PM Modi को मिला पहला लता दीनानाथ मंगेशकर अवॉर्ड, कहा-कई दशक बाद ये पहली राखी आएगी, जब दीदी नहीं होंगी

Published : Apr 24, 2022, 06:41 PM ISTUpdated : Apr 24, 2022, 07:34 PM IST
PM Modi को मिला पहला लता दीनानाथ मंगेशकर अवॉर्ड, कहा-कई दशक बाद ये पहली राखी आएगी, जब दीदी नहीं होंगी

सार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज को आज मुंबई में लता दीनानाथ मंगेशकर अवार्ड आयोजन में शामिल हुए। इस कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी को पहले 'लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। 

मुंबई, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज रविवार को जम्मू-कश्मीर से सीधे मुंबई पहुंचे। जहां वह स्वर्गीय लता मंगेशकर के पिता मास्टर दीनानाथ मंगेशकर की 80वीं पुण्यतिथि कार्यक्रम में शामिल हुए। इस खास मौके पर पीएम मोदी को पहले 'लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। बता दें कि अवार्ड पीएम मोदी को राष्ट्र के लिए किये गए योगदान के लिए दिया गया।

पीएम ने इस पुरस्कार को देशवासियों के लिए समर्पित किया
पीएम मोदी ने कहा-पुरस्कार जब लता दीदी जैसी बड़ी बहन के नाम से हो, तो मेरे लिए उनके अपनत्व और प्यार का ही एक प्रतीक है।मैं इस पुरस्कार को सभी देशवासियों के लिए समर्पित करता हूं। जिस तरह लता दीदी जन-जन की थीं। उसी तरह से उनके नाम से मुझे दिया गया ये पुरस्कार जन-जन का है।

इस पुरस्कार को सभी देशवासियों के लिए समर्पित
संगीत से आप में वीररस भरता है। संगीत मातृत्व और ममता की अनुभूति करवा सकता है। संगीत आपको राष्ट्रभक्ति और कर्तव्यबोध के शिखर पर पहुंचा सकता है। हम सब सौभाग्यशाली हैं कि हमने संगीत की इस सामर्थ्य को, इस शक्ति को लता दीदी के रूप में साक्षात देखा है।

 ये पहला राखी का त्योहार आएगा, जब दीदी नहीं होंगी...
लता दीदी मेरी बड़ी बहन थीं। पीढ़ियों को प्रेम और भावना का उपहार देने वाली लता दीदी की तरफ से हमेशा एक बड़ी बहन जैसा अपार प्रेम मुझे मिला है। इससे बड़ा सौभाग्य और क्या हो सकता है। कई दशक बाद ये पहला राखी का त्योहार आएगा, जब दीदी नहीं होंगी।

लता जी को लोग मां सरस्वती का प्रतिरूप मानते थे
पीएम ने कहा-लता दीदी ने संगीत में वो स्थान हालिस किया कि लोग उन्हें मां सरस्वती का प्रतिरूप मानते थे। उनकी आवाज ने करीब 80 वर्षों तक संगीत जगत में अपनी छाप छोड़ी थी। लता दीदी ने आजादी से पहले से भारत को आवाज दी। इन 75 वर्षों की देश की यात्रा उनके सुरों से जुड़ी रही। इस पुरस्कार से लता जी के पिता जी दीनानाथ मंगेशकर जी का नाम भी जुड़ा है।

लता जी ने देश की 30 से ज्यादा भाषाओं में हजारों गीत गाए
वीर सावरकर ने ये गीत अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती देते हुये लिखा था। ये साहस, ये देशभक्ति, दीनानाथ जी ने अपने परिवार को विरासत में दी थी। लता जी ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की मधुर प्रस्तुति की तरह थीं। उन्होंने देश की 30 से ज्यादा भाषाओं में हजारों गीत गाये।
हिन्दी हो, मराठी, संस्कृत हो या दूसरी भारतीय भाषाएं, लताजी का स्वर वैसा ही हर भाषा में घुला हुआ है।
 

 

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