तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को जून में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। दरअसल, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के विधायकों ने बगावत कर दी थी। उद्धव के पद छोड़ने के बाद एकनाथ शिंदे ने 30 जून को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थन से मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। सत्ता मिलने के बाद एकनाथ शिंदे गुट ने शिवसेना पर भी दावा तेज कर दिया।
मुंबई। शिवसेना (Shiv Sena) को लेकर पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और बागी गुट के नेता मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde)के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तल्ख होता जा रहा है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे गुट पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए शनिवार को कहा कि पार्टी खुले में पड़ी कोई वस्तु नहीं है जिसे कोई भी उठा सकता है और इसकी विरासत पर दावा कर सकता है। 1960 में बाल ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना साप्ताहिक 'मार्मिक' के 62वें स्थापना दिवस पर बोलते हुए ठाकरे ने कहा कि सेना की नींव बेहद मजबूत हैं और इसकी जड़ें गहरी हैं।
हर कोई दावा नहीं कर सकता शिवसेना पर...
उद्धव ठाकरे ने कहा कि कुछ लोग सोचते हैं कि शिवसेना खुले में पड़ी एक वस्तु है जिसे वे उठा सकते हैं और ले जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि शिवसेना की नींव गहरी और मजबूत है और कोई भी पार्टी पर दावा नहीं कर सकता।
दोनों पक्ष हैं आमने-सामने
तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को जून में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। दरअसल, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के विधायकों ने बगावत कर दी थी। उद्धव के पद छोड़ने के बाद एकनाथ शिंदे ने 30 जून को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थन से मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। सत्ता मिलने के बाद एकनाथ शिंदे गुट ने शिवसेना पर भी दावा तेज कर दिया। तभी से ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना का विद्रोही शिंदे खेमे के साथ राजनीतिक खींचतान चल रही है, जो बाल ठाकरे की मूल शिवसेना होने का दावा करता है।
शिंदे ने तीर-धनुष चुनाव चिन्ह पर भी किया दावा
शिंदे गुट ने शिवसेना के चुनाव चिन्ह- "धनुष और तीर" पर भी दावा किया है और मामला चुनाव आयोग के समक्ष लंबित है।
शिवसेना का ही प्रकाशन है मार्मिक
उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिवसेना के बीज 'मार्मिक' के माध्यम से बोए गए थे क्योंकि इसमें प्रकाशित कार्टून ने 62 साल पहले बेचैन दिमागों को आवाज दी थी। कोई कल्पना कर सकता है कि महाराष्ट्र में मराठी लोगों और भारत में हिंदुओं के साथ क्या होता अगर शिवसेना आसपास नहीं होती।'मार्मिक' को 1960 में तत्कालीन राजनीतिक कार्टूनिस्ट बाल ठाकरे द्वारा लॉन्च किया गया था। इसे शिवसेना पार्टी के लिए लॉन्चपैड के रूप में देखा जाता है, जो 1966 में अस्तित्व में आई थी।'मार्मिक' ने उस समय आम मराठी लोगों के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया था, जिसमें बेरोजगारी, उत्तर भारतीय प्रवासियों की आमद और अन्य लोगों के बीच मराठी श्रमिकों की छंटनी शामिल थी।
ठाकरे ने भी जेपी नड्डा के बयान का किया विरोध
ठाकरे ने क्षेत्रीय दलों के खत्म करने वाले बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के बयान को लेकर भी सत्ताधारी दल को घेरा। उन्होंने जेपी नड्डा की टिप्पणी को लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा बताया। उन्होंने कहा कि भारत आजादी के 75 साल का जश्न मना रहा है, लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए आश्चर्य होता है कि क्या हम गुलामी के दिनों में वापस जा रहे हैं? कहा कि नड्डा ने हाल ही में कहा था कि आने वाले समय में भाजपा जैसी विचारधारा से चलने वाली पार्टी ही बचेगी, जबकि परिवारों द्वारा शासित अन्य पार्टी खत्म हो जाएगी। ठाकरे ने कहा कि शिवसेना का अस्तित्व कभी खत्म नहीं होगा। ठाकरे ने आरोप लगाया कि केंद्र सशस्त्र बलों में भर्ती कम करने की योजना बना रहा है। पूछा कि आपके पास राज्य सरकारों को गिराने के लिए पैसा है, लेकिन सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए नहीं।
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