इस याचिका पर न्यायमूर्ति ए के मेनन 13 जनवरी को सुनवाई करेंगे।

(फाइल फोटो)

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