1860 में आया था इनकम टैक्स का पहला कानून, पहले सालाना छूट 200 रु थी, 160 साल में 2.5 लाख पहुंची

भारत में पहला बजट ईस्ट इंडिया कंपनी के जेम्स विल्सन ने 18 फरवरी 1860 को पेश किया था। जेम्स विल्सन को भारतीय बजट व्यवस्था का जनक भी कहते हैं। इसी बजट में इनकम टैक्स कानून को जोड़ा गया था। इसके तहत 200 रुपए तक की सालाना कमाई वालों को इनकम टैक्स में छूट दी गई थी। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 1, 2021 4:01 AM IST / Updated: Feb 01 2021, 09:54 AM IST

नई दिल्ली. भारत में पहला बजट ईस्ट इंडिया कंपनी के जेम्स विल्सन ने 18 फरवरी 1860 को पेश किया था। जेम्स विल्सन को भारतीय बजट व्यवस्था का जनक भी कहते हैं। इसी बजट में इनकम टैक्स कानून को जोड़ा गया था। इसके तहत 200 रुपए तक की सालाना कमाई वालों को इनकम टैक्स में छूट दी गई थी। अब अगर हम 160 साल बाद यानी 2020 तक देखें तो टैक्स में छूट बढ़कर 2.5 लाख पहुंच गई। इस साल इसके 3 लाख होने की भी संभावना है। भारत में 1961 का आयकर कानून लागू है। इसमें समय-समय पर संशोधन होते रहते हैं।
 
सुरक्षाबलों और पुलिसकर्मियों पर नहीं लगता था टैक्स
देश में पहले बजट में 200 रुपए से 500 रुपए तक की सालाना आय वालों पर टैक्स का प्रावधान था। 200 रुपए सालाना से ज्यादा कमाने वालों पर 2% और 500 रुपए से ज्यादा कमाने वालों पर 4% टैक्स लगता था। हालांकि, सेना, नौसेना और पुलिस कर्मचारियों को छूट दी गई थी। विल्सन का ये कानून ब्रिटेन के इनकम टैक्स कानून की तरह ही था। उस समय इसका काफी विरोध भी हुआ था। 

क्यों लगाया गया था टैक्स 
1857 में भारत में  ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ भारतीय सैनिकों ने बगावत की थी। इसके बाद देशभर में आंदोलन शुरू हो गया था। इससे निपटने के लिए अंग्रेजों ने अपनी सेना पर खर्च बढ़ा दिया। 

इस क्रांति की वजह से 1859 में इंग्लैंड का कर्ज 8 करोड़ 10 लाख पाउंड पहुंच गया। इससे निपटने के लिए जेम्स विल्सन 1859 में भारत भेजे गए। विल्सन ब्रिटेन के चार्टर्ड स्टैंडर्ड बैंक के संस्थापक और अर्थशास्त्री थे। उन्होंने 18 फरवरी 1860 को भारत का पहला बजट पेश किया। उन्होंने तीन टैक्स का प्रस्ताव दिया। पहला- इनकम टैक्स, दूसरा लाइसेंस टैक्स और तीसरा- तंबाकू टैक्स। 

नया इनकम टैक्स कानून और कुछ अहम साल
- 1922 में भारत में नया इनकम टैक्स कानून आया। इसके बाद आयकर विभाग का गठन किया गया है। 
- 1963 में राजस्व अधिनियम केंद्रीय बोर्ड कानून आया, जिसके तहत केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) का गठन किया गया। इससे पहले तक आयकर विभाग के पास संपत्ति कर, सामान्य कर, प्रवर्तन निदेशालय जैसे प्रशासनिक काम थे।
- 1972 में टैक्स वसूली के लिए नई विंग बनाई गई और कमिश्नर नियुक्त किए गए। इससे पहले टैक्स की बकाया राशि वसूल करने का अधिकार विभाग के राज्य प्राधिकारियों के पास था।
 
कैसे बढ़ती चली गई छूट

1949-50: आजाद भारत में पहली बार टैक्स स्लैब्स में बदलाव हुआ
साल था 1949-50। देश के पहले वित्त मंत्री जॉन मथाई ने आजाद भारत का पहला बजट पेश किया। इस दौरान उन्होंने टैक्स स्लैब में बदलाव किया।   10 हजार रुपए तक की आय पर एक चौथाई आना टैक्स कम किया गया।

1974-75: 70 हजार रु से ज्यादा आय पर लगा टैक्स
वायबी चव्हाण ने बजट पेश किया। 6,000 रुपए तक की आय पर कोई टैक्स नहीं था। 70 हजार रुपए से ज्यादा सालाना आय पर 70% टैक्स रखा गया था। सरचार्ज को मिलाकर कुल टैक्स 77% होता था।

1984-85: स्लैब्स कम हुईं
विश्वनाथ प्रताप सिंह के वित्त मंत्री रहते स्लैब्स को 8 से घटाकर 4 किया गया।  आय पर टैक्स को 61.87% से घटाकर 50% तक लाए। 18,000 रुपए की सालाना कमाई टैक्स फ्री थी। 25 हजार तक 25%, 25000 से 50000 तक 30%,  और 50 हजार से 1 लाख तक की आय पर 40% और इससे ऊपर 50% टैक्स का प्रावधान किया गया। 

1992-93: 30 हजार तक नहीं लगता था टैक्स
मनमोहन सिंह के वित्त मंत्री रहते टैक्स स्लैब 3 रह गईं। अब 30,000 से 50,000 रुपए सालाना कमाई पर 20% टैक्स लगता था। 50 हजार से 1 लाख तक 30% और एक लाख रु से ज्यादा पर 40% टैक्स लगता था।

1994-95 में सिंह ने फिर टैक्स में बदलाव किया। अब 35000 तक कोई टैक्स नहीं लगता था। इसके ऊपर 60,000 रु तक 20% टैक्स, 60,000 रुपए से 1.2 लाख रुपए तक 30% और 1.20 लाख से ज्यादा कमाई पर 40% टैक्स लगने लगा।

1997-98: टैक्स रेट कम हुए
पी चिदंबरम ने 1997-98 में बजच पेश किया। इसमें टैक्स रेट को 15, 30 और 40% से घटाकर 10, 20 और 30% किया गया। पहली स्लैब 40,000 से 60,000 रुपए के बीच थी। दूसरी स्लैब में 60,000 से 1.5 लाख और तीसरी स्लैब 1.5 लाख रुपए से ऊपर की। 

2005-06: में एक लाख रुपए तक की आय टैक्स-फ्री हुई। 1 लाख से 1.5 लाख रुपए तक 10%, 1.5 लाख से 2.5 लाख तक 20% और 2.5 लाख रुपए से ज्यादा कमाई पर 30% टैक्स लगाया गया।
 
2010-11 में प्रणब मुखर्जी ने वित्त मंत्री रहते 1.6 लाख रुपए तक की आय टैक्स-फ्री करने का ऐलान किया। इसके अलावा  1.6 लाख से 5 लाख तक 10%, 5 लाख से 8 लाख की आय 20% और 8 लाख से ज्यादा की आय पर 30% टैक्स लगाया गया।

मुखर्जी ने 2012-13 में 2 लाख रुपए तक की आय टैक्स फ्री की। 2 लाख से 5 लाख की आय पर 10%, 5 लाख से 10 लाख रुपए की कमाई पर 20% और 10 लाख से ज्यादा की कमाई पर 30% टैक्स लगाया गया।
 
2014-15: 2.5 लाख रुपए की आय टैक्स फ्री हुई
अरुण जेटली ने 2.5 लाख तक की आय टैक्स फ्री करने का ऐलान किया। 2.5 लाख से 5 लाख रुपए की आय पर टैक्स 10% से घटाकर 5% किया। 

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