इंसान का कब ह्रदय परिवर्तन हो जाए, कोई नहीं जानता। अब इस शख्स से ही मिलिए। ये हैं पुणे के रहने वाले बिजनेसमैन 35 वर्षीय सुभाष बाबन गायकवाड़। ये मुंबई में एक सिक्योरिटी एजेंसी में पार्टनर हैं। उनकी एजेंसी में करीब 250 गार्ड काम करते हैं। पिछले दिनों जब बाबन कोरोना से ठीक होकर घर पहुंचे, तो उन्हें लोगों की सेवा करने का मन हुआ। उन्होंने एक अस्पताल का विज्ञापन देखा और वॉर्ड बॉय की नौकरी कर ली।
पुणे, महाराष्ट्र. कोरोना संक्रमण ने लोगों की जिंदगी ही नहीं बदली, उनकी सोच में भी बदलाव ला दिया है। अब इस शख्स से ही मिलिए। ये हैं पुणे के रहने वाले बिजनेसमैन 35 वर्षीय सुभाष बाबन गायकवाड़। ये मुंबई में एक सिक्योरिटी एजेंसी में पार्टनर हैं। उनकी एजेंसी में करीब 250 गार्ड काम करते हैं। पिछले दिनों जब बाबन कोरोना से ठीक होकर घर पहुंचे, तो उन्हें लोगों की सेवा करने का मन हुआ। उन्होंने एक अस्पताल का विज्ञापन देखा और वॉर्ड बॉय की नौकरी कर ली।
ऐसे बदला मन...
सुभाष बावन पहले हर महीने करीब 65000 रुपए कमा लेते थे। दूसरा किसी की नौकरी की कोई टेंशन नहीं थी। पिछले दिनों उन्हें कोरोना हुआ। जब वे ठीक होकर घर पहुंचे, तो कोरोना मरीजों की सेवा का भाव जागा। एक दिन उनकी नजर भोसरी हॉस्पिटल में वार्डबॉय की नौकरी के लिए अखबार में निकले विज्ञापन पर पड़ी। सुभाष से आवेदन किया। उनका सिलेक्शन भी हो गया। सुभाष कहते हैं कि भगवान ने उन्हें दूसरा जीवन दिया है, इसलिए वे दूसरों सेवा करना चाहते हैं।
वॉर्ड बॉय की नौकरी में सुभाष को 15000 रुपए महीने मिलते हैं। लेकिन वे खुश हैं। सुभाष की पत्नी सविता पीसीएमसी द्वारा संचालित पुणे के भोसारी अस्पताल में ही नर्स हैं। सुभाष कहते हैं कि उन्हें इस अस्पताल ने नया जीवन दिया है। उन्हें कम पैसों की नौकरी करने में आनंद मिल रहा है। क्योंकि वे लोगों की सेवा कर पा रहे हैं।