शनिवार को 6 घंटे तक चली सुनवाई के बाद अर्नब गोस्वामी की जमानत के फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुरक्षित रख लिया है। फिलहाल अर्नब को अभी जेल में ही रहना होगा।
मुंबई/नई दिल्ली. रिपब्लिक ग्रुप के एडीटर इन चीफ की जमानत याचिका पर 7 नवंबर को बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। 6 घंटे तक चली सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने जमानत के फैसले को सुरक्षित रख लिया है। अर्नब को अभी जेल में ही रहना होगा। फिलहाल, कोर्ट ने अर्नब को राहत देते हुए कहा, वो चाहें तो लोअर कोर्ट में पिटिशन दाखिल कर सकते हैं। हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट से कहा- अगर इनकी तरफ से याचिका दाखिल की जाती है तो उसपर 4 दिन के अंदर फैसला दे दिया जाए। बता दें, इससे पहले अर्नब ने दावा किया था कि पुलिस ने उन्हें जूते से मारा। पानी तक नहीं पीने दिया। सुनवाई के दौरान अर्नब के वकील ने कोर्ट में सप्लीमेंट्री एप्लिकेशन लगाई थी।। इसके अलावा अर्नब ने अपने हाथ में 6 इंच गहरा घाव होने, रीढ़ की हड्डी और नस में चोट होने का दावा भी किया है। अर्नब ने कहा, पुलिस ने गिरफ्तारी करते समय उन्हें जूते पहनने का भी वक्त नहीं दिया।
अर्नब को महाराष्ट्र पुलिस ने इंटीरियर डिजाइनर अन्वय और उनकी मां को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया था। यह मामला दो साल पहले ये केस बंद हो चुका था। उधर, अर्नब ज्यूडिशियल कस्टडी में हैं। हालांकि, उन्हें जमानत याचिका पर कोर्ट के फैसले से पहले जेल नहीं भेजा गया है। वे 3 रातों से अलीबाग के एक स्कूल में बने कोविड सेंटर में हैं।
हाईकोर्ट ने निचली अदालत को चार दिन में फैसला देने को कहा
बॉम्बे हाई कोर्ट ने शनिवार को अर्नब गोस्वामी की जमानत याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए कहा कि गोस्वामी को निचली अदालत में जमानत याचिका दायर करने की स्वतंत्रता दी जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि अदालत 4 दिनों के भीतर अर्नब की याचिका पर फैसला दे।
शुक्रवार को भी हुई थी सुनवाई
इससे पहले शुक्रवार को रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी की जमानत याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट में भी सुनवाई हुई। हालांकि, कोर्ट ने जमानत याचिका पर सुनवाई शनिवार 12 बजे तक टाल दी थी। कोर्ट ने कहा था कि जब तक सभी पक्षों को नहीं सुन लेती, तब तक कोई आदेश पारित नहीं करेगी।
- इससे पहले गुरुवार को भी सुनवाई हुई थी, लेकिन कोर्ट ने शिकायतकर्ता का पक्ष सुनने के लिए कहा था। अर्नब पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगा है। अर्नब गोस्वामी को अलीबाग अदालत ने बुधवार को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
गिरफ्तारी को दी चुनौती
इस मामले में बुधवार को अर्नब गोस्वामी ने महाराष्ट्र पुलिस की अवैध गिरफ्तारी को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी। न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एम एस कर्णिक की बेंच ने इस संबंध में गुरुवार की दोपहर 3 बजे सुनवाई शुरू की। कोर्ट ने यह कहकर अर्नब की याचिका को टाल दिया कि जब तक वे शिकायतकर्ता और महाराष्ट्र सरकार को नहीं सुन लेते तब तक अंतरिम आदेश पारित नहीं किया जा सकता है।
जमानत याचिका में क्या लिखा है?
याचिका में कहा गया है कि अर्नब की गिरफ्तारी उनकी स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का हनन है। इसमें कहा गया है कि मुंबई पुलिस के लगभग 20 अधिकारियों द्वारा उनके घर से बाहर निकाला गया। कथित रूप से गाड़ी में घसीटा गया था। इस प्रक्रिया में गोस्वामी के बेटे पर हमला किया गया। याचिका में कहा गया कि यह चौंकाने वाला है कि एक ऐसा मामला जो बंद था, उसे फिर से क्यों खोला गया? पुलिस ने गोस्वामी पर हमला किया।
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को लगाई फटकार
महाराष्ट्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट में झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को विशेषाधिकार हनन मामले में अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। अब इस मामले की सुनवाई आज यानि शनिवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में होगी। दरअसल, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा सचिव को अवमानना का नोटिस भी जारी किया है। कोर्ट ने पूछा कि महाराष्ट्र विधानसभा सचिव के खिलाफ अदालत की अवमानना का कारण बताओ नोटिस क्यों जारी किया जाना चाहिए।
अर्नब केस का मामला सुप्रीम कोर्ट कैसे पहुंचा?
दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा की ओर से अर्नब गोस्वामी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस जारी हुआ था, जिसके खिलाफ अर्नब सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। इसके बाद अर्नब को महाराष्ट्र विधानसभा के सचिव ने लेटर भेजा।
किस आरोप में अर्नब की गिरफ्तारी हुई?
अर्नब पर एक मां और बेटे को खुदकुशी के लिए उकसाने का आरोप लगा है। मामला 2018 का है। 53 साल के एक इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उसकी मां ने आत्महत्या कर ली थी। मामले की जांच सीआईडी की टीम कर रही है। कथित तौर पर अन्वय नाइक के लिखे सुसाइड नोट में कहा गया था कि आरोपियों (अर्नब और दो अन्य) ने उनके 5.40 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं किया था, इसलिए उन्हें आत्महत्या का कदम उठाना पड़ा।