पर्दे पर कहानी बुनने में माहिर थे जी अरविंदन, कार्टूनिस्ट से फिल्म निर्माता बनने का ऐसा रहा सफर

जी अरविंदन कभी-कभी दूसरे फिल्म निर्माताओं के लिए संगीत का निर्देशन भी करते रहते थे। उन्हें कई राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साल 1990 में उन्हें भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से नवाजा गया। 

Best of Bharat : भारत की आजादी का पर्व इस बार खास होने जा रहा है। 15 अगस्त, 2022 को आजादी के 75 साल पूरे हो रहे हैं। देशभर में आजादी का अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) चल रहा है। हर देशवासी देशभक्ति में सराबोर है। इस अवसर पर हम आपको बता रहे हैं देश के उन मशहूर कार्टूनिस्ट के बारें में, जिनकी कागजों पर खींची लकीरें आज भी हिंदुस्तान को नई राह दिखा रही हैं। उनके बनाए कार्टून आज भी लोगों के दिलों में जीवंत हैं। 'Best of Bharat'सीरीज में बात भारतीय फिल्म निर्देशक, स्क्रीन राइटर, संगीतकार, कार्टूनिस्ट और चित्रकार जी अरविंदन (G Aravindan) की... 

भारत के सबसे महान फिल्म निर्माताओं में से एक 
गोविंदन अरविंदन का जन्म 23 जनवरी 1934 में हुआ था। वे कॉमेडी लेखक एमएन गोविंदन नायर के बेटे थे। जी अरविंदन न सिर्फ एक कार्टूनिस्ट बल्कि भारतीय फिल्म निर्देशक, स्क्रीन राइटर, संगीतकार और चित्रकार थे। वे मलयालम सिनेमा को काफी आगे लेकर गए। भारत के सबसे महान फिल्म निर्माताओं में से उन्हें एक माना जाता है। उन्होंने सिनेमा की शैली को ही बदल दिया था। बड़ी सरलता से कहानी को पर्दे पर बन देते थे। 

Latest Videos

कार्टून के तौर पर करियर
जी अरविंदन ने यूनिवर्सिटी कॉलेज, त्रिवेंद्रम से अपनी पढ़ाई की। फिल्म क्षेत्र में आने से पहले वे एक जाने-माने कार्टूनिस्ट थे। अरविंदन के बतौर कार्टूनिस्ट करियर की शुरुआत मातृभूमि पत्रिका से हुई थी। 1960 के दशक में उन्होंने अपने कार्टून की एक सीरीज निकाली थी, जिसका नाम था चेरिया मनुश्युरम वलिया लोकावुम...यह काफी चर्चित रहा। इस सीरीज के जरिए उन्होंने राजनीतिक और सामाजिक व्यंग्य को बड़ी सरलता से उकेर दिया था। 1973 में जब उनकी यह सीरीज कंप्लीट हुई तो उन्होंने कई अन्य पत्रिकाओं में भी कार्टून बनाए।

थियेटर की दुनिया से फिल्म तक का सफर
एक वक्त ऐसा भी था, जब उन्होंने थिएटर और संगीत की ओर रुख किया। थिएटर और संगीत क्लब नवरंगम और सोपानम की स्थापना में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। उन्होंने काली और अवनवन कदंब जैसे कई नाटकों की रचना भी की। फिल्मी दुनिया की सफर की शुरुआत उनकी पहली फिल्म उत्तरायणम से हुई, जो कि 1974 में रिलीज हुई। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और कंचना सीता,  चिदंबरम, थंपू, ओरिदाथु जैसी कई फिल्मों का निर्माण किया। अपनी फिल्मों के जरिए उन्होंने समाज की समस्या को उजागर किया। 

इसे भी पढ़ें
'द लीजेंड्स ऑफ खासक' से मिली ओवी विजयन को पहचान, एक कार्टूनिस्ट जिन्होंने बदल दी मलयालम साहित्य की दिशा

भारतीय कार्टून आर्ट के पितामह माने जाते थे के शंकर पिल्लई, बच्चों से था खास लगाव


 

Share this article
click me!

Latest Videos

Google CEO सुंदर पिचाई ने Donald Trump को किया फोन, बीच में शामिल हो गए Elon Musk और फिर...
महाराष्ट्र-झारखंड में किसकी बनेगी सरकार, चौंका रहे एग्जिट पोल। Maharashtra Jharkhand Exit Poll
अडानी पर लगा रिश्वतखोरी का आरोप, बॉन्ड पेशकश रद्द! जानें क्या है पूरा मामला?
Maharashtra Jharkhand Exit Poll से क्यों बढ़ेगी नीतीश और मोदी के हनुमान की बेचैनी, नहीं डोलेगा मन!
UP By Election: Meerapur ककरौली SHO ने Muslim महिलाओं पर तान दी पिस्टल। Viral Video। Akhilesh Yadav