विपक्ष चाहता है कि CBI पिंजरे में बंद तोता ही रहे, इसीलिए डायरेक्टर का कार्यकाल बढ़ाने का कर रहा विरोध : भाजपा

मोदी सरकार (Modi Government) सीबीआई डायरेक्टर (CBI Director) का कार्यकाल एक बार में एक वर्ष बढ़ाने और 5 वर्ष की अवधि तक बढ़ाने का प्रावधान करने वाला विधेयक लाई है। अब तक इनके कार्यकाल की सीमा दो वर्ष थी। इसका विपक्ष विरोध कर रहा है। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 14, 2021 11:48 AM IST / Updated: Dec 14 2021, 05:26 PM IST

नई दिल्ली। राज्यसभा में मंगलवार को विपक्ष के वॉकआउट के बीच सीवीसी (CVC) और सीबाआई (CBI) के डायरेक्टरों के कार्यकाल को दो साल से 5 साल तक क्रमबद्ध ढंग से बढ़ाने की छूट देने वाले विधेयकों को पारित कर दिया गया। इसके साथ इन दोनों विधेयकों पर संसद की मुहर लग गई। लोकसभा इन दोनों को पहले ही पारित कर चुकी है। राज्यसभा में दोनों केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) विधेयक 2021 और दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (संशोधन) विधेयक 2021 पर लगभग तीन घंटे तक चली अलग अलग चर्चा का जवाब देते हुए कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि इन दोनों कानूनों से जांच एजेंसियों की प्रभावशीलता में वृद्धि होगी और इनमें स्थायित्व आयेगा। 

अन्य देशों में 5 से 10 साल है कार्यकाल
राज्य मंत्री जितेंद्र सिह ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करने की अपनी नीति पर कायम है और उसने अब तक इस दिशा में ऐसे कदम उठाए हैं जिससे उसकी नीति स्पष्ट होती है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दुनिया भर की मशहूर जांच एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों के कार्यकाल की सीमा दो वर्ष नहीं है। सीबीआई के डायरेक्टर का चयन प्रधानमंत्री, भारत के चीफ जस्टिस (CJI) और लोकसभा में विपक्ष के नेता की एक समिति की सिफारिश के आधार पर होता है। इस दौरान कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने 12 सदस्यों को निलंबित करने का मुद्दा उठाते हुए वॉकआउट किया, जिससे विपक्ष की अनुपस्थिति में ही दोनों विधेयकों पर चर्चा की गई।  BJP के डीपी वत्स ने कहा कि भ्रष्टाचार देश की एक प्रमुख समस्या है और इस विधेयक के प्रावधानों से इस समस्या पर काबू पाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन सहित कई देशों की प्रमुख जांच एजेंसियों के निदेशकों का औसत कार्यकाल पांच से 10 साल का होता है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने CBI के बारे में कहा था कि यह ‘पिंजरे में बंद तोता' है और यह विधेयक उसे मुक्त कराने की दिशा में एक प्रयास है। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष अब भी चाहता है कि तोता पिंजरे में ही बंद रहे।  

विपक्षी कर रहे विरोध 
इस विधेयक का विभिन्न पार्टियों के सदस्यों ने समर्थन किया। भाजपा सदस्यों ने कहा कि इससे सीबीआई के कामकाज में स्थिरता आएगी और भ्रष्टाचार पर काबू पाने में मदद मिलेगी। हालांकि, कुछ विपक्षी सदस्यों ने कहा कि देश भर के लोगों में एजेंसी के प्रति काफी भरोसा है और उसे कायम रखा जाना चाहिए। कुछ सदस्यों ने कई मामलों की जांच में काफी देरी होने पर चिंता जताई और जवाबदेही तय करने की मांग की। लोकसभा में भी इस विधेयक को लेकर विपक्षी सदस्य सवाल उठा चुके हैं। उनका कहना है कि मोदी सरकार मनपसंद अफसर को रखने और मर्जी का काम कराने के लिए ये विधेयक लाई है। 

यह भी पढ़ें
POLITICS : ममता की मौजूदगी में गोवा के कई कांग्रेस नेता TMC में शामिल, पवार की NCP में भी लगाई सेंध
आम लोगों को लगा दोहरा झटका, 30 साल की ऊंचाई पर पहुंचा Wholesale Inflation

Share this article
click me!