
मुंबई : अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) के मौके पर लखनऊ के चर्चित व्यंग्यकार और कवि पंकज प्रसून (Pankaj Prasoon) की बहुप्रतीक्षित किताब 'लड़कियां बड़ी लड़ाका होती हैं' (ladakiyaan badee ladaaka hotee hain) का लोकार्पण हुआ। मुंबई (Mumbai) की वाग्धारा संस्था की तरफ से आयोजित इस समारोह में बीजेपी सांसद हेमा मालिनी (Hema Malini) शामिल हुईं। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) बतौर मुख्य अतिथि और राज्य के पूर्व गृह राज्य मंत्री कृपा शंकर सिंह विशिष्ट अतिथि के तौर पर मौजूद रहें।
'नारी शक्ति स्वरूपा होती है'
इस मौके पर सांसद हेमा मालिनी ने कहा- 'नारी शक्ति स्वरूपा होती है। सृष्टि ने सृजन की शक्ति सिर्फ स्त्री की कोख को ही दी है। लड़कियों को सम्मान के साथ साथ अधिकार भी मिलने चाहिए। हमें बहुत खुशी है कि संसद में महिलाओं की तादात लगातार बढ़ रही है।' वहीं, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि पंकज प्रसून की किताब में एक चर्चित मुहावरे को टाइटिल बनाया गया है। लड़ाका का अर्थ यहां 'झगड़ालू' नहीं बल्कि 'फाइटर्स' है। वह परिवार और समाज को खूबसूरत बनाने के लिए संघर्ष करती है, लड़ाई लड़ती है। पूर्व गृह राज्य मंत्री कृपा शंकर सिंह ने कहा कि स्त्री प्रेम, दया और करुणा की प्रतिमूर्ति होने के साथ ही ज़रूरत पड़ते पर काली, लक्ष्मीबाई भी बन जाती है।
वाग्धारा में जुटीं हस्तियां
इस दौरान वाग्धारा के अध्यक्ष डॉ. वागीश सारस्वत ने पंकज प्रसून की कविताओं का पाठ करते हुए उन्हें सुनाया। "लड़की ने लड़ने की यह शक्ति यूं ही नहीं पाई है, वह नौ महीने पेट के अंदर लड़ के आई है"। इस अवसर पर वाग्धारा सम्मान से अलंकृत देश भर की प्रतिभाएं उपस्थित रहीं। भोजपुरी कलाकार अक्षरा सिंह (Akshra Singh), फिल्म कलाकार रघुबीर यादव, गीतकार अस्तित्व शेखर, कार्टूनिस्ट राजेन्द्र धोड़पकड सहित कई हस्तियां मौजूद रहीं।
अनुपम खेर ने लिखी है किताब की भूमिका
'लड़कियां बड़ी लड़ाका होती हैं' पंकज प्रसून की मशहूर कविता है। यह सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी। इस कविता को बॉलीवुड एक्टर अनुपम खेर (Anupam Kher) ने पिछले साल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर टाइम्स स्क्वायर, न्यूयार्क (Times Square, New York) से पढ़ा था। इसकी कई अन्य कविताएं जैसे मां का बुना स्वेटर, कैसे हो दोस्त भी अनुपम खेर ने रिकॉर्ड की हैं। दिल्ली के हिन्द युग्म से प्रकाशित होने वाले इस संग्रह में कुल 64 कविताएं शामिल हैं। जिसमें हास्य व्यंग्य और करुणा का समन्वय है। किताब की भूमिका भी अनुपम खेर ने लिखी है, जिसमें वह कहते हैं कि पंकज प्रसून की कविताएं मानवीय मूल्यों में आस्था जगाती हैं, अंदर से झहकझोरती हैं और हंसाते हुए आंसू निकाल लेने की कुव्वत रखती हैं।
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