कृषि कानून पर सरकार को घेरने एक जुट हुईं 16 पार्टियां, राष्ट्रपति के अभिभाषण का करेंगी बहिष्कार

दिल्ली हिंसा के बाद किसान आंदोलन में फूट पड़ गई है। दिल्ली-नोएडा बॉर्डर सहित कई जगहों से धरना उठने लगा है। इस बीच 29 जनवरी से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र में कृषि कानूनों के खिलाफ अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने 17 विपक्षी दल एकजुट हो गए हैं। इन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने का ऐलान किया है।

Asianet News Hindi | Published : Jan 28, 2021 11:53 AM IST

 

नई दिल्ली. दिल्ली हिंसा के बाद कृषि कानूनों पर किसान आंदोलन के तेवर ठंडे पड़ते देख विपक्ष ने एकजुट होने की ठानी है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और शिवसेना सहित 16 विपक्षी दलों ने 29 जनवरी से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। राष्ट्रपति दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करेंगे। कांग्रेस नेता नेता और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाब नबी आजाद ने कहा किमोदी सरकार ने विपक्ष के बिना बहस सदन में कृषि कानून पारित करा दिए।

मोदी को बताया अड़ियल
विपक्षी दलों ने संयुक्त बयान जारी करके दिल्ली हिंसा को लेकर कहा कि ट्रैक्टर रैली में हिंसा और घटना में सरकार की भूमिका की जांच होनी चाहिए। लंबे समय तक प्रदर्शन शांतिपूर्ण होने के बाद अचानक गणतंत्र दिवस पर हिंसा कैसे हो गई? विपक्ष ने कहा कि सरकार किसानों पर जबर्दस्ती कृषि कानून लागू कर रही है। इससे किसान बर्बाद हो जाएंगे। विपक्ष ने कहा कि ठंड और बारिश के बीच 64 दिनों से जारी विरोध प्रदर्शन में 155 किसानों की जान जा चुकी है। विपक्ष ने सरकार पर गलत जानकारियां फैलाने का भी आरोप लगाया। 

बता दें कि एक फरवरी को बजट पेश होगा। पहली बार संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान सदस्य भी 'सेंट्रल हॉल' के अलावा लोक सभा और राज्य सभा में बैठेंगे। ऐसा सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से हो रहा है।

ये हैं दल शामि
कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, द्रमुक (DMK), तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, सपा, राजद, माकपा, भाकपा, आईयूएमएल, आरएसपी, पीडीपी, एमडीएमके, केरल कांग्रेस(एम) और एआईयूडीएफ।

उधर, आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा उनकी पार्टी कृषि कानूनों का विरोध करती है और आगे भी करती रहेगी।

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