अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट केस के आरोपियों को राजनेताओं ने बताया था निर्दोष, मोदी और गुजरात पुलिस पर लगे थे आरोप

पुलिस का मानना था कि IM के आतंकियों ने 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के जवाब में ये धमाके किए। इस मामले के एक अन्य आरोपी यासिन भटकल पर पुलिस नए सिरे से केस चलाने की तैयारी में है।

नई दिल्ली। अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट 2008 केस (Ahmedabad Serial Blast 2008) में आखिरकार साजिशकर्ताओं और आरोपियों को सजा हो गई। ब्लास्ट के आरोपियों को सजा होते ही पीड़ित परिवारों का एक बार फिर न्यायतंत्र पर भरोसा कायम हुआ। न्यायापालिका के आज आए फैसले के बाद राजनीतिक दलों के कई नेताओं और उनके स्टैंड पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। ब्लास्ट के बाद जब गुजरात पुलिस ने कार्रवाई की थी तो कई राजनेताओं ने सवाल उठाए थे। अब उनके बयानों को याद कर सोशल मीडिया पर आलोचना किया जा रहा है। 

पूर्व राज्यपाल रामनरेश यादव ने दी थी सांत्वना

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अगस्त 2008 अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट मामले में गुजरात पुलिस द्वारा अबू बशर की गिरफ्तारी के बाद यूपी कांग्रेस के तत्कालीन नेता व पूर्व राज्यपाल राम नरेश यादव, बशर के घर पहुंचे थे। उन्होंने बशर के माता-पिता को सांत्वना भी दी थी। उन्होंने कथित तौर पर यह भी वादा किया था कि वह इस "गलत गिरफ्तारी" मामले को कांग्रेस आलाकमान के पास ले जाएंगे।

 

लालू यादव ने साधा था मोदी और गुजरात पुलिस पर निशाना

अबू सहित अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट मामले में 9 गिरफ्तारियों के बाद लालू प्रसाद यादव ने मीडिया से कहा कि मोदी और गुजरात पुलिस द्वारा निर्दोष लोगों को निशाना बनाया जा रहा है और निर्दोष लोगों (जैसे अबू बशर) को गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने समर्थन करते हुए कहा कि सिमी पर प्रतिबंध अनावश्यक था।

बाघेला ने बताया था आतंकियों को निर्दोष

कर्णावती क्लब में रेशम उत्सव में भाग लेते हुए, कांग्रेस नेता शंकरसिंह वाघेला ने मीडिया से कहा था कि पुलिस ने निर्दोष मुसलमानों को आतंकवादी के रूप में पकड़ा होगा। उन्होंने संभावना व्यक्त की कि सूरत में बम राजनीतिक लाभ के लिए मोदी की ब्रिगेड द्वारा लगाए गए थे।

दिग्विजय सिंह बोले-बीजेपी कराती है ब्लास्ट

दिल्ली में कांग्रेसी दिग्विजय सिंह ने अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट के बारे में अपने इंटरव्यू में कहा था कि बीजेपी जब भी मुसीबत में होती है, देश में बम धमाके होते हैं। दिग्विजय सिंह ने यह भी दावा किया था कि विहिप और आरएसएस बम बनाने में शामिल थे।

यूपी सरकार ने नहीं दी थी बशर को ले जाने की इजाजत

तत्कालीन यूपी सरकार ने गुजरात पुलिस को अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट के आरोपी अबू बशर को गुजरात ले जाने की अनुमति नहीं दी थी। मोदी सरकार ने चार्टर्ड प्लेन में दस्तावेज भेजे और कोर्ट का अनुकूल आदेश मिला। लखनऊ में सीआईएसएफ हवाई अड्डे के कर्मचारियों ने अपहरण की आशंका में गुजरात पुलिस को अबू को नियमित उड़ान में ले जाने से मना कर दिया।

गुजरात पुलिस ने इस तरह पकड़ा था अबू बशर को

अबू बशर जिसे पुलिस ने मंगनी की बात कहकर जाल में फंसाया था। फिर उसे विशेष विमान के माध्यम से गुजरात लाया गया। धमाकों के एक दिन बाद डीजीपी पीसी पांडे को बुलाया गया। तब सीएम मोदी ने प्रमुख सचिव (गृह) की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स समन्वय समिति का गठन करने का फैसला किया। फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला प्रमुख, गुजरात पुलिस प्रमुख, सचिव कानून एवं व्यवस्था और आईबी प्रमुख इस समिति के चार सदस्य थे।

इसका गठन अन्य राज्य सरकार के संबंधित विभागों के साथ समन्वय करने के लिए किया गया था जो समान विस्फोटों की जांच से निपटते हैं। तब गृह राज्य मंत्री अमित शाह ने कहा, "हम अहमदाबाद विस्फोटों को अलग-अलग तरीके से नहीं देख सकते हैं। अहमदाबाद विस्फोट आतंक के कृत्यों की राष्ट्रव्यापी श्रृंखला का हिस्सा थे।"

11 लोग पुलिस के हत्थे चढ़े और खुलने लगी जांच की परतें

15 अगस्त 2008 को गुजरात पुलिस ने 11 लोगों को गिरफ्तार किया, जिससे इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन की साजिश का पता चला। सिमी के तत्कालीन सदस्यों ने पाकिस्तान (Pakistan) में मौजूद एजेंसियों और अंडरवर्ल्ड की मदद से भारत में सिलसिलेवार विस्फोटों को अंजाम दिया था। जांच में आगे पता चला कि अहमदाबाद विस्फोटों की योजना बनाने वाले इंडियन मुजाहिदीन के सदस्यों ने मई 2008 के दूसरे हफ्ते में अहमदाबाद के वटवा इलाके में एक घर किराए पर लिया था। इसे अहमदाबाद के रहने वाले जाहिद शेख ने किराए पर लिया था।

इस घर का इस्तेमाल मुख्यालय के रूप में किया जाता था, जहां मुफ्ती अबू बशीर और मोहम्मद कयामुद्दीन अब्दुल सुभान उर्फ तौकीर समेत अन्य सदस्य इस ब्लास्ट की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने के लिए रुके थे। धमाके के एक दिन पहले 25 जुलाई 2008 को घर खाली कर दिया गया था। जांच से पता चला कि लगभग 40 मुस्लिम लड़के, जिनमें से 23 गुजरात के थे, सभी ने मई 2008 में मध्य गुजरात में ट्रेनिंग ली थी। इन धमाकों में पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ में ISI के हाथ होने के भी सबूत मिले। पुलिस का मानना था कि IM के आतंकियों ने 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के जवाब में ये धमाके किए। इस मामले के एक अन्य आरोपी यासिन भटकल पर पुलिस नए सिरे से केस चलाने की तैयारी में है।

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