24 साल पहले चीन में बर्ड फ्लू से इंसानों की मौत हुई थी, अब भारत में बढ़ा खतरा, क्या इससे डरने की जरूरत है?

भारत में बर्ड फ्लू की पहली रिपोर्ट 19 फरवरी 2006 को महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले के नवापुर गांव से आई। ग्रामीणों ने गांव में कई पक्षियों की मौत की सूचना दी। महाराष्ट्र राज्य पशुपालन मंत्रालय के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर जांच की। लैब में जांच करने पर पता चला कि मुर्गी H5N1 वायरस से संक्रमित थी।

Vikas Kumar | Published : Jan 6, 2021 9:59 AM IST / Updated: Jan 06 2021, 03:44 PM IST

नई दिल्ली. कोरोना महामारी की चुनौती अभी खत्म भी नहीं हुई कि देश में बर्ड फ्लू के मामले सामने आने लगे हैं। हिमाचल प्रदेश की पोंग डैम झील में लगभग 1,800 प्रवासी पक्षी मृत पाए गए हैं। केरल में दो जिलों में फ्लू का पता चला है, जिससे बत्तखों को मारने का आदेश दिया गया है। राजस्थान में बर्ड फ्लू का अलर्ट है। यहां आधा दर्जन जिलों में 250 से अधिक कौवे मृत पाए गए। मध्य प्रदेश में कौवे और केरल में बत्तखों की मौत से बर्ड फ्लू की खबर तेजी से फैली। हरियाणा में भी कुछ दिनों में ही एक लाख मुर्गियों की रहस्यमय तरीके से मौत हो गई। ऐसे में समझना जरूरी हो जाता है कि आखिर ये बर्ड फ्लू क्या चीज है और इंसानों को इससे कितना खतरा है? 

एवियन इन्फ्लूएंजा या बर्ड फ्लू क्या है?
यह एक अत्यधिक संक्रामक वायरल बीमारी है जो इन्फ्लुएंजा यानी H5N1 वायरस के कारण होती है। ये आम तौर पर मुर्गियों और टर्की पक्षियों को प्रभावित करते हैं। वायरस के कई स्टेन हैं, उनमें से कुछ हल्के तो कुछ सिर्फ मुर्गियों को प्रभावित करते हैं। लेकिन कभी-कभी यह मानव सहित अन्य कई स्तनधारियों को भी संक्रमित कर सकता है। जब यह मानव को संक्रमित करता है तो इसे इन्फ्लूएंजा (श्लेष्मिक ज्वर) कहा जाता है।

बर्ड फ्लू कैसे फैलता है? 
जंगली जलीय पक्षी जैसे मुर्गियों, टर्की, बटेर, गिनी फाउल में यह वायरस सबसे ज्यादा मिलते हैं। संक्रमित पक्षी एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस को अपने लार, नाक और मल के जरिए बहा सकते हैं, जिससे अतिसंवेदनशील पक्षी संक्रमित हो जाते हैं। 

एवियन इन्फ्लूएंजा ए वायरस को दो भागों में बांट सकते हैं। कम रोगजनक एवियन इन्फ्लूएंजा (LPAI) ए वायरस और अत्यधिक रोगजनक एवियन इन्फ्लूएंजा (HPAI) ए वायरस। कम रोगजनक एवियन इन्फ्लूएंजा ए वायरस से जल्दी कोई बीमारी नहीं होती, लेकिन अत्यधिक रोगजनक एवियन इन्फ्लूएंजा ए वायरस घातक है और इससे गंभीर बीमारी हो सकती है। 

एचपीएआई और एलपीएआई दोनों वायरस मुर्गी के झुंड के जरिए तेजी से फैल सकते हैं। हालांकि, कुछ बतख बीमारी के किसी भी लक्षण के बिना भी संक्रमित हो सकती हैं। कभी-कभी, वायरस सूअरों, घोड़ों, बिल्लियों और कुत्तों में भी पाया जाता है। 

बर्ड फ्लू कब और कैसे इंसानों को संक्रमित करने लगा? 
पहली बार 1996 में चीन में गीज में इस वायरस (H5N1) का पता चला। जहां तक मनुष्यों में इस वायरस के होने का सवाल है तो अगले ही साल यानी 1997 में हांगकांग में एक मुर्गी के जरिए इंसान में इस वायरस के होने का पता चला। वायरस का नाम H5N1 स्ट्रेन था, जिससे 18 संक्रमित इंसानों में से 6 की बीमारी से मृत्यु हो गई। 

 

 

क्या यह मनुष्यों में आसानी से फैलता है? 
आमतौर पर संक्रमित जीवित या मृत पक्षियों के संपर्क में आने वाले लोग H5N1 बर्ड फ्लू से संक्रमित हो सकते हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। अभी तक इसके कोई सबूत नहीं मिले हैं। डब्लूएचओ का कहना है कि अच्छी तरह से तैयार और पके हुए भोजन के माध्यम से इसे फैलने से रोक सकते हैं। वायरस गर्मी के टिक नहीं पाते हैं और खाना पकाने के तापमान में मर जाता है। 

बर्ड फ्लू से फिर डर क्यों? 
कोई भी वायरल लगातार अपना दूसरा स्टेन तैयार करते हैं। उनमें से कुछ स्टेन पहले से कमजोर या घातक हो सकते हैं। ऐसे में अगर बर्ड फ्लू का वायरस कोई ऐसा स्टेन तैयार कर लेता है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में स्थानांतरित हो जाता है तो मानव कोशिकाओं को प्रभावित कर सकता है और एक महामारी का कारण बन सकता है। H5N1 से प्रभावित इंसानों में से 60% की मृत्यु हो जाती है।
 
भारत में 2006 में आया बर्ड फ्लू का पहला केस 
भारत में इंसानों के अंदर बर्ड फ्लू का अभी तक कोई केस नहीं आया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अब तक इंसानों में बर्ड फ्लू के किसी भी मामले का पता नहीं चला है। भारत में बर्ड फ्लू की पहली रिपोर्ट 19 फरवरी 2006 को महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले के नवापुर गांव से आई। ग्रामीणों ने गांव में कई पक्षियों की मौत की सूचना दी। महाराष्ट्र राज्य पशुपालन मंत्रालय के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर जांच की। लैब में जांच करने पर पता चला कि मुर्गी H5N1 वायरस से संक्रमित थी।

 

 

बर्ड फ्लू के खिलाफ सरकार ने क्या तैयारी की?
वायरस का पता चलने के बाद 253,000 मुर्गियों और 587,000 अंडों को पांच दिनों के अंदर ही खत्म कर दिया गया। जांच के लिए 150 इंसानों के ब्लड लिए गए और उन्हें पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भेजा गया। सावधानी रखने के ट्रेनों को नवापुर में रोकने से मना कर दिया गया। महाराष्ट्र की सीमा से लगे राज्यों की सरकारों ने मुर्गी पालन के आयात पर रोक लगा दी। कुछ अन्य राज्य सरकारों जैसे कि तमिलनाडु और जम्मू-कश्मीर ने भी आयात पर रोक लग गई। भारत सरकार ने सिप्ला जैसी दवा कंपनियों को फ्लू को खत्म करने के लिए दवा बनाने के लिए कहा। सरकार ने टैमीफ्लू का स्टॉक करना भी शुरू कर दिया। 

 

 

बर्ड फ्लू: इसके लक्षण और उपचार क्या हैं? 
बर्ड फ्लू के वायरस पक्षियों में सीधे आंत को संक्रमित करते हैं, लेकिन इंसानों में ऐसा नहीं है। इंसानों में ये वायरस सांस नली पर हमला करते हैं, जिससे सांस लेने से जुड़ी बीमारियां जैसे निमोनिया या एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) हो सकती हैं। इसके शुरुआती लक्षणों में बुखार, खांसी, गले में खराश और कभी-कभी पेट दर्द और दस्त शामिल हैं।

 

 

मंत्रालय ने पोल्ट्री के साथ काम करने वाले लोगों को पीपीई का उपयोग करने और हाथ की स्वच्छता का ध्यान रखने और काम करते वक्त ग्लब्स पहनने की सलाह दी। अमेरिका में एफडीए (Food and Drug Administration) ने साल 2007 में H5N1 वायरस के लिए एक वैक्सीन को मंजूरी दे दी। 
 

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