2021 की जनगणना होगी डिजिटल, एक ही कार्ड से होंगे सारे काम, गृहमंत्री शाह ने दिया प्रस्ताव

2021 की जनगणना में पहली बार एक मोबाइल एप का उपयोग किया जाएगा और देश कागज-कलम वाली जनगणना से डिजिटल डेटा के युग में प्रवेश करेगा

Asianet News Hindi | Published : Sep 23, 2019 4:49 PM IST

नई दिल्ली. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकों के लिए सोमवार को एक बहु-उद्देश्यीय पहचान पत्र का विचार पेश किया, जिसमें आधार, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस और बैंक खाते जैसी सभी सुविधाएं जुड़ी होंगी। शाह ने यह भी कहा कि 2021 की जनगणना में पहली बार एक मोबाइल एप का उपयोग किया जाएगा और देश कागज-कलम वाली जनगणना से डिजिटल डेटा के युग में प्रवेश करेगा, जो देश में जनगणना कार्य के लिए एक क्रांतिकारी कदम होगा। उन्होंने यहां महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त कार्यालय के एक नये भवन की आधारशिला रखने के बाद कहा, क्यों ना हमारे पास आधार, पासपोर्ट, बैंक खाते, ड्राइविंग लाइसेंस, और वोटर कार्ड जैसी सभी सुविधाओं के लिए एक ही कार्ड हो। एक ऐसी प्रणाली होनी चाहिए जिसमें सभी आंकड़ों को एक ही कार्ड में इकट्ठा रख दिया जाए। यह संभव है। यही कारण है कि डिजिटल जनगणना बहुत महत्वपूर्ण है।

बर्फबारी वाले इलाकों में पहले होगी जनगणना 
जनगणना 2021 के लिए आंकड़ें दर्ज करना प्रारंभ करने की तिथि जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड के बर्फबारी वाले इलाकों में एक अक्टूबर 2020 है, जबकि शेष भारत के लिए यह एक मार्च 2021 है। जनगणना 12,000 करोड़ रुपये की लागत से 16 भाषाओं में की जाएगी। गृह मंत्री ने यह भी कहा कि जनगणना कार्य के साथ राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) के लिए भी आंकड़ें जुटाये जाएंगे। एनपीआर देश के विभिन्न इलाकों में रहने वाले सामान्य निवासियों की सूची है। अधिकारियों के मुताबिक यह असम के राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के अखिल भारतीय प्रारूप का आधार बन सकती है। इन निवासियों को इस रूप में परिभाषित किया गया है--जो किसी स्थानीय इलाके में पिछले छह महीने या अधिक समय से रह रहे हैं, या जो वहां छह महीने या उससे अधिक समय तक रहने का इरादा रखते हैं।

जनगणना के उपयोग बहुआयामी- शाह
शाह ने कहा कि जनगणना 2021 के आंकड़ें देश की भविष्य की योजना बनाने, विकास से जुड़े कार्यों और कल्याणकारी योजनाओं के लिए आधार बनेंगे तथा इस कार्य के सफल होने के लिए लोगों की दिल से भागीदारी अहम है। उन्होंने कहा, भारत की कुल 130 करोड़ आबादी को इसके फायदों के बारे में बताना चाहिए कि जनगणना 2021 के आंकड़ों का किस तरह से भविष्य की योजना बनाने, विकास से जुड़े कार्यों और कल्याणकारी योजनाओं के लिए उपयोग किया जा सकता है। जनगणना के आंकड़ों का उपयोग बहुआयामी है और यह राष्ट्र की प्रगति में अहम योगदान देगा। गृह मंत्री ने यह भी कहा कि जनगणना नगर निकायों के वार्डों, विधानसभा एवं लोकसभा क्षेत्रों का परिसीमन करने में मदद करेगी। उन्होंने जनगणना अधिकारियों से यह कार्य गंभीरता से करने की अपील की क्योंकि यह उनके लिये पुण्य करने का अवसर है, जो राष्ट्र निर्माण में मदद देगा।

असमानता की खाई पाटने के लिए करनी होगी कड़ी मेहनत 
शाह ने कहा कि पहले सरकार कल्याणकारी योजनाएं टुकड़ों में लाया करती थी और पिछली सरकारों ने कोई व्यापक योजना नहीं बनाई। उन्होंने कहा, नरेंद्र मोदी के 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद पूरा रवैया बदल गया। उन्होंने कहा कि जनगणना 2011 के आधार पर मोदी सरकार ने हर घर बिजली, गैस कनेक्शन, सड़क निर्माण, गरीबों के लिए आवास, शौचालय, बैंक खाते, बैंक शाखाएं खोलने आदि के लिए 22 कल्याणकारी योजनाएं बनाई। शाह ने ‘उज्ज्वला’ योजना का जिक्र करते हुए कहा कि 2022 तक ऐसा कोई परिवार नहीं होगा, जिसके पास गैस कनेक्शन नहीं होगा। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की आबादी विश्व की कुल आबादी का 17.5 प्रतिशत है जबकि भोगौलिक क्षेत्र महज 2.4 प्रतिशत है। इस तरह आबादी के अनुपात में भारत के पास सीमित प्राकृतिक संसाधन हैं। इसलिए असमानता की खाई को पाटने के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी होगी।

(यह खबर न्यूज एजेंसी पीटीआई भाषा की है। एशियानेट हिंदी की टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

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