महाराष्ट्र के इस गांव में 15 अगस्त से रोज सुबह राष्ट्रगान गाते हैं लोग, पहले नक्सल गतिविधियों के चलते था बदनाम

Published : Sep 18, 2022, 01:06 PM ISTUpdated : Sep 18, 2022, 01:11 PM IST
महाराष्ट्र के इस गांव में 15 अगस्त से रोज सुबह राष्ट्रगान गाते हैं लोग, पहले नक्सल गतिविधियों के चलते था बदनाम

सार

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिला के एक गांव में रोज सुबह राष्ट्रगान होता है। 15 अगस्त से यह सिलसिला चल रहा है। यह गांव नक्सल प्रभावित रहा है। राष्ट्रगान से विवादों की संख्या में कमी आई है और भाईचारे की भावना बढ़ी है।  

मुंबई। महाराष्ट्र का गढ़चिरौली जिला नक्सल गतिविधियों के चलते बदनाम रहा है। अब इस जिले में बदलाव नजर आने लगा है। जिले के माओवाद प्रभावित गांव मुलचेरा के लोग राष्ट्रगान गाकर अपने दिन की शुरुआत करते हैं। यह सिलसिला 15 अगस्त से चल रहा है। 

गढ़चिरौली के पुलिस अधीक्षक अंकित गोयल ने कहा, "यह एक अच्छी पहल है। ग्रामीणों को राष्ट्रगान गाकर हर रोज सामूहिक देशभक्ति की भावना का अनुभव होता है।" मुंबई से 900 किलोमीटर दूर स्थित मुलचेरा की आबादी करीब 2,500 है। गांव में आदिवासियों और पश्चिम बंगाल के लोगों की मिश्रित आबादी है।

सुबह 8:45 बजे होता है राष्ट्रगान
एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि तेलंगाना के नलगोंडा गांव और महाराष्ट्र के सांगली जिले के भीलवाड़ी गांव के बाद यह देश का तीसरा और महाराष्ट्र का दूसरा गांव है। जहां लोग हर रोज राष्ट्रगान गाते हैं। हर दिन सुबह 8:45 बजे गांव के लोग इकट्ठा होते हैं और राष्ट्रगान गाते हैं। राष्ट्रगान के समय वहां से गुजर रहे लोग अपनी गाड़ियों को रोक देते हैं और वे भी राष्ट्रगान में शामिल हो जाते हैं। पड़ोसी गांव विवेकानंदपुर ने भी यह प्रथा शुरू की है। यहां के लोग भी प्रतिदिन सुबह 8:45 बजे राष्ट्रगान गाते हैं।

बढ़ रही भाईचारे की भावना 
पुलिस अधिकारी प्रतिदिन दो लाउडस्पीकरों के साथ मूलचेरा और विवेकानंदपुर के चक्कर लगाते हैं और देशभक्ति के गीत बजाते हैं। यह संकेत देता है कि राष्ट्रगान शुरू होने वाला है। पुलिस अधिकारी ने कहा कि इससे लोगों में नई ऊर्जा आई है और देशभक्ति की भावना बढ़ी है। राष्ट्रगान मिलकर गाने से विवादों की संख्या में कमी आई है। लोगों में भाईचारे की भावना बढ़ी है।

1992 में हुई थी मुठभेड़
सहायक पुलिस निरीक्षक (एपीआई) अशोक भापकर ने कहा कि मुलचेरा के पड़ोसी गांव लोहारा में पुलिस और माओवादियों के बीच जिले की पहली मुठभेड़ हुई थी। 1992 में गांव में एक मुठभेड़ के दौरान संदिग्ध माओवादी कमांडर संतोष अन्ना और एक बच्चा मारे गए थे। संतोष बच्चे का इस्तेमाल मानव ढाल के रूप में कर रहा था। इसके बाद गांव को माओवादी प्रभावित करार दिया गया था।

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मुलचेरा की एक संदिग्ध माओवादी महिला ने हाल ही में अपने पुरुष सहयोगी के साथ पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। कुछ साल पहले मुलचेरा थाना क्षेत्र के कोकोबांडा की रहने वाली एक अन्य महिला और एक संदिग्ध माओवादी पुलिस मुठभेड़ में मारे गए थे। अशोक भापकर ने कहा कि राष्ट्रगान जैसी पहल से गांव के लोग माओवादी प्रभावित गांव के रूप में अपनी पहचान को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं।

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