देश में बेरोजगारी की क्या हालत है? लोग रोजी-रोटी के लिए किस कदर मजबूर हैं, उसका उदाहरण महाराष्ट्र सरकार को महिलाओं द्वारा लिखी एक चिट्ठी में मिलता है। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नितिन राउत ने उस चिट्ठी को ट्वीट किया है।
मुंबई. देश में बेरोजगारी की क्या हालत है? लोग रोजी-रोटी के लिए किस कदर मजबूर हैं, उसका उदाहरण महाराष्ट्र सरकार को महिलाओं द्वारा लिखी एक चिट्ठी में मिलता है। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नितिन राउत ने उस चिट्ठी को ट्वीट किया है। उन्होंने चिट्ठी की कॉपी शेयर करते हुए लिखा है, "मराठवाड़ा की लगभग 30,000 महिला श्रमिकों में गर्भाशय को हटाने का एक गंभीर मामला रहा है, ताकि मासिक धर्म के 3 दिनों के भीतर उनका रोजगार न टूटे। मानवीय दृष्टिकोण पर, आज मैंने मुख्यमंत्री से महिला कर्मियों को मासिक धर्म में 3 दिन के श्रम का भुगतान करने की मांग की।"
महिलाएं क्यों निकलवाना चाहती हैं गर्भाशय?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मराठवाड़ा क्षेत्र में पुरुषों के साथ महिलाएं भी हर दिन मजदूरी पर जाती हैं। मासिक धर्म की वजह से वह 4 से 5 दिन काम पर नहीं जा पाती हैं। इस वजह से उन्हें हर महीने 4 से 5 दिन के पैसे नहीं मिलते हैं। पेट पालने की मजबूरी में महिलाएं अपना गर्भाशय ही निकलवा देना चाहती हैं।
गन्ना श्रमिक महिलाओं की संख्या ज्यादा
- नितिन राउत के मुताबिक, इस क्षेत्र में गन्ना श्रमिकों में महिलाओं की संख्या काफी ज्यादा है और वे अपनी मजदूरी बचाने के चक्कर में गर्भाशय ही निकलवा देती हैं।
- राउत का कहना है कि गन्ने का सीजन 6 महीने का होता है। इन महीनों में अगर गन्ना पेराई फैक्टरियां प्रति महीने चार दिन की मजदूरी देने को राजी हो जाएं तो इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।