बीएचयू विवाद; संस्कृत का प्रोफेसर है यह मुस्लिम युवक, दादा भजन गाते थे, पिता थे गो सेवक

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में फिरोज खान को संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्त किए जाने का विवाद थम नहीं रहा है। 

बनारस. बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में फिरोज खान को संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्त किए जाने का विवाद थम नहीं रहा है। प्रोफेसर फिरोज खान की नियुक्ति को लेकर छात्र लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जबकि, यूनिवर्सिटी साफ कर चुका है कि खान की नियुक्ति बीएचयू एक्ट, केंद्र सरकार और यूजीसी की गाइडलाइंस के तहत ही हुई है।

'मैं मुस्लिम हूं, मैं क्यों संस्कृत नहीं पढ़ा सकता'
नियुक्ति को लेकर जारी विरोध के बीच फिरोज खान बताते हैं कि उनके दादा गफूर खान राजस्थान में हिंदू समुदाय के लिए भजन गाते थे। उनके पिता रमजान खान भी अकसर संस्कृत पढ़ा करते थे। वे जयपुर के बागरु गांव में घर के पास बनी गोशाला में गायों की देखभाल करने के लिए लोगों से कहते थे। वे गो-संरक्षण को भी बढ़ावा देते हैं। 

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फिरोज खान कहते हैं,  ''हमें तब कोई दिक्कत नहीं थी।'' फिरोज खान को तक कोई समस्या का सामना नहीं करना पड़ा, जब तक बीएचयू में प्रोफेसर के तौर पर उनकी नियुक्ति नहीं हुई। खान की नियुक्ति के विरोध में छात्र उतर आए हैं। उनका मानना है कि मुस्लिम संस्कृत नहीं पढ़ा सकता। छात्र खान की नियुक्ति के खिलाफ 7 नवंबर से विरोध कर रहे हैं। छात्रों का कहना है कि यह मदन मोहन मालवीय नहीं चाहते थे। 

छात्रों की मांग- खान को किसी अन्य विभाग में ट्रांसफर किया जाए 
छात्र लगातार खान की नियुक्ति का विरोध कर रहे हैं। इससे पहले छात्रों के एक गुट ने वाइस चांसलर राकेश भटनागर से दो घंटे तक मुलाकात की। लेकिन इसमें भी कुछ खास नहीं निकल पाया। छात्र लगातार खान को किसी अन्य विभाग में ट्रांसफर करने की मांग कर रहे हैं। हालांकि, भटनागर ने छात्रों से कहा है कि वे इस मामले में कानूनी राय ले रहे हैं। 

यूनिवर्सिटी प्रोफेसर के समर्थन में
यूनिवर्सिटी ने अब तक खान का समर्थन किया है। यूनिवर्सिटी का कहना है कि बीएचयू धर्म और जाति, समुदाय, लिंग के भेदभाव को ना मानते हुए समान शैक्षिक और शिक्षण अवसरों के लिए प्रतिबद्ध है।

10 उम्मीदवार हुए थे शॉर्टलिस्ट
स्थानीय मीडिया के मुताबिक,  संस्कृत शिक्षक के लिए 10 उम्मीदवार शॉर्टलिस्ट हुए थे। अन्य उम्मीदवारों के टेस्ट में 0-2 नंबर थे तो खान का स्कोर 10-10 था। 

फिरोज खान ने बताया, "बचपन से, राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान में अपनी पढ़ाई पूरी करने तक, मैंने अपने धर्म की वजह से कभी किसी तरह के भेदभाव का सामना नहीं किया। लेकिन यह बहुत निराशाजनक है। छात्रों का एक समूह नहीं चाहता कि मैं संस्कृत पढ़ाऊं, क्यों कि मैं हिंदू नहीं हूं।'' 

सीएम गहलोत ने किया था सम्मानित
इसी साल 14 अगस्त को संस्कृत दिवस की पूर्व संध्या पर फिरोज खान को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 'संस्कृत युवा प्रतिभा सम्मान' से सम्मानित किया था। इस दौरान और भी संस्कृत विद्वानों सम्मानित हुए थे, लेकिन फिरोज एकमात्र मुस्लिम थे।

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