1900 में इलेक्ट्रिक ट्रॉम को मिला विस्तार
साल 1900 में ट्रॉमवे का इलेक्ट्रिफिकेशन शुरू किया गया। भाप से बिजली में इसे तब्दील किया गया। 1902 में 27 मार्च को एशिया में पहली इलेक्ट्रिक ट्रॉमकार एस्प्लेनेड से किडरपोर तक चली। 1903-1904 में कालीघाट और बागबाजार के कनेक्शन सहित नए रूट्स पर इसे चलाया जाने लगा। इसी के साथ ट्रॉमवे नेटवर्क कोलकाता के लोगों की लाइफलाइन बन गई।
20वीं सदी हावड़ा ब्रिज बनने के बाद ट्रॉम नेटवर्क और बढ़ा
1943 में हावड़ा ब्रिज का निर्माण पूरा हुआ तो ट्राम नेटवर्क के कलकत्ता और हावड़ा खंडों को जोड़ा जिससे कुल ट्रैक की लंबाई लगभग 67.59 किमी हो गई।