सार
महाराष्ट्र की उद्धव सरकार सियासी संकट में फंसती नजर आ रही है। शिवसेना के ही वरिष्ठ नेता और मंत्री एकनाथ शिंदे ने 25 से ज्यादा विधायकों के साथ बगावती तेवर अपना लिए हैं। बता दें कि 2019 में हुए चुनाव के बाद भी महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर 33 दिनों तक सियासी उठापटक चलती रही थी।
Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार संकट में घिरती नजर आ रही है। शिवसेना के ही वरिष्ठ नेता और मंत्री एकनाथ शिंदे ने 25 से ज्यादा विधायकों के साथ बगावती तेवर अपना लिए हैं। वो सभी विधायकों के साथ सूरत के एक होटल में रुके हुए हैं। इसके साथ ही वो उद्धव ठाकरे का फोन भी नहीं उठा रहे हैं। इस राजनीतिक उठापटक के बाद महराष्ट्र सरकार पर सियासी संकट खड़ा हो गया है। बता दें कि 2019 के विधानसभा चुनाव में पहले शिवसेना और बीजेपी सरकार बनाने वाले थे, लेकिन बाद में सीएम पद को लेकर दोनों में टकराव हो गया था।
33 दिन चली राजनीतिक उठापटक :
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 का रिजल्ट 24 अक्टूबर को आया। इसके बाद हर दिन राज्य में सियासी गणित बदलता रहा। यहां तक कि साथ चुनाव लड़ने वाली शिवसेना और बीजेपी एक-दूसरे से दूर होती चली गईं। जानें आखिर महीने भर कैसे चलती रही सियासी उठापटक।
25 अक्टूबर : शिवसेना ने 50-50 फॉर्मूले की बात कही
रिजल्ट आने के एक दिन बाद शिवसेना ने बीजेपी को ढाई-ढाई (50-50 फॉर्मूला) साल के लिए मुख्यमंत्री पद का प्रस्ताव दिया।
26 अक्टूबर : बीजेपी बोली- सीएम पद से कोई समझौता नहीं
शिवसेना के इस प्रस्ताव के बाद बीजेपी ने साफ कर दिया कि सीएम पद 5 साल तक उनके पास ही रहेगा। इस पर कोई समझौता नहीं होगा।
28 अक्टूबर : दोनों दल राज्यपाल से अलग-अलग मिले
शिवसेना नेता दिवाकर राउत और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से अलग-अलग मुलाकात की।
29 अक्टूबर : शिवसेना को दिया डिप्टी सीएम का ऑफर
शिवसेना को मनाने के लिए बीजेपी ने डिप्टी सीएम यानी उपमुख्यमंत्री पद का ऑफर दिया। हलांकि, शिवसेना ने इस ऑफर को मानने से साफ मना कर दिया।
2 नवंबर : उद्धव ने शरद पवार के की बात
भाजपा से जारी अनबन के बीच शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से फोन पर बात की। शरद पवार ने कहा, जिनके पास संख्याबल है वो सरकार बनाएं। हम विपक्ष में बैठेंगे।
9 नवंबर : भाजपा को मिला सरकार बनाने का न्योता
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने महाराष्ट्र में सबसे बड़े दल के रूप में भाजपा को सरकार बनाने का न्योता दिया। इसके बाद महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि भाजपा सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करेगी।
11 नवंबर : शिवसेना को दिया सरकार बनाने का न्योता
तब राज्यपाल ने शिवसेना को सरकार बनाने का न्योता भेजा। शिवसेना ने भी दावा पेश नहीं किया। इसके बाद राज्यपाल ने एनसीपी को सरकार के गठन का न्योता भेजा।
12 नवंबर : महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा
किसी भी दल द्वारा सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किए जाने पर राज्यपाल ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की। इसे राष्ट्रपति ने मंजूर कर लिया।
14 नवंबर: शिवसेना ने बीजेपी पर लगाए आरोप
शिवसेना ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि उसने पहले से ही महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की तैयारी कर ली थी।
15 नवंबर : शिवसेना की एनसीपी-कांग्रेस के साथ बैठक
शिवसेना ने विरोधी दिल एनसीपी और कांग्रेस से गठबंधन सरकार बनाने का प्रस्ताव रखा। इसके लिए तय किया कि सीएम पद पांच साल तक शिवसेना के पास ही रहेगा।
23 नवंबर : फडणवीस ने सीएम पद और अजित पवार ने डिप्टी सीएम की शपथ ली
देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद और एनसीपी विधायक दल के नेता अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। ये बात पता चलते ही शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस में हड़कंप मच गया।
23 नवंबर : एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने बुलाई बैठक
इसके बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार एक्टिव हुए और कहा कि ये फैसला अजित पवार ने निजी तौर पर लिया है। शाम को जब शरद पवार के नेतृत्व में एनसीपी की मीटिंग हुई तो उसमें 50 विधायक मौजूद रहे। सिर्फ अजित पवार और 4 विधायक ही गैरहाजिर थे। इससे साफ हो गया कि पार्टी के विधायक अजित पवार के साथ नहीं थे।
24 नवंबर : अजित पवार को मनाने चले दांव-पेंच
इसके बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अजित पवार को मनाने के लिए कई दांव-पेंच लगाए। उन्होंने अजित पवार पर दबाव बनाते हुए कहा कि वो महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम पद से इस्तीफा देकर पार्टी में लौटें।
25 नवंबर : सुप्रिया सुले ने भी अजित को मनाया
शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने भी अजित पवार के भाई श्रीनिवास पवार से बात की और इस तरह अजित पवार वापस एनसीपी में आ गए।
28 नवंबर : उद्धव ठाकरे ने ली सीएम पद की शपथ
उद्धव ठाकरे ने आखिरकार मुंबई के शिवाजी पार्क में राज्य के 19वीं मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। उनके साथ एनसीपी के जयंत पाटिल और छगन भुजबल ने भी शपथ ली।
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