Tokyo Paralympic टीम से बोले मोदी-नई सोच का भारत खिलाड़ियों पर मेडल का दबाव नहीं बनाता, बस अपना 100% देना है

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी टोक्यो 2020 पैरालंपिक खेल (Tokyo 2020 Paralympic Games) में भाग लेने वाले भारतीय पैरा-एथलीट दल के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत की।

Asianet News Hindi | Published : Aug 17, 2021 2:04 AM IST / Updated: Aug 17 2021, 03:33 PM IST

नई दिल्ली. 24 अगस्त से 5 सितंबर तक टोक्यो में होने जा रहे पैरालंपिक गेम्स (Tokyo 2020 Paralympic Games) में शामिल होने जा रहे खिलाड़ियों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये चर्चा की। भारत से 9 खेल विधाओं के 54 पैरा-एथलीट राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए टोक्यो जाएंगे। यह पैरालंपिक खेलों में भारत का अब तक का सबसे बड़ा दल है। केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर भी कार्यक्रम में मौजूद रहे। मोदी ने कहा कि अगर समर्पण और परिश्रम हो, तो किसी भी काम में उम्र बाधा नहीं बन सकती है।

नई सोच का भारत मेडल का दबाव नहीं बनाता
मोदी ने कहा-नई सोच का भारत खिलाड़ियों पर मेडल का दबाव नहीं बनात, बस अपना 100% देना है। मेडल तो अपनी मेहनत से आने ही वाले हैं। ओलंपिक में कुछ खिलाड़ी मेडल लाए और कुछ चूके भी। लेकिन देश सबके साथ खड़ा रहा। भले ही आपकी मुश्किलें बढ़ गई हों, लेकिन आप लोगों ने कभी हार नहीं मानी, यही असली खेल भावना है। आपकी जीत, आपका पदक बहुत महत्वपूर्ण है।

पैरालंपिक में बनेगा नया इतिहास
मोदी ने कहा-आप सभी से बात करके मेरा विश्वास बढ़ गया है कि भारत इस बार  पैरालंपिक खेलों में भी नया इतिहास बनाने जा रहा है। मैं सभी खिलाड़ियों और सभी कोच को सफलता के लिए ढ़ेरों शुभकामनाएं देता हूं। मैं देख रहा हूं कि आपका आत्मबल और कुछ हासिल करके दिखाने की आपकी इच्छाशक्ति असीम है।

गुजरात के पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी से बात
मोदी ने गुजरात के पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी पारुल दलसुखभाई परमार से बातचीत की। मोदी ने कहा-"आप अगले 2 वर्षों में 50 वर्ष के हो जाएंगे। आपने अपनी फिटनेस पर कड़ी मेहनत की है। मुझे लगता है कि आप इस बार अपने भाई को रक्षा बंधन का उपहार देंगे। देवेंद्र झाझरिया ने मोदी से कहा-मेरे परिजनों ने खेल छोड़कर पढ़ाई पर ध्यान देने को कहा था, लेकिन मैंने इसे चुनौती के रूप में लिया। इस पर माेदी ने उनके हौसले की तारीफ की।

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आत्मबल और इच्छाशक्ति की सराहना
प्रधानमंत्री ने पैरा एथलीटों के आत्‍मबल और उनकी इच्‍छाशक्ति की सराहना की। उन्‍होंने पैरालंपिक खेलों में हिस्सा लेने जा रहे अब-तक के सबसे बड़े दल के लिए एथलीटों की कड़ी मेहनत को श्रेय दिया। उन्‍होंने कहा कि पैरा एथलीटों के साथ बातचीत के बाद उन्‍हें उम्‍मीद है कि भारत टोक्‍यो 2020 पैरालंपिक खेलों में एक नया इतिहास रचेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का नया भारत पदकों के लिए एथलीटों पर दबाव नहीं डालता, बल्कि उनसे उनका सर्वश्रेष्‍ठ देने की उम्‍मीद करता है। हाल के ओलंपिक्‍स का उल्‍लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि एथलीट अपने प्रयासों में जीतें या हारें, देश हमेशा उनके साथ खड़ा है।   

शारीरिक शक्ति के साथ मानसिक शक्ति के महत्व पर चर्चा
प्रधानमंत्री ने मैदान में शारीरिक शक्ति के साथ-साथ मानसिक शक्ति के महत्व पर भी चर्चा की। उन्होंने पैरा एथलीटों की उनकी परिस्थितियों से उबरने और उनके बावजूद आगे बढ़ने के लिए प्रशंसा की। खेलने के अवसरों (एक्सपोजर) की कमी और नई जगह, नए लोगों एवं अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों जैसे मुद्दों को ध्यान में रखते हुए, दल के लिए खेल मनोविज्ञान संबंधी कार्यशाला और संगोष्ठियों के माध्यम से तीन सत्र आयोजित किए गए।

दूरदराज की प्रतिभाओं की सराहना
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे गांव और दूरदराज के इलाके प्रतिभा से भरे हुए हैं और पैरा एथलीटों का दल इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। उन्होंने कहा कि हमें अपने युवाओं के बारे में सोचना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि उन्हें सभी संसाधन एवं सुविधाएं मिलें। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन क्षेत्रों में कई युवा खिलाड़ी हैं जिनमें पदक जीतने की क्षमता है। आज देश उन तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है, ग्रामीण क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने बताया कि स्थानीय प्रतिभाओं की पहचान करने के लिए देश भर में 360 खेलो इंडिया केंद्र स्थापित किए गए हैं। जल्द ही यह संख्या बढ़ाकर 1,000 कर दी जाएगी। खिलाड़ियों को उपकरण, मैदान और अन्य संसाधन तथा बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराया जा रहा है। देश खुले दिल से अपने खिलाड़ियों की मदद कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, 'टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम' (टॉप्स) के जरिए देश ने जरूरी सुविधाएं दीं और लक्ष्य निर्धारित किए।

पुराने डर को मन से निकालें
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि अगर देश को खेलों में शीर्ष तक पहुंचना है, तो हमें उस पुराने डर को मन से निकालना होगा जो पुरानी पीढ़ी के मन में बैठ गया था। किसी बच्चे का अगर खेल में ज्यादा मन लगता तो घर वालों को चिंता हो जाती थी कि वह आगे क्या करेगा? क्योंकि एक-दो खेलों को छोड़कर खेल हमारे लिए सफलता या करियर का पैमाना ही नहीं रह गए थे। इस मानसिकता को, असुरक्षा की भावना को तोड़ना हमारे लिए बहुत जरूरी है। 

तरीके और प्रणाली में सुधार पर जोर
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि हमें भारत में खेल संस्कृति को विकसित करने के लिए अपने तरीकों और प्रणाली में सुधार करते रहना होगा। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय खेलों को बढ़ावा देने के साथ-साथ पारंपरिक खेलों को नई पहचान मिल रही है। उन्होंने मणिपुर की राजधानी इम्फाल में खेल विश्वविद्यालय की स्थापना, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में खेलों की स्थिति और खेलो इंडिया आंदोलन का इस दिशा में उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों के तौर पर उल्लेख किया।

एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना पर जोर
प्रधानमंत्री ने पैरा एथलीटों से कहा कि चाहे वे किसी भी खेल का प्रतिनिधित्व करते हों, वे एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को मजबूत करते हैं। उन्होंने कहा, “आप जिस भी राज्य, क्षेत्र से ताल्लुक रखते हो, जो भी भाषा बोलते हो, उन सबसे ऊपर, आज आप 'टीम इंडिया' हैं। यह भावना हमारे समाज के हर क्षेत्र में होनी चाहिए, हर स्तर पर दिखनी चाहिए।

दिव्यांगजनों को सुविधाएं देना दायित्व
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले दिव्यांगजनों को सुविधाएं देना कल्याणकारी समझा जाता था, लेकिन आज देश इसे अपना दायित्व मानकर काम कर रहा है। इसलिए देश की संसद ने दिव्यांगजनों को व्यापक सुरक्षा प्रदान करने के लिए 'दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम' जैसा कानून बनाया। उन्होंने कहा कि 'सुगम्य भारत अभियान' इस नई सोच का सबसे बड़ा उदाहरण है। आज सैकड़ों सरकारी भवनों, रेलवे स्टेशनों, ट्रेन के डिब्बों, घरेलू हवाई अड्डों और अन्य बुनियादी ढांचे को दिव्यांगों के अनुकूल बनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय साइन लैंग्वेज का मानक शब्दकोश, एनसीईआरटी का साइन लैंग्वेज अनुवाद जैसे प्रयास जीवन बदल रहे हैं और साथ ही बहुत सारी प्रतिभाओं को यह भरोसा मिल रहा है कि वे देश के लिए कुछ कर सकते हैं।

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सोमवार को ओलंपिक खिलाड़ियों के साथ किया था ब्रेकफास्ट
सोमवार को प्रधानमंत्री ने Tokyo Olympics 2020 में भारत का गौरव बढ़ाने वाली टीम के साथ चाय-नाश्ते पर चर्चा की थी। यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री के आवास 7, लोक कल्याण मार्ग पर हुआ था। बता दें कि ओलंपिक टीम को 15 अगस्त के दिन लाल किले पर आयोजित मुख्य कार्यक्रम में भी बुलाया गया था। 

15 अगस्त पर बोले थे मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से अपने स्वतंत्रता दिवस (75th Independence Day) भाषण में टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारत का नाम रोशन करने वाले एथलीट्स की सराहना करते हुए कहा था कि देश को गौरवान्वित करने के लिए उन पर गर्व है और उनकी उपलब्धि ने भविष्य की पीढ़ी को प्रेरित किया है। पीएम ने अपने भाषण में कहा था कि 'टोक्यो ओलंपिक में जिन एथलीटों ने हमें गौरवान्वित किया है, वे आज यहां हमारे बीच हैं। मैं राष्ट्र से आज उनकी उपलब्धि की सराहना करने का आग्रह करता हूं। उन्होंने न केवल हमारा दिल जीता है बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित किया है।'

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बता दें कि 15 अगस्त को 'आजादी का अमृत महोत्सव' में टोक्यो ओलंपिक में ट्रैक और फील्ड में भारत के पहला गोल्ड मेडल दिलाने वाले नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) समेत 32 ओलंपिक विजेताओं को बुलाया गया था। इसके साथ-साथ भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के दो अधिकारियों को भी रेड फोर्ट में 75 वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। उनके अलावा लाल किले के प्राचीर के सामने ज्ञान पथ की शोभा बढ़ाने के लिए लगभग 240 ओलंपियन, सहयोगी स्टाफ, साई और खेल महासंघ के अधिकारी भी शामिल थे।

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