कृषि कानूनों पर विरोध प्रदर्शन को लेकर सरकार और किसानों के बीच 6 बार बातचीत हो गई है, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है। ऐसे में समझना जरूरी हो जाता है कि आखिर किसानों और सरकार के बीच बातचीत क्यों सफल नहीं हो पा रही है? आखिर कौन सी बातें हैं जिन्हें समझना जरूरी है।
नई दिल्ली. कृषि कानूनों पर विरोध प्रदर्शन को लेकर सरकार और किसानों के बीच 6 बार बातचीत हो गई है, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है। ऐसे में समझना जरूरी हो जाता है कि आखिर किसानों और सरकार के बीच बातचीत क्यों सफल नहीं हो पा रही है? आखिर कौन सी बातें हैं जिन्हें समझना जरूरी है।
किसानों ने किन बातों को लेकर भ्रम है?
किसानों के बीच सबसे बड़ा मुद्दा एमएसपी का है। इसे लेकर किसान मांग कर रहे हैं कि MSP की व्यवस्था खत्म न की जाए सरकार भी यही कह रही है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पत्र लिखकर साफ शब्दों में कहा था कि MSP सिस्टम जारी है, जारी रहेगा। दूसरा झूठ है कि APMC मंडियां बंद की जा रही हैं। जबकि सच ये है कि APMC मंडियां कायम रहेंगी। APMC मंडियां इस कानून की परिधि से बाहर हैं।
तीसरा झूठ है कि किसानों की जमीन खतरे में है। जबकि सच ये है कि एग्रीमेंट फसलों के लिए होगा, न कि जमीन के लिए। अगला झूठ बोला जा रहा है कि किसानों को भुगतान नहीं किया जाएगा। जबकि सरकार ने पहले ही साफ कर दिया है कि किसानों का भुगतान तय समयसीमा के भीतर होगा। एक और झूठ फैलाया जा रहा है कि किसान कॉन्ट्रैक्ट को खत्म नहीं कर सकते हैं। जबकि सच ये है कि किसी भी समय बगैर किसी जुर्माने के कॉन्ट्रेक्ट को खत्म कर सकते हैं।
सरकार के कुछ आश्वासन, जिन्हें किसानों को समझना जरूरी