उद्धव ठाकरे को एक और झटका, 13वें सांसद ने भी छोड़ा साथ, एकनाथ शिंदे के कैंप को किया ज्वाइन

उद्धव कैंप के 13वें सांसद ने साथ छोड़ दिया है। शिवसेना से बगावत कर एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार को गिरा दिया था। इसके बाद उन्होंने बीजेपी से गठबंधन कर राज्य में सरकार बनाई। 

Shiv Sena Vs Shiv Sena: महाराष्ट्र में शिवसेना के दोनों गुटों के बीच दलबदल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। शिवसेना यूबीटी को एक और झटका लगा है। उद्धव कैंप के 13वें सांसद ने साथ छोड़ दिया है। गजानन कीर्तिकर ने शिवसेना शिंदे गुट को ज्वाइन कर लिया है।

अधिकतर सांसद व विधायक शिंदे कैंप में भागे...

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शिवसेना के 18 सांसद लोकसभा चुनाव जीते थे। लेकिन 2022 में जब एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे से बगावत कर अलग गुट बनाया तो उनके साथ अधिकतर सांसद हो लिए। उद्धव ठाकरे की सरकार गिरने और एकनाथ शिंदे के राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद करीब 12 सांसदों ने शिंदे कैंप में शामिल होने का ऐलान किया था। शुक्रवार को एक और सांसद गजानन कीर्तिकर ने भी उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ दिया। शिंदे गुट में सबसे अधिक विधायक भी हैं। शिवसेना जब दोनों गुट एक था तो 56 विधायक थे। अब करीब 40 विधायक शिंदे गुट के साथ हैं जबकि 16 के आसपास विधायक उद्धव ठाकरे के साथ हैं। उद्धव ठाकरे के साथ अब पांच लोकसभा सदस्य ही बचे हैं। जबकि संजय राउत समेत तीन राज्य सभा सदस्य हैं। 

अंधेरी पूर्व उप चुनाव में दोनों गुटों को आयोग ने दी थी नई पहचान

शिवसेना पर एकाधिकार के लिए दोनों गुटों ने भारत निर्वाचन आयोग में अपनी दावेदारी की है। हालांकि, अंधेरी पूर्व उप चुनाव के पहले दोनों गुटों को आयोग ने एक नई पहचान अस्थायी तौर पर दे दी है। उद्धव ठाकरे गुट को चुनाव आयोग ने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नाम दिया है। ठाकरे गुट को मशाल सिंबल मिला है। जबकि शिंदे गुट को चुनाव आयोग ने बालासाहेबांची शिवसेना नाम दिया है और 'दो तलवारें और ढाल' सिंबल आवंटित हुआ है।

शिवसेना का सिंबल हो चुका है फ्रिज

शिवसेना की लड़ाई चुनाव आयोग में पहुंचने के बाद चुनाव चिह्न को सील कर दिया गया था। दरअसल, उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुटों ने खुद को असली शिवसेना बताते हुए सिंबल और पार्टी के नाम पर दावा किया है। इसी बीच मुंबई अंधेरी पूर्व उप चुनाव के ऐलान के बाद शिंदे गुट ने सिंबल को लेकर एक बार फिर दावा किया। उप चुनाव के पहले ही आयोग ने फैसला करते हुए दोनों गुटों पर तीर-धनुष के इस्तेमाल पर रोक लगाते हुए शिवसेना के चुनाव चिह्न को सीज कर दिया। पढ़िए पूरी खबर...

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