अनुच्छेद 370 खत्म: जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल राज्यसभा में पास, पक्ष में 125 वोट पडे़

गृह मंत्री अमित शाह ने धारा 370 और 35ए पर हुई चर्चा का राज्यसभा में जवाब दिया। शाह ने कहा कि पाकिस्तान से आने वाला शरणार्थी भारत का प्रधानमंत्री तो बन सकता है, लेकिन कश्मीर का नागरिक नहीं बन सकता। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 5, 2019 12:48 PM IST / Updated: Aug 05 2019, 08:11 PM IST

नई दिल्ली.  मोदी सरकार ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटा दिया। इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में अनुच्छेद 370 हटाने का संकल्प पेश किया। राष्ट्रपति ने इसे मंजूर कर दिया। इसके साथ ही राज्य के पुनर्गठन का रास्ता भी साफ हो गया। शाह ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक भी पेश किया। इसके पक्ष में 125 वोट पड़े, विरोध में 61 वोट डाले गए। सरकार अब इसे लोकसभा में पास कराएगी। हालांकि, लोकसभा में यह आसानी से पास हो जाएगा। इससे पहले जम्मू-कश्मीर आरक्षण संसोधन बिल ध्वनिमत के साथ पास हुआ। 

 चर्चा के जवाब में शाह ने भरोसा दिलाया कि जम्मू-कश्मीर हमेशा केंद्र शासित राज्य नहीं रहेगा। वहां, हालात सामान्य होने पर हम इसे दोबारा राज्य बनाने पर विचार करेंगे। शाह ने कहा कि हम पांच साल में सबसे विकसित राज्य बनाएंगे। यहां बच्चे स्कूल जाएंगे। कश्मीर खिलेगा। 

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'पाक से आने वाले शरणार्थी भारत के प्रधानमंत्री बने'
शाह ने कहा, ''पाकिस्तान से आने वाला शरणार्थी भारत का प्रधानमंत्री तो बन सकता है, लेकिन कश्मीर का नागरिक नहीं बन सकता। उन्होंने कहा, बंटवारे के बाद देशभर में पाकिस्तान से निराश्रित आए। कुछ पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर और देश के बाकी हिस्सों में गए। जम्मू-कश्मीर में जो शरणार्थी गए, उन्हें आज तक वहां की नागरिकता भी नहीं मिली। वहीं, देश में पाकिस्तान से आने वाले शरणार्थी भारत के प्रधानमंत्री जरूर बने। मनमोहन सिंह और इंद्र कुमार गुजराल।''

'जम्मू-कश्मीर के विकास और शिक्षा में भी धारा 370 बाधक बनी'
शाह ने कहा, ''सदन में सदस्यों ने अलग-अलग प्रकार से अपने विचार रखे। ज्यादातर बातें तकनीकी पहलुओं पर हुईं, उसकी उपयोगिता पर नहीं। धारा 370 हटने से भारत और विशेषकर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को क्या मिलने वाला है वो किसी ने नहीं कहा। धारा 370 ने घाटी के लोगों का नुकसान किया। गृह मंत्री ने कहा,  370 की वजह से वहां लोकतंत्र नहीं पनपा, भ्रष्टाचार चरम सीमा पर पहुंच गया। गरीबी घर गई घाटी में, घाटी के गांवों को देखो तो आंखों में आंसू आ जाते हैं। जम्मू-कश्मीर के विकास और शिक्षा में भी धारा 370 बाधक है। ये महिला, दलित और आदिवासी विरोधी है। आतंकवाद की जड़ भी यही धारा 370 ही है।''

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धारा 370 के चलते पंचायत और नगरपालिका के चुनाव भी नहीं होते थे 
उन्होंने कहा, ''पंचायत और नगरपालिका के चुनाव नहीं होते थे। 40 हजार से ज्यादा पंच-सरपंच का अधिकार 70 साल तक ले लिया, इसका जिम्मेदार कौन था। इसका कारण धारा 370 थी। राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद जब यह चुनाव हुए तो पंच-सरपंच बने और उनके पास विकास के लिए 3500 करोड़ रुपए पहुंचे। वहां हर धर्म के लोग रहते हैं। धारा 370 अच्छी है तो सबके लिए अच्छी है और बुरी है तो सबके लिए बुरी है।''

धारा 370 ना होती तो 41,849 लोग मारे ना जाते
शाह ने कहा, ''आतंकवाद बढ़ा, पनपा और चरमसीमा पर पहुंचा पर अब वो धीरे-धीरे नीचे आ रहा है। समय-समय पर 370 के भूत ने वहां अलगाववाद को मानने वाले युवाओं को गुमराह किया और उनमें नाराजगी की भावना भरी। पाकिस्तान ने इसका इस्तेमाल कर आतंकवाद को बढ़ाया। आज तक 41400 से ज्यादा लोग मारे गए। क्यों मारे गए? आप कहते हैं कि हमारी पॉलिसी ठीक नहीं? लेकिन, किसकी पॉलिसी की वजह से ये लोग मारे गए। जवाहरलालजी जो पॉलिसी बनाकर गए थे, वह चल रही है। पाकिस्तान ने कहा था कि 370 जब तक है कश्मीर का युवा भारत के साथ नहीं जुड़ सकता और इनका इस्तेमाल करने के लिए आप संगठन खड़ा करें। आतंकवादी पूरे देश में आतंकवाद फैलाना चाहते हैं, लेकिन गुजरात, बिहार, ओडिशा का युवा गुमराह नहीं होता, क्योंकि वहां 370 नहीं है। कश्मीर के युवाओं को गुमराह किया गया है।''

धारा 370 के जितने वकील हैं, वे अपने बच्चों को विदेश में पढ़ा रहे हैं
गृह मंत्री ने कहा, ''धारा 370 के जितने वकील हैं, इनके बेटे कहां पढ़ते हैं जरा पूछो? इन्होंने अपना तो सब अच्छे से कर लिया, लेकिन घाटी के युवा को इन्होंने कुछ नहीं दिया। 370 जब तक है, तब तक कश्मीर से आतंकवाद की समाप्ति नहीं हो सकती है। हम घाटी के युवाओं को गले लगाना चाहते हैं, उसे भविष्य, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, संपन्नता देना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि जैसे भारत का विकास हुआ, वैसे ही कश्मीर का भी विकास हो। नेहरूजी ने भी कहा था कि 370 घिसते-घिसते घिस जाएगी, लेकिन उन्होंने इतने जतन से रखा कि ये 70 साल में घिसी नहीं। टेम्परेरी शब्द 70 साल तक कैसे चला, इस प्रावधान को कैसे चलाना है। सरदार पटेल पर ये आरोप लगाए गए कि वे जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान को देना चाहते थे। उन्होंने देश की रियासतों को जोड़ा।''

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