बच्ची के अपमान पर केरल सरकार का रुख ' गुगली' जैसा, पुलिस के आचरण से खाकी का अहंकार झलकता है : केरल हाईकोर्ट

Published : Dec 20, 2021, 07:33 PM ISTUpdated : Dec 20, 2021, 07:38 PM IST
बच्ची के अपमान पर केरल सरकार का रुख ' गुगली' जैसा, पुलिस के आचरण से खाकी का अहंकार झलकता है  : केरल हाईकोर्ट

सार

घटना 27 अगस्त 2021 की है। इस दिन अत्तिंगल निवासी जयचंद्रन और 8 साल की उनकी बेटी मूनुमुक्कू में कहीं जा रहे थे। इस बीच ट्रैफिक पुलिस (Trafic Police) के साथ लगी महिला पिंक पुलिस अधिकारी रजिता ने दोनों पर मोबाइल फोन (Mobile Phone) चोरी करने का आरोप लगाया और परेशान किया। इसका एक वीडियो वायरल हुआ था। बाद में फोन महिला अधिकारी की गाड़ी में ही मिला था।

कोच्चि। केरल हाईकोर्ट (Kerala High court) ने सोमवार को राज्य सरकार के उस बयान को 'स्पिन' या 'गुगली' करार दिया, जिसमें उसने कहा था कि रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे यह साबित हो कि पिंक पुलिस अधिकारी ने अगस्त में एक पिता और उसकी 8 वर्षीय बेटी पर फोन चुराने का आरोप लगाया था और बच्ची को अपमानित किया था। इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि लड़की सार्वजनिक कानून के तहत मुआवजे की हकदार है और सरकार बताए कि वह कितनी राशि देगी। कोर्ट ने पहले कहा था कि पिंक पुलिस अधिकारी के आचरण से खाकी के शुद्ध अहंकार का संकेत मिलता है। मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा कि रिकॉर्ड में ऐसी कोई सामग्री नहीं है कि एक पिंक पुलिस अधिकारी ने लड़की को रोका या उसे अपमानित किया, जिससे उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ। ऐसा भी कुछ नहीं हुआ, जिससे वह सार्वजनिक कानून के तहत मुआवजे की हकदार हो। 

इस पर हाईकोर्ट ने कहा- न तो राज्य को और न ही पुलिस को इस तरह का रुख अपनाना चाहिए, जबकि महिला पिंक पुलिस अधिकारी पहले ही स्वीकार कर चुकी है कि उसने अपना फोन मिलने तक पिता-पुत्री को घटनास्थल पर रोके रखा था। कोर्ट ने कहा कि महिला अधिकारी ने यह भी स्वीकार किया था कि भीड़ जमा होने से पहले ही बच्ची रोने लगी थी, लेकिन पुलिस महानिरीक्षक (IGP) के हलफनामे में कहा गया कि लड़की वहां लोगों द्वारा मजाक उड़ाए जाने के बाद ही रोई। 

महिला पुलिस अफसर के सब स्वीकारने के बाद बहस क्यों
कोर्ट ने कहा- आप पुलिस अधिकारी द्वारा सब कुछ स्वीकार करने के बाद यह सब बहस कर रहे हैं। आपके अनुसार, बच्ची को अपमानित नहीं किया गया था और वह भीड़ द्वारा उपहास उड़ाए जाने के कारण रोने लगी थी। राज्य द्वारा एक नया ‘स्पिन' बनाया जा रहा है। यह एक अच्छा ‘स्पिन' है, एक ‘गुगली' है। कोर्ट ने कहा कि आईजीपी ने अपने हलफनामे में अपने द्वारा देखे गए वीडियो का भी उल्लेख किया है, लेकिन इसे रिकॉर्ड में क्यों नहीं रखा गया? अदालत ने आईजीपी द्वारा देखे गए वीडियो को 22 दिसंबर को सुनवाई की अगली तारीख से पहले रिकॉर्ड में रखने के आदेश दिए। 

क्या है मामला : 
यह घटना 27 अगस्त 2021 को हुई थी। इस दिन अत्तिंगल निवासी जयचंद्रन और 8 साल की उनकी बेटी मूनुमुक्कू में कहीं जा रहे थे। इस बीच ट्रैफिक पुलिस के साथ लगी महिला पिंक पुलिस अधिकारी रजिता ने दोनों पर मोबाइल फोन चोरी करने का आरोप लगाया। इसका एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें अधिकारी और उनके सहयोगी पिता-पुत्री को परेशान करते और उनकी तलाशी लेते हुए दिखाई देते हैं। इस दौरान बच्ची रोने लगती है। हालांकि, जब वहां मौजूद एक व्यक्ति ने महिला अधिकारी का नंबर डायल किया, तो मोबाइल फोन पुलिस वाहन में ही मिला, जिसके बाद पुलिस टीम पिता और बेटी से माफी मांगे बिना ही वहां से चली गई। इसके बाद अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत महिला अधिकारी का तबादला कर दिया गया और राज्य के पुलिस प्रमुख ने उसे व्यवहार प्रशिक्षण से गुजरने का निर्देश दिया। 

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