सार

मंगलवार को थोक महंगाई (Wholesale Inflation) के आंकड़ें सामने आ गए हैं। जोकि 1991 के बाद सबबसे ज्‍यादा ज्‍यादा है। इसका मतलब है कि देश में नवंबर के महीने में थोक महंगाई 30 साल के उच्‍चतम स्‍तर पर पहुंच गई हैं।

 

बिजनेस डेस्‍क। महंगाई के मोर्चे पर आम लोगों को राहत नहीं मिल रही है। नवंबर के महीने में महंगाई ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। सोमवार को खुदरा महंगाई (Retail Inflation) के आंकड़ें आने के बाद मंगलवार को थोक महंगाई (Wholesale Inflation) के आंकड़ें सामने आ गए हैं। जोकि 1991 के बाद सबबसे ज्‍यादा ज्‍यादा है। इसका मतलब है कि देश में नवंबर के महीने में थोक महंगाई 30 साल के उच्‍चतम स्‍तर पर पहुंच गई हैं। सरकार की ओर से इसके आंकड़ें जारी किए हैं।

30 साल की हाई पर थोक महंगाई  
ब्लूमबर्ग के अनुसार, सामान की कीमत ज्‍यादा होने और सप्‍लाई कम होने के कारण इनपुट लागत पर भारत की थोक महंगाई तीन दशकों में सबसे तेज गति से बढ़ी है। वाणिज्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार नवंबर में थोक कीमतों में 14.2 फीसदी की वृद्धि हुई। यह 19 अर्थशास्त्रियों के ब्लूमबर्ग सर्वेक्षण में लगभग 12 फीसदी के औसत अनुमान से ज्‍यादा देखने को मिल रहा है। दिसंबर 1991 में थोक महंगाई 14.3 फीसदी देखने को मिली थी।

क्‍यों बढ़ी महंगाई
अप्रैल में शुरू हुए इस वित्तीय वर्ष में फैक्ट्री-गेट मुद्रास्फीति दोहरे अंकों में रही है क्योंकि वैश्विक कमोडिटी कीमतों में तेजी और आपूर्ति की कमी के बीच कंपनियां कच्चे माल के लिए अधिक भुगतान करती हैं। खाद्य पदार्थों की कीमतों में 4.9 फीसदी, फ्यूल और बिजली की कीमतों में 39.8 फीसदी और मैन्‍युफैक्‍चर्ड प्रोडक्‍ट्स की कीमतों में 11.9 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली।

बड़ा झटका है
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस की भारतीय इकाई, आईसीआरए लिमिटेड की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा य‍ह तेजी एक झटके के रूप में आई है। अधिकांश नॉन-कोर कैटेगिरीज ने "महंगाई दर जो अपेक्षा से बहुत तेज थी" प्रदर्शित की। बार्कलेज ने एक नोट में कहा कि थोक स्तर पर बढ़ी हुई कीमतों को खुदरा उपभोक्ताओं पर धकेला जा सकता है। आने वाले महीनों में हमारे पूर्वानुमान सीपीआई में और तेजी देखने को मिल सकती है।

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बार्कलेज का क्‍या कहना है
बार्कलेज के अनुसार थोक महंगाई में यह रिकॉर्ड वृद्धि हरी सब्जियों, मिनरल्‍स और पेट्रोलियम प्रोडक्‍ट्स की कीमतों में तेजी के कारण हुई। हेडलाइन और कोर इन्फ्लेशन दोनों ही नवंबर में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए। विनिर्माण कीमतों में साल दर साल आधार पर 11.9 फीसदी की तेजी देखने को मिली है। जबकि फ्यूल और पॉवर में महंगाई साल दर साल के आधार पर 39.8 फीसदी पर रही।

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रिटेल महंगाई में भी हुआ इजाफा
सोमवार को अलग से जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि खाद्य और वस्तुओं की बढ़ती लागत के बीच नवंबर में खुदरा महंगाई 5 फीसदी के करीब पहुंच गई। अर्थव्यवस्था का समर्थन करने के लिए लंबे समय तक उधार लेने की लागत को कम रखने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के मामले में निरंतर वृद्धि से खतरा हो सकता है। आरबीआई ने पिछले हफ्ते रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में लगातार 9वीं बार बदलाव नहीं किया।