बंदूक की गोली हो या बम के छर्रे, हर हमले से VVIP की जान बचाएगा यह जैकेट, जानें इसकी खास बातें

ट्रूप कम्फर्ट्स लिमिटेड (टीसीएल) ने एक ऐसा जैकेट तैयार किया है जो भारत में वीआईपी सुरक्षा में क्रांति लाएगा। यह गोलियों और बम के छर्रों से VVIP की जान बचाएगा। इसका वजन 1.8 किलोग्राम है। जैकेट यूजर की जरूरत के अनुसार कई रंगों में उपलब्ध होगा। 

 

Vivek Kumar | Published : Feb 20, 2023 5:34 AM IST / Updated: Feb 20 2023, 11:08 AM IST

बेंगलुरु। हॉलीवुड फिल्म जॉन विक में एक्टर एक ऐसा सूट पहनता है जो उसे गोलियों से बचाता है। ऐसी ही खूबियों वाले एक जैकेट को भारत में तैयार किया गया है। इसे VVIP की सुरक्षा के लिए बनाया गया है। यह जैटेक हमला होने की स्थिति में VVIP को गोलियों और बम के छर्रों से बचाएगा।

ट्रूप कम्फर्ट्स लिमिटेड (टीसीएल) ने अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर इस जैकेट को बनाया है। ट्रूप कम्फर्ट्स लिमिटेड रक्षा मंत्रालय के तहत एक सरकारी उद्यम है। यह चार इकाइयों का एक समूह है, जिन्हें तत्कालीन आयुध निर्माणी बोर्ड से अलग कर बनाया गया है।

वीआईपी सुरक्षा में क्रांति लाएगा जैकेट
एयरो इंडिया 2023 में एशियानेट न्यूजेबल से बात करते हुए कंपनी के महाप्रबंधक-ऑपरेशंस राजीव शर्मा ने कहा कि यह वीआईपी सुरक्षा में क्रांति लाएगा। जैकेट को खासतौर पर VVIP के लिए तैयार किया गया है। इसका वजन 1.8 किलोग्राम है। जैकेट यूजर की जरूरत के अनुसार कई रंगों में उपलब्ध होगा। यह आरामदायक है।

पांच साल है जैकेट की शेल्फ लाइफ
राजीव शर्मा ने कहा कि जैकेट अल्ट्रा हाई मॉलिक्यूलर वेट पॉलीएथलीन से बना है। इसका इस्तेमाल सॉफ्ट आर्मर पैनल के रूप में किया गया है। यह जैकेट पिस्टल या रिवाल्वर की 9x19mm की गोली से बचाता है। जैकेट का बाहरी कपड़ा हाईग्रेड रेमंड सूटिंग फैब्रिक है। जैकेट की शेल्फ लाइफ पांच साल है।

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उन्होंने कहा कि इस जैकेट की मदद से TCL सिविल मार्केट में भी अपना प्रोडक्ट ला रही है। अभी तक हम सेना के लिए कपड़े, पैराशूट और अन्य सामान तैयार कर रहे थे। एयरो इंडिया 2023 में टीसीएल ने पांच नए उत्पादों का प्रदर्शन किया है। TCL द्वारा सैनिकों के लिए फायरप्रूफ और बहुत अधिक ऊंचाई पर काम आने वाले टेंट, जूते, पैराशूट, बुलेटप्रूफ वेस्ट और कोल्ड वेदर कवरिंग सिस्टम या ईसीडब्ल्यूसीएस तैयार किए जा रहे हैं। 

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ईसीडब्ल्यूसीएस का वर्तमान में सियाचिन में टेस्ट चल रहा है। इसका उपयोग 18,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर किया जाना है। यहां तापमान माइनस 50 से नीचे चला जाता है और हवा लगभग 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है। ECWCS की सात परतें हैं। टीसीएल को जल्द ही ईसीडब्ल्यूसीएस के लिए भारतीय सेना से ऑर्डर मिलने की उम्मीद है।

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