शिवसेना में इस नेता के बढ़ते कद से परेशान थे एकनाथ शिंदे, उद्धव और आदित्य ठाकरे से बढ़ने लगी थी दूरियां

एकनाथ शिंदे और देवेन्द्र फडणवीस के बीच अच्छी दोस्ती है। फडणवीस जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे उस दौरान एकनाथ शिंदे राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री थे। शिंदे के विभाग में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे का सीधा दखल था।

Pawan Tiwari | Published : Jun 22, 2022 4:43 AM IST / Updated: Jun 22 2022, 11:26 AM IST


मुंबई. महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सियासत पर सत्ता का खतरा मंडरा रहा है। शिवसेना में सीनियर लीडर एकनाथ शिंदे (eknath shinde) बागी हो गए हैं। उन्होंने दावा किया है कि उनके साथ 40 विधायकों का समर्थन है। हालांकि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (uddhav thackeray) सत्ता को बचाने के लिए लगातार बैठकें कर रहे हैं। लेकिन कहा जा रहा है कि एकनाथ शिंदे की नाराजगी अचानक सामने नहीं आई है। छोटी-छोटी घटनाओं के बाद शिंदे ने अपना बागी तेवर दिखाया है। इसके साथ ही महाराष्ट्र और शिवसेना में संजय राउत (Sanjay Raut) के बढ़ते कद के कारण भी एकनाथ शिंदे परेशान थे। 

संजय राउत का कद बढ़ा
2019 के विधानसभा चुनाव में जब शिवसेना, भाजपा से अलग हुई तभी से संजय राउत का कद लगातार बढ़ रहा था। संजय राउत ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। पार्टी में जब भी किसी प्रकार का संकट सामने आता है, ढाल बनकर संजय राउत सामने आ जाते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शिवसेना में एकनाथ शिंदे के बढ़ते कद से एकनाथ शिंदे परेशान रहने लगे थे। बीजेपी नेता पहले ही कह चुके हैं कि संजय राउत का बयान ही शिवसेना के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है।

आदित्य- उद्धव से भी दूरी
एकनाथ शिंदे के पास नगर विकास मंत्रालय है। कहा जा रह है कि उनके विभाग के काम में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे का सीधा दखल था। जिस कारण से वो कोई फैसला नहीं ले पा रहे थे। वहीं, दूसरी तरफ शिंदे कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाने के खिलाफ थे। जिस कारण से शिंदे और उद्धव के बीच भी दूरी बढ़ने लगी थी। 

देवेन्द्र फडणवीस से दोस्ती
एकनाथ शिंदे और देवेन्द्र फडणवीस के बीच अच्छी दोस्ती है। फडणवीस जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे उस दौरान एकनाथ शिंदे राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री थे। फडणवीस ने अफने ड्रीम प्रोजेक्ट मुंबई-नागपुर सृमद्धि महामार्ग की जिम्मेदारी भी एकनाथ शिंदे के पास थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, शिंदे की शर्त है कि उन्होंने शिवसेना के साथ बगावत नहीं है बल्कि बाला साहेब ठाकरे के हिन्दुत्व को आगे बढ़ा रहे हैं।

 

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