'वह 3 साल का छोटा बच्चा याद, जो 1983 में अपनी मां की उंगली पकड़कर...' पीलीभीत से टिकट न मिलने के बाद वरुण गांधी ने लिखा इमोशनल पोस्ट

भारतीय जनता पार्टी (BJP ) के सांसद (सांसद) वरुण गांधी ने 28 मार्च को पीलीभीत के लोगों के लिए एक हार्दिक नोट जारी किया।

sourav kumar | Published : Mar 28, 2024 6:24 AM IST / Updated: Mar 28 2024, 12:21 PM IST

वरुण गांधी ने लिखा पत्र। भारतीय जनता पार्टी (BJP ) के सांसद (सांसद) वरुण गांधी ने 28 मार्च को पीलीभीत के लोगों के लिए एक हार्दिक नोट जारी किया। 25 मार्च को जारी पार्टी की पांचवीं उम्मीदवारों की सूची में वरुण को भाजपा ने हटा दिया गया और उनकी जगह पूर्व कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद को उत्तर प्रदेश की पीलीभीत सीट से चुनाव लड़ने का मौका दिया गया। इसके बाद (सांसद) वरुण गांधी ने एक्स पर एक भावुक पोस्ट में लिखा, “आज जब मैं यह पत्र लिख रहा हूं तो अनगिनत यादों ने मुझे भावुक कर दिया है। मुझे वह 3 साल का छोटा बच्चा याद है, जो 1983 में अपनी मां की उंगली पकड़कर पहली बार पीलीभीत आया था, उसे क्या पता था कि एक दिन यह धरती उसकी कर्मभूमि बन जाएगी और यहां के लोग उसका परिवार बन जाएंगे।''

बता दें कि उत्तर प्रदेश की पीलीभीत सीट से वरुण गांधी ने दो बार जीत हासिल की थी। हालांकि, इस बार बीजेपी ने आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में वरुण गांधी को पीलीभीत सीट से टिकट नहीं दिया। माना ये जा रहा है कि वरुण गांधी ने हाल के समय में सरकार की नीतियों पर ही सवाल खड़े कर दिए थे, जिसकी वजह से उनका पत्ता कट गया। वहीं पीलीभीत में आगामी 19 अप्रैल को पहले चरण में चुनाव होने वाले हैं, जिसका उम्मीदवारों द्वारा नामांकन दाखिल करने का काम 27 मार्च को बंद हो गया। हालांकि, उसे पहले वरुण गांधी का पीलीभीत के लोगों के लिए लेटर इमोशनल कर देने वाला है।

 

 

पीलीभीत की महान जनता की सेवा करने का मौका मिला-वरुण गांधी

वरुण गांधी ने प्रणाम पत्र में लिखा कि मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे वर्षों पीलीभीत की महान जनता की सेवा करने का मौका मिला। महज एक सांसद के तौर पर ही नहीं, बल्कि एक व्यक्ति के तौर पर भी मेरी परवरिश और मेरे विकास में पीलीभीत से मिले आदर्श, सरलता और सहृदयता का बहुत बड़ा योगदान है। आपका प्रतिनिधि होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है और मैंने हमेशा अपनी पूरी क्षमता से आपके हिर्ता के लिए आवाज उठाई।

एक सांसद के तौर पर मेरा कार्यकाल भले समाप्त हो रहा हो, पर पीलीभीत से मेरा रिश्ता अंतिम सांस तक खत्म नहीं हो सकता। सांसद के रूप में नहीं, तो बेटे के तौर पर सही, मैं आजीवन आपकी सेवा के लिए प्रतिबद्ध हूं और मेरे दरवाजे आपके लिए हमेशा पहले जैसे ही खुले रहेंगे। मैं राजनीति में आम आदमी की आवाज उठाने आया था और आज आपसे यही आशीर्वाद मांगता हूं कि सदैव यह कार्य करता रहूं, भले ही उसकी कोई भी कीमत चुकानी पड़े। मेरा और पीलीभीत का रिश्ता प्रेम और विश्वास का है, जो किसी राजनीतिक गुणा- भाग से बहुत ऊपर है। मैं आपका था, हूं और रहूंगा।

 

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