New Parliament Inauguration: चेन्नई से दिल्ली के लिए रवाना हुए 21 अधीनम्, जानें पीएम मोदी को कौन सा ऐतिहासिक सिंबल सौंपेंगे?

नई दिल्ली में 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इसके लिए विशेष रूप से तमिलनाडू से अधीनम् को आमंत्रित किया गया है, जो यहां पीएम मोदी को सिंबल ऑफ जस्टिस यानि सेंगोल सौंपेगे।

Manoj Kumar | Published : May 27, 2023 10:18 AM IST / Updated: May 27 2023, 04:07 PM IST

New Parliament Inauguration. नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए 21 अधीनम् चेन्नई से दिल्ली के लिए रवाना हो चुके हैं। वे 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में हिस्सा लेंगे और वैदिक रीति-रिवाज से नए संसद भवन में सेंगोल की स्थापना कराएंगे। इस कार्यक्रम के लिए धर्मापुरम अधीनम्, पलानी अधीनम्, विरूधाचलम् अधीनम्, थिरूकोयिलूर अधीनम् से जुड़े अधीनम् चेन्नई से दिल्ली के लिए निकल चुके हैं।

न्यू पार्लियामेंट हाऊस में स्थापित होगा ऐतिहासिक सेंगोल

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार यानि 28 मई 2023 को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इसी कार्यक्रम में ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के सेंगोल को लोकसभा अध्यक्ष के आसन के बगल में स्थापित किया जाएगा। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि “यह सेंगोल अंग्रेजों द्वारा भारत को किए गए ट्रांसफर ऑफ पॉवर का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि संसद भवन वह सबसे अच्छी जगह होगी, जहां इसे स्थापित किया जाना चाहिए।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस फैसले को स्वीकार किया है कि अमृत काल में सेंगोल के नेशनल सिंबल की तरह स्वीकार किया जाएगा।

मदुरई अधीनम् के मुख्य पुजारी पीएम को सौंपेगें सेंगोल

रिपोर्ट्स के अनुसार मदुरई अधीनम् के 293वें मुख्य पुजारी यह सेंगोल नए संसद भवन के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपेगे। धर्मापुरम् अधीनम् के संत पीएम मोदी को एक विशेष उपहार भी सौंपेगे। सेंगोल जिसे सिंबल ऑफ जस्टिस कहा जाता है, के बारे में बात करते हुए थिरुवावादुथुराई अधीनम् के अंबावलवना देसिगा परमचरिया स्वामिगल ने कहा कि “यह तमिलनाडु के लिए गर्व का विषय है कि सेंगोल को सही जगह दी जा रही है। उन्होंने कहा कि "यह सेंगोल लार्ड माउंटबेटेन ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को 1947 में सौंपा था। यह अच्छी बात है कि अब पीएम मोदी इसे संसद भवन में स्थापित करने जा रहे हैं, हम इसी कार्यक्रम के लिए दिल्ली जा रहे हैं और यह पीएम को सौंपा जाएगा।”

क्या कहता है थिरुवावादुथुराई अधीनम्

थिरुवावादुथुराई अधीनम् ने कहा कि “यह तमिलनाडु के गर्व का विषय है कि सिंबल ऑफ जस्टिस को नए संसद भवन में स्थापित किया जा रहा है। कुछ लोगों ने इसके बारे में गलत अफवाह उड़ाई है।” उन्होंने कहा कि “तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड माउंटबेटन ने यह सेंगोल पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को 1947 में दिया था। अब यही सेंगोल पीएम मोदी को दिया जाएगा।” गृहमंत्री अमित शाह ने सेंगोल के लिए स्पेशल वेबसाइट sengol1947.ignca.gov.in लांच किया है। इस पर सेंगोल से जुड़ी डिटेल और वीडियो डाउनलोड किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि भारत के लोग इसे देखें और इस ऐतिहासिक इवेंट के महत्व को समझें क्योंकि यह हम सभी के लिए गर्व का क्षण है।

दक्षिण भारत में क्या होते हैं अधीनम्

सामान्य भाषा में कहा जाए तो यह उत्तर भारत के हिंदू मठों की तरह ही होते हैं। अधीनम् की स्थापना 16वीं शताब्दी के आसपास की गई मानी जाती है। मुख्य तौर पर यह शैव सिद्धांत के विचारों को प्रचारित करते हैं। अधीनम् द्वारा शैव साहित्य का प्रकाशन होता है। तमिलनाडु में मदुरई अधीनम्, थिरूवरू अधीनम्, धर्मापुरम अधीनम् जैसे कई अधीनम् होते हैं। शैव संप्रदाय के प्रति इन अधीनम् का समर्पण होता है।

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