'मन की बात' की 10 बड़ी बातें: चीतों से लेकर PM मोदी ने डाउन सिंड्रोम से पीड़ित सूरत की बेटी का भी किया जिक्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को अपने मासिक रेडियो प्रोग्राम 'मन की बात' (Mann Ki Baat) के 93 संस्करण में एक बार फिर जनता से रू-ब-रू हुए। इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर बात की। पीएम मोदी ने करीब आधे घंटे की चर्चा में नामीबिया से भारत लाए गए चीतों से लेकर 27 सितंबर से गुजरात में होने वाले नेशनल गेम्स तक को लेकर बात की।

Asianet News Hindi | Published : Sep 25, 2022 7:08 AM IST / Updated: Sep 25 2022, 12:41 PM IST

Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को अपने मासिक रेडियो प्रोग्राम 'मन की बात' (Mann Ki Baat) के 93 संस्करण में एक बार फिर जनता से रू-ब-रू हुए। इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर बात की। पीएम मोदी ने करीब आधे घंटे की चर्चा में नामीबिया से भारत लाए गए चीतों से लेकर 27 सितंबर से गुजरात में होने वाले नेशनल गेम्स तक को लेकर बात की। आइए जानते हैं पीएम मोदी के 'मन की बात' की 10 बड़ी बातें।

1- चीतों के अभियान का नाम सुझाएं  
पीएम मोदी ने हाल ही में अफ्रीका से लाए गए चीतों को लेकर बात की। इस दौरान उन्होंने कहा- चीतों को लेकर चलाए जा रहे अभियान का नाम क्या होना चाहिए? ये आप लोग बताएं। इसके साथ ही चीतों का नामकरण क्या हो, ये भी बताएं। कोशिश रहे कि इनके नाम हमारी परंपरा के मुताबिक हों तो ज्यादा बेहतर है। इंसान को जंगली जानवरों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए? आप सबसे मेरी अपील है कि इस प्रतियोगिता में जरूर भाग लीजिए। क्या पता इनाम के रूप में आपको चीते देखने का पहला अवसर मिल जाए।

2- दीपदयाल उपाध्याय को किया याद : 
25 सितंबर को प्रखर मानवतावादी चिंतक दीनदयाल उपाध्याय जी का जन्मदिन है। उन्होंने अपने जीवन में विश्व की बड़ी उथल पुथल को देखा था। वो विचारधाराओं के संघर्षों के साक्षी बने थे। इसलिए उन्होंने एकात्म मानवदर्शन और अंत्योदय का विचार देश के सामने रखा, जो पूरी तरह भारतीय था। उनका एकात्म मानव दर्शन एक ऐसा विचार है, जो विचारधारा के नाम पर द्वंद्व और दुराग्रह से मुक्ति दिलाता है। आधुनिक, सामाजिक और राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में भी भारतीय दर्शन कैसे दुनिया का मार्गदर्शन कर सकता है, ये दीनदयाल ने हमें सिखाया। 

3- भगत सिंह के नाम पर होगा चंडीगढ़ एयरपोर्ट : 
पीएम मोदी ने कहा कि 28 सितंबर को अमृत महोत्सव का एक विशेष दिन आ रहा है। इस दिन हम भारत मां के वीर सपूत भगत सिंह की जयंती मनाएंगे। ऐसे में हमने फैसला किया है कि चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम शहीद भगत सिंह के नाम पर होगा। शहीदों के स्मारक, उनके नाम पर जगहों और संस्थानों के नाम हमें कर्तव्य के लिए प्रेरणा देते हैं। अभी कुछ दिन पहले ही देश ने कर्तव्य पथ पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मूर्ति की स्थापना के जरिए भी ऐसा ही एक प्रयास किया है। हमें अपने स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा लेना चाहिए। यही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। 

4- साइन लैंग्वेज की खूबियां बताईं 
पीएम मोदी ने मन की बात में साइन लैंग्वेज के बारे में भी बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि दिव्यांग साथियों के लिए सबसे बड़ा संबल होती है साइन लैंग्वेज। 2015 में इंडियन साइन लैंग्वेज रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना हुई थी। ये संस्थान अब तक 10 हजार वर्ड्स और एक्सप्रेशन की डिक्शनरी तैयार कर चुका है। साइन लैंग्वेज के तय स्टैंडर्ड को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी काफी बल दिया गया है। साइन लैंग्वेज की डिक्शनरी का वीडियो बनाकर भी निरंतर प्रसार किया जा रहा है। साइन लैंग्वेज का जो अभियान 7 साल पहले शुरू हुआ था, उसका लाभ अब हमारे लाखों दिव्यांग भाई-बहनों को मिलने लगा है।

5- देश के इन लोगों को हुआ साइन लैंग्वेज का फायदा :  
हरियाणा की रहने वाली पूजा जी साइन लैंग्वेज को लेकर बहुत खुश हैं। पहले वो अपने बेटे से बात नहीं कर पाती थीं। लेकिन 2018 में साइन लैंग्वेज की ट्रेनिंग लेने के बाद मां-बेटे का जीवन बहुत आसान हो गया है।  इसी तरह टिंका जी की एक 6 साल की बिटिया है, जो सुन नहीं पाती। उन्होंने अपनी बेटी को साइन लैंग्वेज का कोर्स कराया था, लेकिन उन्हें खुद साइन लैंग्वेज नहीं आती थी। इस वजह से वो अपनी बच्ची से बात नहीं कर पाती थीं। अब टिंका जी ने भी साइन लैंग्वेज की ट्रेनिंग ली है और अब मां-बेटी दोनों खूब बात करती हैं। केरल की मंजू जी को भी इन प्रयासों का लाभ हुआ है। उन्होंने तो अब साइन लैंग्वेज की टीचर बनने का भी फैसला कर लिया है। इसके लिए अवेयरनेस बढ़ाने की जरूरत है, ताकि हम अपने दिव्यांग भाई-बहनों की मदद कर सकें। 

6- डाउन सिंड्रोम से उबरने में योग की भूमिका : 
मैं कुछ दिन पहले सूरत की एक बिटिया अन्वी से मिला। अन्वी जन्म से ही डाउन सिंड्रोम से पीड़ित है और बचपन से ही हार्ट की बीमारी से भी जूझ रही है। उसे 3 महीने की उम्र में ओपन हार्ट सर्जरी से भी गुजरना पड़ा। इसके बाद अन्वी के माता-पिता ने डाउन सिंड्रोम की जानकारी इकट्ठा की और फिर बेटी को दूसरों पर निर्भरता कैसे कम करें, इस पर काम किया। उन्होंने बेटी जूतों की लेस बांधना, कपड़ों के बटन लगाना, पानी का गिलास उठाना जैसी छोटी-छोटी चीजें धैर्य के साथ बेटी को सिखाने की कोशिश की। इसके साथ ही उन्होंने अन्वी को योग सीखने के लिए प्रेरित किया। पहली बार अन्वी जब योग सिखाने वाली कोच के पास गई तो वो भी दुविधा में थे कि क्या ये कर पाएगी? लेकिन आज अन्वी योग की एक्सपर्ट हो चुकी है। योग ने अन्वी को नया जीवन दे दिया। योग से अन्वी के जीवन में अद्भुत बदलाव देखने को मिला है और दवाओं पर निर्भरता भी कम होती जा रही है। जो लोग योग के सामथर्य को जांचना परखना चाहते हैं उनके लिए अन्वी एक बेहतर केस स्टडी है। डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों के लिए योग बेहद कारगर है। 

7-समुद्र तटों की सफाई को लेकर भी बात की : 
मानव जीवन की विकास यात्रा निरंतर पानी से जुड़ी हुई है। भारत का सौभाग्य है कि हमारा समुद्र से अटूट नाता रहा है। भारत की विविध संस्कृतियों को यहां फलते-फूलते देखा जा सकता है। लेकिन हमारे ये तटीय क्षेत्र पर्यावरण से जुड़ी कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। हमारे बीचों पर फैली गंदगी परेशान करने वाली है। हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम इसके लिए निरंतर प्रयास करें। हमने इसके लिए 5 जुलाई को 'स्वच्छ सागर सुरक्षित सागर' अभियान शुरू किया, जो 17 सितंबर को खत्म हुआ। ये मुहिम करीब 75 दिन चली। इस प्रयास के दौरान ढाई महीने तक सफाई के काम देखने को मिला। गोवा, काकीनाडा, ओडिशा में समुद्र तटों की सफाई को लेकर कई कार्यक्रम चलाए गए। मैं उन सभी लोगों को बधाई देना चाहता हूं, जिन्होंने इस अभियान में अपना योगदान दिया। 

8- बेंगलुरू के यूथ फॉर परिवर्तन का जिक्र : 
- बेंगुलरू में एक टीम है 'यूथ फॉर परिवर्तन'। पिछले 8 सालों से ये टीम स्वच्छता और दूसरी सामुदायिक गतिविधियों को लेकर काम कर रही है। उनका मोटो स्टॉप कम्पलेनिंग, स्टार्ट एक्टिंग है। इस टीम ने अब तक शहर की 370 से ज्यादा जगहों का सौंदर्यीकरण किया है। प्रत्येक रविवार को यह टीम कचरा हटाने के साथ ही दीवारों पर प्रसिद्ध व्यक्तियों के फोटो और स्केच भी बनाती है। इसी तरह मेरठ में कबाड़ से जुगाड़ अभियान चलाया गया। ये अभियान पर्यावरण की सुरक्षा के साथ ही शहर के सौंदर्यीकरण से भी जुड़ा है। इसमें लोहे का स्क्रैप, पुराने टायर, प्लास्टिक वेस्ट और ड्रम जैसी बेकार हो चुकी चीजों का प्रयोग किया जाता है। कम खर्चे में सार्वजनिक स्थलों का सौंदर्यीकरण कैसे हो, यह अभियान इसकी एक मिसाल है। 

9- नवरात्रि और विजयदशमी से दिया बड़ा संदेश :  
मेरे देशवासियों 26 सितंबर से नवरात्रि उत्सव शुरू हो रहा है। इसमें हम पहले दिन देवी के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की उपासना करेंगे। यहां से 9 दिनों का नियम, संयम और उपवास। इसके बाद विजयदशमी का त्योहार है। एक तरह से देखें तो हम पाएंगे कि हमारे पर्वों में आस्था और आध्यात्मिकता के साथ-साथ कितना गहरा संदेश भी छुपा हुआ है। दशहरे के बाद धनतेरस और दिवाली भी आने वाली है। 

10- वोकल फॉर लोकल :  
हमारे त्योहारों के साथ देश का एक नया संकल्प भी जुड़ गया है। आप सब जानते हैं, वोकल फॉर लोकल। अब हम त्योहारों की खुशी में अपने लोकल कारीगरों, शिल्पकारों और व्यापारियों को भी शामिल करते हैं। 2 अक्टूबर यानी बापू की जयंती से हमें इस अभियान को और तेज करने का संकल्प लेना है। खादी, हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट इन सारे प्रोडक्ट्स के साथ लोकल सामान जरूर खरीदिए। इस त्योहार का सही आनंद तब है, जब हर कोई इसका हिस्सा बने। इसलिए स्थानी प्रोडक्ट के काम से जुड़े लोगों को हमें सपोर्ट करना है। हम किसी को जो भी गिफ्ट दें, उसमें इस तरह के प्रोडक्ट को शामिल करें। 

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