
पुणे (महाराष्ट्र). पुणे की अदालत ने पुणे अभद्र भाषा मामले में कालीचरण महाराज उर्फ अभिजीत धनंजय सरग को एक दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है। उन्हें पहले रायपुर में एक मामले में गिरफ्तार किया गया था, जहां उन्होंने कथित तौर पर महात्मा गांधी के खिलाफ अपमानजनक बयान दिया था। वह हाल ही में जमानत पर छूट कर आया है।
सेंट्रल जेल से महाराष्ट्र के लिए रवाना कालीचरण
दरअसल, कालीचरण को जब दो दिन पहले रायपुर की जिला अदातल में पेश किया था, तो महाराष्ट्र पुलिस ने कालीचरण की ट्रांजिट रिमांड मांगी थी। अधिकारियों ने कहा था कि महाराष्ट्र में कालीचरण के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं। इसिलए उनको पूछताछ के लिए रिमांड पर लेना है। कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद अधिकारियों ने रायपुर सेंट्रल जेल में आदेश जमा किया और कालीचरण को रिमांड पर ले जाने के लिए महाराष्ट्र के लिए रवाना हो गई।
कालीचरण के खिलाफ अकोला और पुणे में कई केस दर्ज
कालीचरण के खिलाफ महाराष्ट्र के अकोला और पुणे में भी केस दर्ज हैं। सोमवार को जब कालीचरण रायपुर कोर्ट में पेश हुआ था तो महाराष्ट्र पुलिस ने कालीचरण को ले जाने के लिए आवेदन दिया था। लेकिन उस दौरान जज ने अनुमति नहीं दी थी। लेकिन मंगलवार को जब दोबारा आवेदन दिया तो रायपुर अदालत ने महाराष्ट्र पुलिस की ट्रांजिट रिमांड की अर्जी स्वीकार कर ली।
जज के सामने नहीं चलीं कोई भी दलील
कालीचरण रायपुर कि जिला कोर्ट में विक्रम चंद्रा की अदालत में पेश हुआ था। जहां कालीचरण के वकीलों ने बेल कराने के लिए तमाम दलीलें दीं और पुलिस की कार्रवाई को गलत ठहराया। लेकिन इसके बाद भी बात नहीं बनी और
6 दिन पहले एमपी के खजुराहो से किया गया गिरफ्तार
बता दें कि 30 दिसंबर को कालीचरण को छत्तीसगढ़ पुलिस ने मध्य प्रदेश के खजुराहो से गिरफ्तार किया है। क्योंकि रायपुर में उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। लेकिन एमपी से चुपचाप तरीके से गिरफ्तारी पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकारों के बीच 'तलवारें' खिंच गई हैं। जहां एमपी के के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस तरह हुई गिरफ्तारी पर आपत्ति जताई है। गृहमंत्री ने आपत्ति जताते हुए कहा-कालीचरण महाराज की गिरफ्तारी छत्तीसगढ़ पुलिस ने जिस तरीके से की है वह संघीय मर्यादा के खिलाफ है। कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ सरकार को इंटरस्टेट प्रोटोकॉल का उल्लंघन नहीं करना चाहिए था।
जानिए क्या है पूरा मामला
खुद को कालीपुत्र बताने वाले कालीचरण ने रायपुर धर्म संसद में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी करते हुए कहा था। 1947 में हमने अपनी आंखों से देखा कि कैसे पाकिस्तान और बांग्लादेश पर कब्जा किया गया। मोहनदास करमचंद गांधी ने उस वक्त देश का सत्यानाश किया।मैं गांधी से नफरत करता हूं, मेरे हृदय में गांधी के प्रति तिरस्कार है। वहीं मैं गोडसे को कोटि-कोटि नमस्कार करता हूं, उनके चरणों में मेरा साष्टांग प्रणाम है, जिन्होंने उन्हें मार दिया।
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