9 years of Modi government: मोदी सरकार के वह ऐतिहासिक फैसले जो दशकों के लिए लैंडमार्क बनें...

नरेंद्र मोदी का 30 मई को भारत के प्रधान मंत्री के रूप में नौ साल पूरा होगा। 9 साल की प्रधानमंत्री के रूप में उनकी यात्रा कई महत्वपूर्ण घटनाओं की गवाह है। मोदी, दुनिया के सबसे विशाल जनसंख्या वाले देश के साथ सबसे बड़े लोकतंत्र के मुखिया हैं।

Dheerendra Gopal | Published : May 26, 2023 12:43 PM IST / Updated: May 26 2023, 07:01 PM IST

9 years of PM Narendra Modi government: नरेंद्र मोदी सरकार अपने दसवें साल में प्रवेश कर रही है। नरेंद्र मोदी का 30 मई को भारत के प्रधान मंत्री के रूप में नौ साल पूरा होगा। 9 साल की प्रधानमंत्री के रूप में उनकी यात्रा कई महत्वपूर्ण घटनाओं की गवाह है। मोदी, दुनिया के सबसे विशाल जनसंख्या वाले देश के साथ सबसे बड़े लोकतंत्र के मुखिया हैं। इन नौ सालों में मोदी सरकार ने कई बड़े फैसले लिए हैं। आईए उन ऐतिहासिक फैसलों पर एक नजर डालते हैं...

1. जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा खत्म करना, अनुच्छेद 370 की समाप्ति

जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा खत्म करते हुए 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद-370 और 35ए को खत्म किया। साथ ही जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेश में बांटने का ऐलान किया। धरती के स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बदल दिया।

2. तीन तलाक को किया अवैध घोषित

30 जुलाई, 2019 को भारत के संसदीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। बहुचर्चित तीन तलाक बिल को पास कर कानून बनाया गया। इस कानून के बन जाने के बाद मुस्लिम महिलाओं को न्याय और सम्मान से जीवन जीने का अधिकार मिला। दरअसल, मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक किसी शाप से कम नहीं माना जाता रहा है।

3. वन रैंक वन पेंशन

वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) भारतीय सशस्त्र बलों की लगभग 4 दशक पुरानी मांग थी। इसके अनुसार समान पद के सेवानिवृत सिपाहियों, जो समान अवधि की सेवा करने के बाद सेवानिवृत हुए हैं, को समान पेंशन प्राप्त होगी। 7 नवंबर 2015 को वन रैंक, वन पेंशन का आदेश जारी किया था। इसका लाभ एक जुलाई 2014 से पहले सेवानिवृत्त हुए सशस्त्र बल के सभी कर्मियों और उनके परिवारों को दिया गया। एरियर के रूप में 10,795 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।

4. नदी जोड़ो परियोजना

एनडीए सरकार ने सत्ता में आते ही नदियों को जोड़ने की दशकों पुरानी योजना पर काम शुरू किया था। सितंबर 2014 में नदियों को जोड़ने की परियोजना पर काम करने के लिए विशेष समिति बनाई। अप्रैल 2015 में नदियों को जोड़ने के लिए स्पेशल टॉस्क फोर्स का गठन किया गया था। पहली नदी-जोड़ परियोजना पर काम तेजी से चल रहा है। इस राष्ट्रीय योजना के हिस्से के रूप में 30 इंटरलिंक की पहचान की गई है। केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत पहली नदी जोड़ो परियोजना पर काम शुरू हो गया है। इस पर 44,605 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।

5. बोडो समझौते से 5 दशक बाद शांति

सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के मंत्र से एनडीए सरकार ने पूर्वोत्तर में बड़ी सफलता हासिल की। 50 साल से भी ज्यादा समय से चल रहे बोडो संकट को खत्म करने की दिशा में व्यापक समझौता हुआ। इसमें असम की क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित की गई। बोडो क्षेत्र के विकास के लिए 1500 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज दिया गया।

6. असम-अरुणाचल सीमा विवाद

असम और अरुणाचल प्रदेश ने दोनों राज्यों के बीच दशकों पुराने सीमा विवाद के समाधान को लेकर स्थानीय आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच अंतर्राज्यीय सीमा विवाद को सुलझाने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए।

7. ब्रू-रियांग शरणार्थी संकट का हल

2020 में 23 साल के ब्रू-रियांग शरणार्थी संकट को एक समझौते के माध्यम से हल किया गया था। केंद्र सरकार ने मिजोरम और त्रिपुरा के साथ त्रिपक्षीय समझौते से दो दशक पुराने ब्रू-रियांग शरणार्थी संकट का समाधान किया। त्रिपुरा में आंतरिक रूप से विस्थापित 37,000 से अधिक लोगों का पुनर्वास किया जा रहा है। असम के कार्बी क्षेत्रों पर लंबे समय से चल रहे विवाद को हल करने के लिए सितंबर 2021 में कार्बी आंगलोंग समझौते पर हस्ताक्षर। 1000 से अधिक सशस्त्र कैडरों ने हिंसा छोड़ दी और मुख्यधारा में शामिल हो गए। पूर्वोत्तर राज्यों के बीच सीमा विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझा लिया गया।

8. शांति समझौते पर हस्ताक्षर

भारत सरकार, असम सरकार और डिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी के प्रतिनिधियों के बीच 27 अप्रैल को स्थायी शांति के लिए एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता, पूर्वोत्तर को उग्रवाद मुक्त बनाने के साथ इसे शांतिपूर्ण और समृद्धशाली बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना गया है। इस समझौते के तहत DNLA के प्रतिनिधियों ने हिंसा छोड़ने, हथियार और गोला-बारूद छोड़ने, अपने सशस्त्र संगठनों को भंग करने, सभी कब्जे वाले शिविरों को खाली करने और मुख्यधारा में शामिल होने पर सहमति व्यक्त की है।

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