26 जनवरी की झांकियों पर राजनीति : जानें, कौन करता है इनका सिलेक्शन, मोदी सरकार का इसमें क्या और कितना रोल...

26 January tableaux Politics : आपको जानकर हैरानी होगी कि सभी राज्य सरकारें भी जानती हैं कि झांकियों का सिलेक्शन केंद्र सरकार नहीं करती है। इसके बाद भी वे हर साल इसे लेकर मुद्दा बनाते हैं। दरअसल, उनके पास कोई नया मुद्दा नहीं है, इसलिए वे गणतंत्र दिवस जैसे पावन मौकों पर अपने क्षेत्र का अपमान करने का आरोप लगाकर पीएम को पत्र लिखते हैं। 

नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस (Republic day) की झांकियों ( tableaux) को लेकर एक बार फिर कई राज्य मोदी सरकार को घेर रहे हैं। पहले पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी (Mamta banarjee) ने मोदी सरकार पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस का अपमान करने का आरोप लगाया। अब तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन (Mk Stalin) ने पीएम को पत्र लिखकर राज्य की झांकी को गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल कराने के लिए हस्तक्षेप करने की बात कही है। यह विवाद लगभग हर साल सामने आता है। 

हर साल गणतंत्र दिवस पर वही पुरानी स्क्रिप्ट 
आपको जानकर हैरानी होगी कि सभी राज्य सरकारें भी जानती हैं कि झांकियों का सिलेक्शन केंद्र सरकार नहीं करती है। इसके बाद भी वे हर साल इसे लेकर मुद्दा बनाते हैं। दरअसल, उनके पास कोई नया मुद्दा नहीं है, इसलिए वे गणतंत्र दिवस जैसे पावन मौकों पर अपने क्षेत्र का अपमान करने का आरोप लगाकर पीएम को पत्र लिखते हैं। हर साल यही पुरानी स्क्रिप्ट चलती है। केंद्र सरकार के सूत्रों का कहना है कि दरअसल इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के पास कोई सकारात्मक एजेंडा नहीं है। इसलिए वे साल दर सल गलत सूचना का इस्तेमाल कर उसी पुरानी चाल का सहारा लेते हैं। 

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जानें, कैसे होता है झांकी का सिलेक्शन 
आपको जानकर हैरानी होगी कि गणतंत्र दिवस पर झांकियों का फैसला मोदी सरकार नहीं करती। विभिन्न राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों से झांकी के प्रस्ताव आते हैं, जिनका मूल्यांकन आर्ट, कल्चर, स्कल्प्चर, म्यूजिक, आर्किटेक्चर, डांस आदि के क्षेत्र से जुड़े एक्सपर्ट्स की कमेटी करती है। इसके लिए कई चरणों में बैठकें होती हैं। एक्सपर्ट कमेटी प्रस्तावों की सिफारिश से पहले झांकी के सब्जेक्ट, उसकी अवधारणा, डिजाइन और उसके दृश्यों के प्रभाव के आधार की जांच करती है। 

आखिर क्यों अटक गए राज्यों के प्रस्ताव 
सरकार के सूत्रों के मुताबिक समय की कमी के कारण, केवल कुछ प्रस्तावों को ही स्वीकार किया जा सकता है। इस बार गणतंत्र दिवस की परेड के लिए 56 झांकियों के प्रस्ताव आए हैं। 56 में से 21 प्रस्तावों को शॉर्टलिस्ट कर लिया गया है। चूंकि, समय काफी कम है ऐसे में बाकी प्रस्ताव रिजेक्ट किए गए हैं। केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के प्रस्तावों को सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) ने पूरी प्रक्रिया के तहत परखा और उचित विचार विमर्श के बाद खारिज किया गया। 

बड़ा सवाल : मोदी सरकार ने हटाया, तो पिछले साल शामिल कैसे हुईं
यहां सबसे बड़ा सवाल ये है कि यदि मोदी सरकार ने इन राज्यों की झांकियों को हटाया है तो फिर कई वर्षों से इन राज्यों की झांकियां कैसे परेड में शामिल हो रही थीं।

केरल की बात करें तो 2018 और 2021 में इस राज्य की झांकी को गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल किया गया था। उस वक्त भी मोदी सरकार ही केंद्र में थी। तब भी स्वीकृति एक्सपर्ट कमेटी ने ही दी थी। 

तमिलनाडु की झांकियों के प्रस्तावों को 2016, 2017, 2019, 2020 और 2021 में एक्सपर्ट कमेटी की प्रक्रिया के तहत स्वीकृति मिली। 2016 से 2021 तक लगातार मोदी सरकार केंद्र भी थी। लेकिन तब भी इन झांकियों का चयन सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने ही किया। 
 
पश्चिम बंगाल की झांकी को भी 2016, 2017, 2019 और 2021 में मोदी सरकार के कार्यकाल में उसी प्रक्रिया के तहत स्वीकृति मिली। सरकार का कहना है कि इस बार सीपीडब्ल्यूडी की झांकी में नेताजी सुभाषचंद्र बोस शामिल हैं, इसलिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अपमान का भी सवाल नहीं उठता। 

ममता ने लगाए थे ये आरोप 
पश्चिम बंगाल की झांकी को परेड में शामिल न करने का आरोप लगाते हुए ममता ने कहा था कि प्रस्तावित झांकी नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनके आईएनए (INA) के 125 वें जन्मदिन वर्ष पर उनके योगदान की स्मृति में थी। इसमें ईश्वर चंद्र विद्यासागर, रवींद्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद, देशबंधु चित्तरंजन दास, श्री अरबिंदो, मातंगिनी हाजरा, नजरूल, बिरसा मुंडा और और कई देशभक्त के चित्र शामिल किए जा रहे थे, लेकिन बिना कारण बताए झांकी को अस्वीकार कर दिया गया। इस संबंध में उन्होंने पीएम मोदी को पत्र भी लिखा था। 

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