शिवसेना का चुनाव चिन्ह किसका: सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच करेगी फैसला, उद्धव-एकनाथ की याचिका पर भी सुनवाई

पूर्व CJI एनवी रमना की अध्यक्षता में इस मामले की सुनवाई हुई थी। रिटायरमेंट से पहले उन्होंने इस केस को 5 जजों की बेंच को ट्रांसफर कर दिया था। चुनाव आयोग को शिवसेना के चुनाव चिन्ह पर फैसला लेने से रोक लगाई थी। 

Pawan Tiwari | Published : Aug 29, 2022 2:07 AM IST / Updated: Aug 30 2022, 08:27 AM IST

नई दिल्ली/मुंबई. शिवसेना का चुनाव चिन्ह धुनष और बाण किसका होगा इस मामले में सुप्रीम कोर्ट सोमवार को अहम सुनवाई होनी थी लेकिन किसी कारण से सुनवाी नहीं हो सकी। मामले की सुनवाई 5 जजों की बेंच में होनी थी। पहले 25 अगस्त को इस मामले में पैरवी होनी थी लेकिन कोर्ट में केस लिस्टिंग नहीं होने के कारण अब सोमवार का दिन तय किया गया था। बता दें कि उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे की याचिकाओं पर भी सुनवाई होगी।  

पूर्व जस्टिस ने 5 बेंच में भेजा था केस 
बता कें इस मामले की सुनवाई पूर्व CJI एनवी रमना की अध्यक्षता में हो रही थी। रिटायरमेंट से पहले उन्होंने इस केस को 5 जजों की बेंच को ट्रांसफर कर दिया था इसके साथ ही चुनाव आयोग को शिवसेना के चुनाव चिन्ह पर कोई भी फैसला नहीं लेने को कहा गया था। बताया जा रहा है कि 5 जजों की सुनवाई 8 सवालों के आधार पर की जाएगी। इसके बाद तय किया जाएगा कि शिवसेना पर किसका अधिकार है। 

क्या है मामला
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पिछली सुनवाई में कहा था कि संविधान पीठ तय करेगी कि क्या स्पीकर के खिलाफ प्रस्ताव लंबित हो तो वो अयोग्यता पर सुनवाई कर सकते हैं क्या फिर नहीं। सीजेआई ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि किसी पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र और उसमें चुनाव आयोग की क्या भूमिका होनी चाहिए यह फैसला भी कोर्ट की संविधान पीठ तय करेगी। दरअसल, विधायकों की अयोग्यता को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई करनी है। सीएम एकनाथ शिंदे समेत गुट के 16 विधायकों ने स्पीकर के फैसले के खिलाफ कोर्ट में याचिका लगाई थी। इसके बाद एकनाथ शिंदे गुट की तरफ से शिवसेना पार्टी पर भी अधिकार का दावा किया गया था।

शिंदे ने की थी बगावत
बता दें कि एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन हो गया था। उद्धव ठाकरे को पद से इस्तीफा देना पड़ा था और बीजेपी के समर्थन से एकनाथ शिंदे राज्य के नए मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद शिवसेना ने लोकसभा में भी अपने गुट के सांसद को मान्यता दिलवाई थी।

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