अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित जमीन पर रामलला का मालिकाना हक बताया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अयोध्या में मंदिर बनाने का अधिकार दिया है।
लखनऊ. अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित जमीन पर रामलला का मालिकाना हक बताया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अयोध्या में मंदिर बनाने का अधिकार दिया है।
इस फैसले के बाद उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, '' माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत है, देश की एकता व सद्भाव बनाए रखने में सभी सहयोग करें, उत्तर प्रदेश में शांति, सुरक्षा और सद्भाव का वातावरण बनाए रखने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है।''
गोरक्षापीठ के संतों की तस्वीर की शेयर
योगी आदित्यनाथ ने एक फोटो भी शेयर की। इसमें उन्होंने लिखा, गोरक्षपीठाधीश्वर युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज, परम पूज्य गुरुदेव गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज एवं परमहंस रामचंद्र दास जी महाराज को भावपूर्ण श्रद्धांजलि।
राम मंदिर आंदोलन से गोरखनाथ मठ का खास कनेक्शन
आदित्यनाथ ने जो फोटो शेयर की, उसमें गोरक्षापीठ के महंत दिग्विजयनाथ, अवेद्यनाथ और परमहंस रामचंद्र दास महाराज दिख रहे हैं। दरअसल, योगी आदित्यनाथ जिस गोरक्षापीठ के महंत हैं, उसका राम मंदिर आंदोलन से खास कनेक्शन है।
दरअसल, गोरखनाथ मठ की तीन पीढ़िया इस आंदोलन से जुड़ी रही हैं। योगी के गुरु महंत अवैद्यनाथ और अवैद्यनाथ के गुरु महंत दिग्विजय नाथ का इस आंदोलन में अहम योगदान रहा। अवैधनाथ के रामचंद्र परमहंस से अच्छे संबंध थे। परमहंस उस राम जन्मभूमि न्यास के पहले अध्यक्ष थे, जिसे मंदिर निर्माण के बनाया गया था।
राम लला प्रकट के वक्त दिग्विजयनाथ मंदिर परिसर में ही थे मौजूद
बताया जाता है कि 23 दिसंबर 1949 की सुबह जब गुंबद के ठीक नीचे वाले कमरे में रामलला की मूर्तियां मिली थीं। उस वक्त गोरखनाथ मंदिर के तत्कालीन महंत दिग्विजयनाथ कुछ संतों के साथ वहां कीर्तन कर रहे थे।