
मुंबई। महाराष्ट्र (Maharashtra) में एकनाथ शिंदे (Eknath Shidne) की अगुवाई में बनी राज्य सरकार के मंत्रिपरिषद (Maharashtra Cabinet) के गठन को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। सीएम एकनाथ शिंदे की सरकार में 45 मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है। हालांकि, नई सरकार में बीजेपी के कोटे से शपथ लेने वाले मंत्रियों की संख्या अधिक होगी। पार्टी सूत्रों की मानें तो महाराष्ट्र में बीजेपी व बागी शिवसेना के गठबंधन से अस्तित्व में आई नई सरकार में बीजेपी के कोटे से करीब दो दर्जन मंत्री बनाए जाएंगे जबकि शिवसेना को इसके आधा यानी एक दर्जन मंत्री पद मिलेगा। आधा दर्जन के आसपास निर्दलीय विधायकों मंत्री बनाया जा सकता है।
अभी केवल एक मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार के जाने के बाद एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में नई सरकार अस्तित्व में आई। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री के रूप में एकनाथ शिंदे को शपथ दिलाई जबकि बीजेपी कोटे से पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। अभी कोई मंत्री पद की शपथ नहीं लिया है।
कितने मंत्री किसके?
महाराष्ट्र की नई सरकार में 45 मंत्री होंगे। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री पद शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे को देने के बाद अब बीजेपी मंत्रिपरिषद में अधिक मंत्री पद चाहती है। पार्टी सूत्रों के अनुसार बीजेपी कोटे से 25 मंत्री शपथ लेंगे जबकि शिवसेना के बागियों के कोट से 13 मंत्री होंगे। सात मंत्री पद निर्दलीय विधायकों को मिलेगा जिन्होंने बगावत में साथ दिया था।
चुनाव में बीजेपी नए चेहरों पर दांव लगाना चाहती
महाराष्ट्र में ठाकरे परिवार को वर्चस्व कम करते हुए शिवसेना में बगावत कराने के वाली बीजेपी, अब महाराष्ट्र में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए चुनाव में नए चेहरों पर दांव लगाना चाहती है। बीजेपी अगले महाराष्ट्र चुनाव से पहले नए चेहरों को परखेगी।
शिंदे और बीजेपी के बीच सरकार का फार्मूला तय
सूत्रों का कहना है कि शिंदे सेना और भाजपा के बीच फार्मूले को अंतिम रूप दिया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक शिवसेना को हर तीन विधायकों के लिए एक मंत्रालय मिलेगा और बीजेपी को हर चार विधायकों के लिए एक पद मिलेगा।
श्री शिंदे सहित 16 विधायकों की संभावित अयोग्यता पर 11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे द्वारा विद्रोही खेमे से 16 विधायकों को भेजे गए अयोग्यता नोटिस की वैधता पर फैसला करेगी। दरअसल, बागी टीम का दावा है कि यह असली सेना है क्योंकि टीम ठाकरे अल्पसंख्यक है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, बीते दिनों 21 जून को शिवसेना के सीनियर लीडर एकनाथ शिंदे ने बगावत कर दी। वह कई दर्जन विधायकों के साथ पहले सूरत पहुंचे। सियासी पारा चढ़ने के बाद शिंदे अपने विधायकों के साथ असम पहुंचे। यहां वह एक फाइव स्टार होटल में 40 से अधिक विधायकों के साथ डेरा डाले हुए हैं। शिंदे के पास शिवसेना के 40 बागियों व दस अन्य का समर्थन होने का दावा किया जा रहा है। शिंदे ने 24 जून की रात में वडोदरा में अमित शाह व देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की है। बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने की संभावनाओं पर वह और बीजेपी के नेताओं ने बातचीत की है। हालांकि, चुपके से देर रात में हुई मुलाकात के बाद शिंदे, स्पेशल प्लेन से वापस गुवाहाटी पहुंच गए।
उधर, शिंदे को पहले तो शिवसेना के नेताओं ने मनाने की कोशिश की लेकिन अब फ्लोर टेस्ट और कानूनी दांवपेंच चला जाने लगा है। दरअसल, शिंदे की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे ने सारे बागियों को वापस आने और मिलकर फैसला करने का प्रस्ताव दिया। उद्धव ठाकरे की ओर से प्रवक्ता संजय राउत ने यह भी कहा कि अगर एनसीपी व कांग्रेस से बागी गुट चाहता है कि गठबंधन तोड़ा जाए तो विधायक आएं और उनके कहे अनुसार किया जाएगा। लेकिन सारे प्रस्तावों को दरकिनार कर जब बागी गुट बीजेपी के साथ सरकार बनाने का मंथन शुरू किया तो उद्धव गुट सख्त हो गया।
बुधवार को उद्धव गुट को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा। कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट रोकने से मना कर दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया। हालांकि, माना जा रहा था कि बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस सीएम पद की शपथ लेंगे। लेकिन गुरुवार को फडणवीस ने शीर्ष नेतृत्व के कहने पर एकनाथ शिंदे के सीएम पद की कुर्सी सौंपने का ऐलान कर दिया।
इसके पहले राज्यपाल ने मुख्यमंत्री पद से उद्धव ठाकरे का इस्तीफा मंजूर कर लिया। लिहाजा विधानसभा के विशेष सत्र को स्थगित कर दिया गया है। अब फ्लोर टेस्ट नहीं होगा। बता दें कि 11 बजे से विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होना था। इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा फ्लोर टेस्ट कराने को हरी झंडी मिलने के बाद उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। वे खुद गाड़ी चलाकर राजभवन पहुंचे और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) को अपना इस्तीफ सौंप दिया।
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