स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य लोगों के बीच संपर्क के जरिए होने वाले वायरस के प्रसार को कम करना है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने फिलहाल के लिए ब्रेथ एनालाइजर उपकरणों का इस्तेमाल रोकने का फैसला किया है।’’
नागपुर. कोरोना वायरस से संक्रमण को रोकने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की जांच के दौरान ‘ब्रेथ एनालाइजर’ उपकरणों के इस्तेमाल पर फिलहाल के लिये रोक लगा दी है।
इस फैसले से संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है
इस उपकरण से जांच के दौरान वाहन चालक की सांस के जरिये उसके रक्त में अल्कोहल की मात्रा का पता लगाया जाता है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य लोगों के बीच संपर्क के जरिए होने वाले वायरस के प्रसार को कम करना है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने फिलहाल के लिए ब्रेथ एनालाइजर उपकरणों का इस्तेमाल रोकने का फैसला किया है।’’
महाराष्ट्र में अब तक संक्रमण के कुल 40 मामले आए सामने
कोरोना वायरस संक्रमण के चलते मुम्बई के 64 वर्षीय एक व्यक्ति की मंगलवार को मौत हो गई, जो दुबई यात्रा पर गया था। महाराष्ट्र में कोविड-19 से मौत का यह पहला मामला है। राज्य में इस वायरस से संक्रमण के कुल 40 मामले सामने आये हैं। अधिकारी ने कहा कि पुलिस अधिकारियों की निष्पक्षता और वस्तुनिष्ठता को बरकरार रखने के लिए यह एक बहुत महत्वपूर्ण उपकरण है।
वाहनों की जांच जारी रहेगी
इस सिलसिले में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी), महाराष्ट्र राजमार्ग पुलिस विनय करगांवकर ने सोमवार को एक परिपत्र जारी किया। उन्होंने कहा कि राज्य में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए पुलिस कर्मियों को एहतियाती उपाय करने की जरूरत है। परिपत्र में कहा गया है, ‘‘इसलिए, सभी पुलिस इकाइयों में यातायात पुलिसकर्मियों को ‘ब्रेथ एनालाइजर’ जांच नहीं करनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि स्थिति सामान्य होने के बाद यह जांच फिर से शुरू की जाएगी।
पुलिस कर्मियों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए महाराष्ट्र राजमार्ग पुलिस ने शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की जांच पर फिलहाल रोक लगाने का फैसला लिया है क्योंकि यह जांच सांस से जुड़ी है। करगांवकर ने बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। इस बीच, गृह मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि शराब पीकर वाहन चलाने के मामलों की संख्या में कमी आई है लेकिन यह अब भी अधिक है। यह संख्या 2015 में 18,000 से घट कर 2018 में 11,700 हो गई।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
(प्रतीकात्मक फोटो)