Air Force Day: वायुसेना प्रमुख बोले- लड़ाकू क्षमता बनाए रखने के लिए 4.5 पीढ़ी के फाइटर प्लेन शामिल करना जरूरी

एयर फोर्स डे (Air Force Day 2022) के अवसर पर वायुसेना प्रमुख वी आर चौधरी ने कहा कि लड़ाकू क्षमता बनाए रखने के लिए आधुनिक लड़ाकू विमानों को शामिल करना जरूरी है। इसके साथ ही नए टैंकर और अवाक्स विमानों को भी शामिल करना होगा।
 

चंडीगढ़। एयर फोर्स डे (Air Force Day 2022) के अवसर पर चंडीगढ़ एयरफोर्स स्टेशन पर आयोजित कार्यक्रम में वायुसेना प्रमुख वी आर चौधरी ने कहा कि भारतीय वायु सेना की लड़ने की क्षमता बनाए रखने के लिए 4.5 पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को शामिल करते रहना जरूरी है। इसके साथ ही उन्होंने हथियारों के मामले में वायुसेना को आत्मनिर्भर बनाने के लिए की जा रही कोशिशों की भी चर्चा की। 

वायुसेना प्रमुख ने कहा कि नए आधुनिक लड़ाकू विमानों को शामिल करना जरूरी है। एयरफोर्स ने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि उसकी स्क्वाड्रन क्षमता जरूरी स्तर पर बनी रहे। 4.5 पीढ़ी के फाइटर जेट्स, हवा में इंधन भरने वाले विमानों और अवाक्स को शामिल करके हमारी युद्ध क्षमता को बनाए रखना होगा। 

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कम हो रही है स्क्वाड्रन संख्या
दरअसल, भारतीय वायुसेना को कम हो रही विमानों की संख्या से जूझना पड़ रहा है। सरकार ने चीन और पाकिस्तान से एक साथ जंग होने की स्थिति में वायु सेना को लड़ाकू विमानों के 42 स्क्वाड्रन रखने की स्वीकृति दी है, जबकि वर्तमान में स्क्वाड्रन की संख्या गिरकर 30 तक पहुंच गई है। भारतीय वायु सेना को 4-5 पीढ़ी के 114  फाइटर जेट की खरीद के लिए टेंडर जारी करने के लिए सरकार से मंजूरी का इंतजार है। ये विमान पिछले दो से तीन साल में शामिल किए गए राफेल फाइटर जेट्स के बराबर या उससे अधिक ताकतवर होंगे।

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AMCA के विकास के लिए प्रतिबद्ध है वायुसेना
वीआर चौधरी ने कहा कि IAF ने 83 LCA Mk 1A के लिए कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है। LCA Mk-II और पांचवीं पीढ़ी के उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (AMCA) के विकास के लिए भी वायु सेना पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। वायुसेना की क्षमता बढ़ाने के लिए स्वदेशी 6 अवाक्स (Airborne Early Warning and Control aircraft) मार्क- II की खरीद को मंजूरी दी गई है। हम यूएवी, काउंटर मानव रहित हवाई प्रणाली की तकनीक और हमारे नेटवर्क को मजबूत करने के लिए सक्रिय रूप से अधिग्रहण कर रहे हैं। आधुनिक सशस्त्र बलों को न्यूनतम व्यवधान सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त रूप से आत्मनिर्भर होना होगा। इस दिशा में आत्मानिभर्ता और मेक इन इंडिया सही दिशा में एक कदम है।

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