महाराष्ट्र में रेप पर मिलेगी मौत की सजा, विधानसभा में शक्ति विधेयक पेश, झूठी शिकायत की तो जाएंगे जेल

इस विधेयक में रेप करने वालों को न्यूनतम 10 साल, नाबालिग के साथ रेप करने वालों को न्यूनतम 20 साल, गैंगरेप के अपराधियों को न्यूनतम 20 साल और अधिकतम सजा के रूप में उम्रकैद से लेकर मृत्युदंड तक का प्रावधान है। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 23, 2021 6:05 AM IST / Updated: Dec 23 2021, 11:49 AM IST

मुंबई : महाराष्ट्र (Maharashtra) में अब रेप की सजा मौत दी जाएगी। विधानसभा के शीतकालीन अधिवेशन के पहले दिन ही शक्ति विधेयक सदन में पेश किया गया। राज्य के गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटील (Dilip Walse Patil) ने विधानसभा में यह विधेयक पेश किया। इस विधेयक में महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों को रोकने के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। इसमें रेप करने वालों को न्यूनतम 10 साल, नाबालिग के साथ रेप करने वालों को न्यूनतम 20 साल, गैंगरेप के अपराधियों को न्यूनतम 20 साल और अधिकतम सजा के रूप में उम्रकैद से लेकर मृत्युदंड तक का प्रावधान है। इसके साथ ही कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए झूठी शिकायत करने वालों को भी एक साल से तीन साल तक की सजा और एक लाख तक के जुर्माने का प्रावधान है।

इतनी मिलेगी सजा
रेपिस्टों को कम से कम 10 साल
नाबालिग से रेप करने वालों को कम से कम 20 साल
गैंगरेप करने वालों को कम से कम 20 साल
अधिकतम सजा उम्रकैद से मृत्युदंड तक
झूठी शिकायत करने वालों को एक से तीन साल तक सजा, जुर्माना भी

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ऐसिड फेंकने पर भी कड़ी सजा
इसके साथ ही शक्ति विधेयक में महिलाओं पर ऐसिड हमले करने वालों का अपराध सिद्ध होने पर 10 साल की सजा को बढ़ाकर न्यूनतम 15 साल कर दिया गया है। अधिकतम सजा उम्रकैद की होगी। अपराधियों से वसूले जाने वाले जुर्माने से पीड़ित महिला की प्लास्टिक सर्जरी का खर्च भी देने का प्रावधान इस विधेयक में किया गया है।

मोबाइल कंपनियों को 3 दिन में देने होंगे दस्तावेज
शक्ति विधेयक में यह प्रावधान भी किया गया है कि महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले किसी भी यौन अपराध की जांच में अधिकारियों द्वारा संबंधित मोबाइल टेलिफोन या इंटरनेट डेटा प्रदान करने वाली कंपनी से मांगी गई तमाम जानकारियां 3 दिन के भीतर दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक्स सबूतों के रूप में उपलब्ध करानी होगी। उनके ऐसा न करने पर संबंधित अधिकारियों को 3 महीने की कैद और 25 लाख रुपए तक जुर्माने की सजा दी जा सकती है।

एक महीने में पूरी होगी जांच
इससे पहले इस विधेयक में अपराध दर्ज होने की तारीख से 15 दिन के भीतर जांच पूरी होने का प्रस्ताव था। इसमें कोई अड़चन आने पर सीनियर ऑफिसर के निर्देश पर इसे अधिकतम 7 दिन तक बढ़ाया जा सकता था। संयुक्त समिति ने जांच अधिकारियों से विचार-विमर्श के बाद यह पाया कि इतने कम समय में जांच करने से गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। इसीलिए इसे बढ़ाकर 30 दिन कर दिया गया है। इसके साथ ही वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर इसे 30 दिन के लिए और बढ़ाया जा सकता है।

पिछले साल भी पेश हुआ था विधेयक
बता दें कि पिछले साल भी यह विधेयक विधानसभा में तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) ने पेश किया था। लेकिन तब इस विधेयक के सख्त प्रावधानों को देखते हुए सदन में यह राय बनी थी कि इसे विचार मंथन के लिए दोनों सदनों की संयुक्त समिति के पास भेजा जाए। संयुक्त समिति में विधानमंडल के दोनों सदनों के 21 सदस्य थे, जिनमें 10 महिला विधायक भी थीं। अब संयुक्त समिति की रिपोर्ट में दिए गए सुझावों को शामिल करते हुए गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटील ने संशोधित शक्ति विधेयक पेश किया।

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