महाराष्ट्र के औरंगबाद से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां एक मेडिकल स्टूडेंट के पिता ने दावा किया है कि उसकी बेटी की मौत कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट से हुई है। इसके लिए उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए 1,000 करोड़ रुपए के मुआवजे की मांग की है।
औरंगाबाद (महाराष्ट्र). कोविड संक्रमण से बचाव के लिए वैक्सीन सबसे सबसे बड़ा हथियार है। जो कोरोना जैसे खतरनाक वायरस रोकने अहम है। अब जब कोरोना की तीसरी लहर फैली हुई है, उसमें टीकाकरण गंभीर बीमारी को रोकने में बड़ी भूमिका निभा रहा है। लेकिन महाराष्ट्र के औरंगबाद से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां एक मेडिकल स्टूडेंट के पिता ने दावा किया है कि उसकी बेटी की मौत कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट से हुई है। इसके लिए उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए 1,000 करोड़ रुपए के मुआवजे की मांग कर डाली है।
केंद्र-राज्य सरकार और सीरम इंस्टीट्यूट से मांगा मुआवजा
दरअसल, औरंगाबाद निवासी दिलीप लूनावत ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए महाराष्ट्र सरकार, केंद्र और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से 1000 करोड़ रुपए का मुआवजा मांगा है। उन्होंने कोर्ट के सामने दावा किया है कि उनकी एक मेडिकल छात्रा थी। लेकिन कोविशिल्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट के कारण उसकी जान चली गई।
हेल्थ वर्कर बेटी की वैक्सीन लगने के कुछ दिन बाद ही मौत
बता दें कि 33 वर्षीय स्नेहल लूनावत नागपुर के एक मेडिकल कॉलेज में सीनियर लेक्चरर थी। उसे पिछले साल 28 जनवरी 2021 को कोवीशील्ड की पहली डोज लगी थी। जिसके एक सप्ताह बाद ही 5 फरवरी में उसके पेट में दर्ज हुआ और उसे अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उसे माइग्रेन की शिकायत बताई। साथ ही डॉक्टरों ने उसके दिमाग में खून का थक्का होने की आशंका जताई। खून का थक्का हटाने के लिए उसकी सर्जरी की। इस दौरान वह 14 दिन तक वैंटिलेटर पर रही और फिर एक मार्च, 2021 को उसकी मौत हो गई।
पिता ने कहा-बेटी को वैक्सीन के लिए किया गया मजबूर
बेटी की मौत के बाद पिता ने वकील के माध्यम से पिछले हफ्ते याचिका दायर की है। जिसमें कहा गया है कि मेरी बेटी को न्याय दिलाने और कई और लोगों की जान बचाने के लिए दायर की जा रही है। याचिका के माध्यम से पिता ने कहा कि मेरी बेटी को विश्वास दिलाया गया कि कोविशील्ड वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है, और इससे शरीर को कोई खतरा या खतरा नहीं है। यानि उसे वैक्सीन लेने के लिए मजबूर किया गया, क्योंकि वह एक हेल्थ वर्कर थी। फिर 28 जनवरी, 2021 को पहला डोड लगा दिया गया। लेकिन कुछ ही सप्ताह बाद ही उसके साइड इफेक्ट से मेरी बेटी की मौत हो गई।
DCGI और AIIMS को भी बताया गलत
पिता ने हाई कोर्ट में दी याचिक में कहा कि वैक्सीन को लेकर ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) और ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (AIIMS) ने वैक्सीन की सुरक्षा पर गलत बयान दिए हैं। सीरम इंस्टीट्यूट पर झूठी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि वैक्सीन से जिंदगियां बचेंगी। लेकिन यहां तो उसने मेरी बेटी को मौत की नींद सुला दिया। इसिलए अब मैं चाहता हूं कि सीरम इंस्टीट्यूट से मुझे 1000 करोड़ रुपए का मुआवजे की राशि मिलनी चाहिए।