2019 रामलिंगम हत्या मामले में NIA का एक्शन, तमिलनाडु के 9 जिलों में छापेमारी

साल 2019 में PFI का विरोध करने वाले रामलिंगम हत्या मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने कई जगहों पर संदिग्धों के घर छापेमारी कर तलाशी अभियान चलाया है।

Anshika Tiwari | Published : Jul 23, 2023 10:39 AM IST / Updated: Jul 23 2023, 04:15 PM IST

2019 Ramalingam Murder Case: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने तमिलनाडु के 9 जिलों में स्थित 21जगहों पर फरवरी 2019 में हुई रामलिंगम नाम की शख्स की हत्या के मामले में तलाशी ली। जानकारी के मुताबिक, रामलिंगम ने हिंदुओं को इस्लाम कबूल करने के लिए बरगलाने वाली संस्थाओं में शामिल पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का विरोध किया था। सूत्रों की मानें तो NIA ने खुफिया इनपुट के आधार पर प्रतिबंधित संगठन से जुड़े कुछ संदिग्धों के परिसर और ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया। मालूम हो, बीते 2 अगस्त 2021 को एनआईए ने मामले में फरार चल रहे मुख्य मास्टरमाइंड रहमान शादिक को अरेस्ट किया था।

2019 में हुई थी रामलिंगम की हत्या

5 फरवरी 2019 को रामलिंगम की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। 6 फरवरी को तमिलनाडु के तंजावुर जिले के थिरुविदाईमारुथुर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई थी। वहीं एनआईए ने अपनी जांच में बताया कि रामलिंगम की हत्या का उद्देश्य विशेष समुदाय के मन में आतंक पैदा करना, धार्मिक समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और बदला लेना था।

2019 में NIA ने शुरू की थी मामले की जांच

NIA ने 7 मार्च 2019 को फिर से मामला दर्ज कर जांच अपने हाथों में ले ली। इससे पहले 2 अगस्त 2019 को 18 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किए गए थे। रहमान शादिक की गिरफ्तारी के बाद जांच एजेंसी ने खुलासा किया था कि रहमान तमिलनाडु के तंजावुर जिले में PFI के लिए काम करता था।

शादिक पर था पांच लाख का इनाम

एनआईए ने यह भी कहा कि रहमान सादिक में राम लिंगम की हत्या को अंजाम देने के लिए कई सदस्यों की भर्ती में भी अहम भूमिका निभाई थीं। वही रामलिंगम की हत्या करने के बाद रहमान पकड़े जाने के डर से तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर कई दिन तक छुपा रहा था। जिसके बाद एनआईए ने रहमान की जानकारी देने वाले को पांच लाख रुपए का इनाम देने की घोषणा की थी। इसके साथ ही एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने उसे वांटेड घोषित किया गया था।

PFI पर सरकार ने लगाया बैन

गौरतलब है, 28 सितबंर 2022 को केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर UPA एक्ट 1967 के सेक्शन 3(1) के तहत पांच सालों का प्रतिबंध लगा दिया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपनी जांच में पाया था कि PFI से जुड़े लोग आतंकी संगठन और देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त हैं। सरकार ने PFI के अलावा कई अन्य संगठनों पर भी एक्शन लिया था।

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