कंपनी की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि केवल ब्रांड नाम विमल का उपयोग अप्रत्यक्ष विज्ञापन के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है और उनका उत्पाद 100 प्रतिशत तंबाकू मुक्त है और इसलिए COTPA अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं होते।
नई दिल्ली। प्रतिबंधित उत्पाद का विज्ञापन करने के मामले में सोमवार को फिल्म अभिनेता अजय देवगन को बड़ी राहत मिली है। अदालत ने पाया कि प्रतिबंधित विज्ञापन अभिनेता ने नहीं किया है। इसलिए उनको न्यायालय ने विज्ञापन अभियान जारी रखने को कहते हुए किसी प्रकार का कोई प्रतिबंध नहीं लगाया।
प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए दिया गया था यह तर्क
केस की सुनवाई के दौरान अभिनेता अजय देवगन के विज्ञापन अभियान पर रोक लगाने की मांग करते हुए बताया कि विज्ञापन में शामिल होकर अजय देवगन ने भी कानून का उल्लंघन किया है। DGHS ने 3 मार्च, 2018 को एक ईमेल के माध्यम से देवगन को भी एक नोटिस दिया था।
कंपनी ने दी यह दलील
लेकिन कंपनी की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि केवल ब्रांड नाम विमल का उपयोग अप्रत्यक्ष विज्ञापन के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है और उनका उत्पाद 100 प्रतिशत तंबाकू मुक्त है और इसलिए COTPA अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं होते। कंपनी ने यह भी दलील दी कि इलायची उत्पाद का विज्ञापन किसी मशहूर हस्ती के समर्थन से प्रतिबंधित नहीं है और न ही सीओटीपीए अधिनियम का उल्लंघन है। इसने कहा कि उत्पाद का प्रमुख घटक केसर है।
क्या कहा न्यायाधीश ने?
अतिरिक्त जिला न्यायाधीश राजिंदर सिंह ने कंपनी को विज्ञापन अभियान जारी रखने की अनुमति देते हुए कहा कि भले ही सीओटीपीए अधिनियम तंबाकू विज्ञापनों के प्रदर्शन और तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर रोक लगाता है, लेकिन अप्रत्यक्ष विज्ञापन के संबंध में कोई विशेष प्रतिबंध नहीं है। न्यायाधीश ने कहा कि उत्पाद में कोई तंबाकू या अन्य प्रतिबंधित पदार्थ होने का आरोप नहीं है। विचाराधीन उत्पाद की बिक्री का आंकड़ा अधिक है और प्रथम दृष्टया, यह एक स्वतंत्र सुव्यवस्थित उत्पाद है। उन्होंने कहा कि गुटखे की बिक्री पूरे देश में प्रतिबंधित है। वादी के पास अप्रत्यक्ष विज्ञापन के माध्यम से अपने तंबाकू उत्पादों का विज्ञापन करने का कोई कारण या अवसर नहीं है।
न्यायाधीश ने कहा कि यदि मुकदमे के लंबित रहने के दौरान उत्पाद के विज्ञापन को रोक लगा दी जाती है, तो इससे राजस्व के साथ-साथ साख का नुकसान होगा जो कि अपूरणीय होगा। उन्होंने कंपनी को विज्ञापन अभियान जारी रखने का आदेश दिया कि ‘सीओटीपीए अधिनियम की धारा 5 के तहत 1 मार्च, 2018 की तिथि वाले नोटिस पर वाद की अंतिम सुनवायी तक रोक लगाई जाती है।
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