28 सिंतबर को हार्वेस्ट मून के साथ खत्म होगी इस साल की सुपरमून सीरीज, क्या है फसलों से संबंध

इस साल की सुपरमून सीरीज गुरूवार यानि कि 28 सितंबर को हार्वेस्ट मून के साथ समाप्त होने वाली है। 2023 में सुपरमून के भव्य समापन के लिए खगोलीय मंच तैयार किया गया है।

What is SuperMoon. इस साल की सुपरमून सीरीज गुरूवार यानि कि 28 सितंबर को हार्वेस्ट मून के साथ समाप्त होने वाली है। 2023 में सुपरमून के भव्य समापन के लिए खगोलीय मंच तैयार किया गया है। यह साल के चौथे और आखिरी सुपरमून के रूप में मनोरम दृश्य के साथ सामने आएगा, जिससे एक तरह का अलग ही नजारा देखने को मिलेगा।

कब होता है सुपरमून

Latest Videos

सुपरमून की घटना तब सामने आती है जब चंद्रमा अपनी अंडाकार कक्षा में पृथ्वी के सबसे करीब पहुंच जाता है। इससे चंद्रमा का सबसे बढ़ा हुआ आकार सभी को दिखाई देता है, जो कि आकाश में अलग ही नजारा पेश करता है। ऐसी खगोलीय घटनाएं लोगों को बेहद आकर्षित करती हैं। पंचांग की भविष्यवाणियों के अनुसा इस वर्ष का हार्वेस्ट सुपरमून शुक्रवार सुबह 6 बजे के आसपास अपने चरम पर होगा। यानि यह गुरूवार यानि 28 सितंबर की रात से ही दिखाई देने लगेगा। इससे आसमान में एक तरह का अलौकिक नजारा देखने को मिलेगा।

ऋतुओं से मिलन का बेहतरीन उदाहरण

रिपोर्ट्स की मानें तो चंद्रमा के इस रूप में दिखाई देने वाला यह खाम मौका पूर्णिमा के महत्व को भी दर्शाता है। क्योंकि यह 23 सितंबर को शुरू हो चुके शरद ऋतु के साथ निकटता से मेल खाता है। इसे अक्सर मकई चंद्रमा के रूप में भी जाना जाता है। यह किसानों के लिए गर्मियों की फसल के समापन का भी प्रतीक होता है। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि भारत के किसान सदियों से चंद्रमा को देखकर ही फसलों के बारे में अंदाजा लगाते रहे हैं। भले ही इसका कहीं लिखित प्रमाण न हो लेकिन पारंपरिक रूप से किसान चांद की स्थिति के अनुसार ही खेती को तवज्जो देते हैं। जहां तक फसल चंद्रमा की बात है यह आम तौर पर हर साल सितंबर महीने में ही होता है। कभी-कभी यह हर तीन साल के बाद अक्टूबर में भी पड़ता है।

क्या होता है हार्वेस्ट मून

हार्वेस्ट मून शब्द से ही समझ आ जाता है कि यह फसलों से जुड़ा हुआ है। जानकारी के लिए बता दें कि हार्वेस्ट मून शब्द की उत्पत्ति पुराने दिनों की कृषि पद्धतियों में ही हुई है। उस युग में जब ट्रैक्टर हेडलाइट्स से सुसज्जित नहीं थे तब फसल की कटाई के लिए चांदनी रात का इंतजार किया जाता था। चांदनी रात में ही अक्सर धान के फसल की कटाई की जाती थी। इसके अलावा कई तरह की दलहनी फसलें भी इसी चांदनी रात में काटी जाती थीं, जिनमें मिलेट्स यानि मोटे अनाज की फसलें प्रमुख तौर पर शामिल हैं।

यह भी पढ़ें

Manipur Violence: ताजा हिंसा के बाद सरकार का बड़ा फैसला, पूरा राज्य 'अशांत क्षेत्र' घोषित हुआ

 

Share this article
click me!

Latest Videos

LIVE 🔴: Ambedkar पर Amit Shah के विवादित ब्यान पर AAP का BJP HQ पर धरना प्रदर्शन | Arvind Kejriwal
क्या है Arvind Kejriwal की 'संजीवनी योजना', बुजुर्गों को क्या मिलने वाला है फायदा
काहिरा प्लान... आखिर क्या करने रहे हैं पाकिस्तान और बांग्लादेश समेत ये 8 मुस्लिम देश?
LIVE: विजय चौक पर सुश्री सुप्रिया श्रीनेत द्वारा कांग्रेस पार्टी की ब्रीफिंग
LIVE 🔴: "भारतीय संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा" पर चर्चा