मुंबई उपचुनाव में शिवसेना ठाकरे गुट को राहत, बॉम्बे HC का BMC को आदेश-रुतुजा लटके का इस्तीफा तत्काल करें मंजूर

कोर्ट ने नगर निकाय प्रमुख इकबाल चहल को फटकार लगाते हुए सवाल किया कि नगर आयुक्त अपने विवेक का उपयोग क्यों नहीं कर रहे हैं और निर्णय ले रहे हैं। आयुक्त जस्टिस नितिन जामदार और शर्मिला देशमुख की बेंच ने कहा कि अगर कोई कर्मचारी इस्तीफा देना चाहता है और चुनाव लड़ना चाहता है, तो क्या मुश्किल है?

Dheerendra Gopal | Published : Oct 13, 2022 2:26 PM IST

Mumbai byelections: शिवसेना ठाकरे गुट के कैंडिडेट को मुंबई उपचुनाव में बड़ी राहत मिली है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने ठाकरे गुट की कैंडिडेट रुतुजा लटके को इस्तीफा देकर चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने बीएमसी से श्रीमती लटके का इस्तीफा स्वीकार करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट से शिवसेना ठाकरे गुट को काफी राहत मिली है क्योंकि नामांकन का केवल एक दिन ही बचा है और इस्तीफा स्वीकार नहीं होने पर निवर्तमान विधायक की पत्नी चुनाव से वंचित रह जाती। ठाकरे गुट ने एकनाथ शिंदे गुट पर अपने कैंडिडेट को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए साजिश करने का आरोप लगाया था। 

बीएमसी इस्तीफा पर फैसला को लटका रहा था

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दरअसल, अंधेरी पूर्व के शिवसेना विधायक रमेश लटका का इसी साल निधन हो गया था। रमेश लटके के निधन के बाद खाली हुई विधानसभा सीट पर उप चुनाव हो रहे हैं। शुक्रवार को नामांकन की आखिरी तारीख है। शिवसेना ठाकरे गुट ने स्वर्गीय रमेश लटके की पत्नी रुतुजा लटके को प्रत्याशी बनाया है। लेकिन उनकी प्रत्याशिता को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई थी। दरअसल, रुतुजा लटके, मुंबई महानगर पालिका में कर्मचारी हैं। किन्हीं वजहों से उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जा रहा था। आयुक्त ने साफ किया था कि फैसला लेने के लिए उनके पास एक महीना का नियमानुसार समय है। जबकि रुतुजा लटका का इस्तीफा स्वीकार नहीं होता तो वह नामांकन नहीं कर पाती। ऐसे में उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट का सहारा लिया। 

हाईकोर्ट ने दी रुतुजा लटके को राहत

नामांकन में महज एक दिन बचे होने की वजह से रुतुजा लटके ने बीएमसी के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। श्रीमती लटके की याचिका पर गुरुवार को हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए नगर निकाय को कल सुबह 11 बजे तक अपना स्वीकृति पत्र देने का आदेश दिया। 

बीएमसी आयुक्त को फटकार

कोर्ट ने नगर निकाय प्रमुख इकबाल चहल को फटकार लगाते हुए सवाल किया कि नगर आयुक्त अपने विवेक का उपयोग क्यों नहीं कर रहे हैं और निर्णय ले रहे हैं। आयुक्त जस्टिस नितिन जामदार और शर्मिला देशमुख की बेंच ने कहा कि अगर कोई कर्मचारी इस्तीफा देना चाहता है और चुनाव लड़ना चाहता है, तो क्या मुश्किल है? याचिकाकर्ता एक क्लर्क है ... यह सिर्फ एक नियोक्ता-कर्मचारी विवाद है। यह ऐसा मामला भी नहीं है जिसे अदालत में आना चाहिए था। 

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