नवजात की जान बचाने डॉक्टर ने एम्बुलेंस की तरह दौड़ा दी बाइक, पीछे बच्चा संभाले बैठी थी नर्स

डॉक्टरों का भगवान यूं नहीं कहते। यह घटना इसी का एक उदाहरण पेश करती है। इस मासूम की सांसें उखड़ रही थीं। इस डॉक्टर के हॉस्पिटल में NICU की सुविधा नहीं थी। लिहाजा, उसने बगैर बिलंव किए बाइक से बच्चे को दूसरे हॉस्पिटल पहुंचाया।

Prabhanshu Ranjan | Published : Apr 11, 2020 11:29 AM IST / Updated: Apr 11 2020, 06:36 PM IST

मुंबई. डॉक्टरों को भगवान यूं नहीं कहते। यह घटना इसी का एक उदाहरण पेश करती है। इस मासूम की सांसें उखड़ रही थीं। जिस नर्सिंग होम में इस बच्चे का जन्म हुआ, उसमें नवजात गहन चिकित्सा इकाई( NICU) की सुविधा नहीं थी। लिहाजा, इस डॉक्टर ने बगैर बिलंव किए बाइक से बच्चे को दूसरे हॉस्पिटल पहुंचाया। दरअसल, लॉक डाउन के चलते बच्चे को दूसरे हॉस्पिटल तक पहुंचाने के लिए कोई वाहन नहीं मिल रहा था। अगर जरा-सी भी देरी हो जाती, तो बच्ची की जान को खतरा हो सकता था। यह मामला मुंबई से सटे अलीबाग का है।


मां पहले भी खो चुकी थी अपना एक बच्चा...
इस बच्चे का जन्म शुक्रवार को हुआ था। उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। लिहाजा डॉक्टर ने बाइक उठाई और पीछे नर्स को बच्चे के साथ बैठाया। इस तरह बच्चे को दूसरे हॉस्पिटल पहुंचाया। अलीबाग की रहने वालीं श्वेता पाटिल को शुक्रवार को लेबर पेन होने पर उनके पति केतन पाटिल नजदीक के नर्सिंग होम लेकर पहुंचे थे। श्वेता डायबिटीज की पेशेंट हैं। इस कारण वे अपना एक बच्चा खो चुकी थी। इस बार सावधानी की बहुत जरूरत थी।

 

डॉ. राजेंद्र चंदोरकर ने ऑपरेशन के जरिये श्वेता का प्रसव कराया। बच्चा 3.1 किलो ग्राम का हुआ था। उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। चेहरा नीला पड़ना शुरू हो रहा था। यह देखकर डॉक्टर ने बिना बिलंब किए उसे बाइक पर दूसरे हॉस्पिटल पहुंचाया। नर्सिंग होम में एम्बुलेंस नहीं थी। करीब 12 घंटे बाद बच्चे की हालत में सुधार होना शुरू हुआ। डॉ. चंदोरकर ने कहा कि यह उनके करियर की एक यादगार उपलब्धि है।

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