देश की करीब एक-तिहाई कंपनियों को पिछले एक साल के दौरान धोखाधड़ी का सामना करना पड़ा है। क्रोल की वार्षिक वैश्विक धोखाधड़ी और जोखिम रिपोर्ट में कहा गया है कि ये कंपनियां अंदर और बाहर दोनों तरह के पक्षों से धोखाधड़ी का शिकार बनी हैं।
नई दिल्ली. देश की करीब एक-तिहाई कंपनियों को पिछले एक साल के दौरान धोखाधड़ी का सामना करना पड़ा है। क्रोल की वार्षिक वैश्विक धोखाधड़ी और जोखिम रिपोर्ट में कहा गया है कि ये कंपनियां अंदर और बाहर दोनों तरह के पक्षों से धोखाधड़ी का शिकार बनी हैं।
सबसे ज्यादा डाटा चोरी का शिकार
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय कंपनियां सबसे अधिक आंकड़ों (डाटा) की चोरी का शिकार बनती हैं। रिपोर्ट कहती है कि किसी तीसरे पक्ष की वजह से 33 प्रतिशत कंपनियों की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचती है। वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा 29 प्रतिशत का है।
12 महीने में 41 % कंपनियों में डाटा चोरी
- सबसे अधिक घटनाएं डाटा चोरी की हुई। पिछले 12 माह के दौरान 41 प्रतिशत भारतीय कंपनियों को डाटा चोरी का सामना करना पड़ा। वैश्विक स्तर पर 29 प्रतिशत कंपनियां इससे प्रभावित हुईं।
- क्रोल का कहना है कि आगे चलकर भारत के लिए प्रमुख चिंता का विषय आंकड़ों की चोरी (84 प्रतिशत), प्रतिष्ठा को नुकसान (81 प्रतिशत) और प्रतिकूल सोशल मीडिया (81 प्रतिशत) गतिविधियां हैं। रिपोर्ट में शामिल ज्यादातर लोगों ने कहा कि ये तीन प्रमुख जोखिम हैं जिनसे निपटने को वे अपने संगठन में जोखिम को कम करने की रणनीति का विकास कर रहे हैं।