
Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र की उद्धव सरकार पर एक बार फिर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना के नेता और राज्य सरकार के मंत्री एकनाथ शिंदे पार्टी से बेहद नाराज हैं। यही वजह है कि पहले दिन 40 विधायकों के साथ सूरत के होटल में रुके एकनाथ शिंदे अब सभी नेताओं के साथ गुवाहाटी पहुंच गए हैं। वहीं बगावत करने वाले नाराज मंत्री एकनाथ शिंदे का कहना है कि वो सत्ता के लिए किसी भी कीमत पर हिंदुत्व से समझौता नहीं करेंगे। आखिर क्यों उद्धव सरकार से खफा हैं एकनाथ शिंदे? जानते हैं इसकी 10 बड़ी वजह।
1- उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे की दखलंदाजी :
एकनाथ शिंदे की नाराजगी की बड़ी वजह उद्धव ठाकरे के बेटे और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे को भी माना जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक आदित्य ठाकरे की वजह से शिवसेना में सीनियल लीडर्स की तुलना में यूथ ब्रिगेड को ज्यादा तरजीह दी जा रही है। इसके साथ ही शिंदे के विभाग में भी आदित्य ठाकरे और उनके साथियों की दखलअंदाजी उन्हें पसंद नहीं आई।
2- पुराने नेताओं के साथ हो रहे बर्ताव से खफा :
पिछले कुछ महीनों से एकनाथ शिंदे शिवसेना को चलाने के तौर-तरीकों और सीनियर लीडर के साथ हो रहे बर्ताव से नाराज चल रहे थे। पिछले दो सालों में शिवसेना को मजबूत करने वाले नेताओं को दरकिनार कर आदित्य ठाकरे की लीडरशिप में एक अलग ही विंग खड़ी हो चुकी है।
3- शिंदे के विभाग में बढ़ती आदित्य ठाकरे की पैठ :
सूत्रों के मुताबिक, शिंदे कई प्रमुख विभागों के प्रभारी हैं, लेकिन बावजूद इसके उन्हें खुलकर आजादी से काम करने नहीं दिया जा रहा था। उनके विभागों में आदित्य ठाकरे और उनके साथियों की बढ़ती पैठ से भी शिंदे बेहद नाराज हैं। शिंदे मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के चेयरमैन हैं। लेकिन बावजूद इसके उद्धव के बेटे और पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे प्राधिकरण की बैठकों में जबरन पहुंच जाते थे।
4- आदित्य ठाकरे का कद बढ़ाने की कोशिश :
इसके अलावा एकनाथ शिंदे की नाराजगी की एक वजह यह भी बताई जा रही है कि उद्धव सरकार में आदित्य ठाकरे का कद बढ़ने के लिए एकनाथ शिंदे को लगातार दरकिनार किया जा रहा था।
5- ज्यादा अहम विभाग एनसीपी के मंत्रियों को :
इसके अलावा शिंदे शिवसेना के सहयोगी संगठन एनसीपी से भी नाराज हैं। 2019 में जब एनसीपी और कांग्रेस के सहयोग से शिवसेना की अगुवाई में महा विकास अघाड़ी सरकार बनी तो ज्यादातर मलाईदार विभाग एनसीपी के मंत्रियों को मिल गए।
6- एनसीपी प्रमुख शरद पवार से इसलिए नाराज :
एनसीपी से एकनाथ शिंदे की नाराजगी की एक और बड़ी वजह है। दरअसल, जब महाविकास अघाड़ी सरकार बनी तब सीएम पद के लिए शिवसेना की ओर से एकनाथ शिंदे का नाम सबसे आगे था। लेकिन शरद पवार इसके लिए राजी नहीं थे। पवार चाहते थे कि ठाकरे परिवार से ही कोई सीएम बने। इसके बाद एकनाथ शिंदे सीएम बनते-बनते रह गए।
7- फंड मांगा तो निराशा मिली :
कहा तो ये भी जा रहा है कि जब-जब क्षेत्र में विकास के लिए शिवसेना के नेताओं ने सीएम उद्धव ठाकरे से फंड मांगा तो उन्हें वहां से निराशा हाथ लगी। ऐसे में शिंदे को लगा कि सरकार में उनकी और उनके विधायकों की उपेक्षा हो रही है।
8- शिंदे ने बना ली थी मातोश्री से दूरियां :
पार्टी में लगातार उपेक्षा का शिकार हो रहे एकनाथ शिंदे ने पिछले 2 साल से धीरे-धीरे मातोश्री आना-जाना भी कम कर दिया था। इतना ही नहीं, उद्धव के अलावा उनकी पूरे ठाकरे परिवार से भी दूरियां बढ़ती जा रही थीं।
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