अमेरिका नहीं चाहता था ISRO बढ़े आगे, जासूसी केस में नंबी नारायणन को फंसाने के पीछे थी CIA की साजिश

सीबीआई ने केरल हाईकोर्ट में कहा है कि वैज्ञानिक नंबी नारायणन को अंतरराष्ट्रीय साजिश के तहत इसरो जासूसी मामले में फंसाया गया था। उनके खिलाफ लगाए गए आरोप मनगढ़ंत थे। उन्हें अवैध रूप से गिरफ्तार कर जेल में रखा गया। 
 

Vivek Kumar | Published : Jan 14, 2023 9:43 AM IST / Updated: Jan 14 2023, 03:19 PM IST

कोच्चि। एक वक्त था जब अमेरिका को यह मंजूर नहीं था कि भारत अंतरिक्ष विज्ञान में आगे बढ़े। भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO (Indian Space Research Organisation) स्पेस रिसर्च में आगे नहीं बढ़े इसके लिए अमेरिका की खुफिया एजेंसी CIA (Central Investigation Agency) ने साजिश रचकर 1994 में इसरो के प्रख्यात वैज्ञानिक नंबी नारायणन को जासूसी केस में फंसा दिया था। 

सीबीआई ने केरल हाईकोर्ट में इस संबंध में अहम जानकारी दी है। सीबीआई ने कहा है कि वैज्ञानिक नंबी नारायणन पर लगाए गए जासूसी के आरोप मनगढ़ंत थे। 1994 में इसरो जासूसी केस काफी चर्चित हुआ था। अब इस संबंध में सीबीआई ने कहा है कि नंबी नारायणन के खिलाफ लगाए गए जासूसी के आरोप झूठे हैं। उन्हें एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय साजिश के तहत फंसाया गया था। 

लिक्विड प्रोपेलेंट इंजन के प्रमुख वैज्ञानिक थे नारायणन
सीबीआई ने कहा कि नंबी नारायणन की गिरफ्तारी अवैध थी। उनके खिलाफ लगाए गए आरोप मनगढ़ंत थे। गिरफ्तार किए जाने से पहले नारायणन ISRO में लिक्विड प्रोपेलेंट इंजन के प्रमुख वैज्ञानिक थे। जासूसी मामले में फंसाए जाने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था। सीबीआई ने यह भी कहा है कि वह एक केस डायरी जारी करेगी। इससे यह साबित होगा कि नंबी की हिरासत एक अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा थी।

नंबी नारायणन पर लगा था पाकिस्तान को क्रायोजेनिक इंजन तकनीक बेचने का आरोप 
करीब दो दशक पहले नंबी नारायणन इसरो के प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे। उनपर आरोप लगाया गया था कि वह मालदीव के एक नागरिक के माध्यम से भारत की क्रायोजेनिक इंजन तकनीक पाकिस्तान को बेच रहे हैं। नारायणन को 1998 में सीबीआई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया था। उन्हें इसरो के अपने सहयोगी डी शशिकुमार और मामले के चार अन्य आरोपियों के साथ लगभग 50 दिन जेल में बिताने पड़े थे।

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जासूसी के आरोप पर नारायणन ने लिखी है कई किताबें
रॉकेट साइंटिस्ट नारायणन ने खुद पर लगाए गए जासूसी के आरोप पर कई किताब लिखी हैं। उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि उनके और इसरो के खिलाफ अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के सहयोग से  साजिश रची गई थी। अमेरिका भारत के स्पेस रिसर्च में देरी करना चाहता था। नारायणन ने यह भी आरोप लगाया है कि आईबी (Intelligence Bureau) के दो अधिकारियों ने उनसे जासूसी मामले में इसरो के बॉस का नाम लेने के लिए कहा था। इनकार करने पर जेल में उन्हें इस हद तक प्रताड़ित किया गया कि वह गिर गए थे और अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। 

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