CAG की जांच में बड़ा खुलासा, मरने के बाद भी 2103 लाभार्थियों को मिलता रहा पेंशन, जानें सरकारी खजाने को हुआ कितना नुकसान

CAG (Comptroller and Auditor General) की जांच में पता चला है कि NSAP के तहत ऐसे 2,103 लाभार्थियों को पेशन दिया गया, जिनकी मौत हो चुकी है। इससे सरकार को दो करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।

 

नई दिल्ली। CAG (Comptroller and Auditor General) ने अपनी जांच में पता लगाया है कि गरीबों और असहायों को केंद्र सरकार द्वारा दिए जाने वाले पेंशन में गड़बड़ी हुई है। मरने के बाद भी 2,103 लाभार्थियों को पेशन दिया गया। इससे सरकार खजाने को करीब दो करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।

केंद्र सरकार गरीबी रेखा से नीचे आने वाले बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यांगों को NSAP (National Social Assistance Programme) के तहत पेंशन देती है। CAG ने इसके लाभार्थियों की जांच की तो पता चला कि 26 राज्यों में सरकारों ने लगभग 2,103 लाभार्थियों को उनकी मौत के बाद भी 2 करोड़ रुपए की पेंशन देना जारी रखा। इस जांच में 2017 से 2021 तक दिए गए पेंशन को कवर किया गया था।

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NSAP की गाइडलाइन्स के अनुसार जिस व्यक्ति को पेंशन मिलता है अगर उसकी मौत हो जाती है तो तो उसे पेंशन देना बंद कर दिया जाता है। अगर पेंशन पाने वाला गरीबी रेखा से ऊपर उठ जाता है तब भी उसकी पेशन बंद कर दी जाती है। CAG की रिपोर्ट में बताया गया है कि लाभार्थियों के मरने के बाद भी पेंशन का भुगतान राज्यों की गलती से हुआ। विभिन्न राज्यों में स्थानीय अधिकारी लाभार्थियों की मौत की तुरंत रिपोर्ट नहीं कर सके। इसके चलते सरकारी फाइलों में वह जिंदा रहा और उसे पेंशन भी दे दिया गया।

पश्चिम बंगाल में हुई सबसे अधिक गड़बड़ी
CAG ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि सबसे अधिक गड़बड़ी पश्चिम बंगाल में हुई। यहां 453 लाभार्थियों को मरने के बाद भी 83.27 लाख रुपए का पेंशन दिया गया। इसके बाद गुजरात है। यहां 413 लाभार्थियों को 11.83 लाख रुपए दिए गए। तीसरे नंबर पर त्रिपुरा है। यहां 250 लाभार्थियों को मौत के बाद भी 1.83 लाख रुपए पेंशन जारी किया गया। दूसरी ओर मणिपुर, मिजोरम और पुदुचेरी ऐसे राज्य हैं जहां सबसे कम गड़बड़ी हुई।

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CAG की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 13 राज्यों ने NSAP गाइडलाइन्स की तुलना में कम दर पर 2.4 लाख से अधिक लाभार्थियों को पेंशन दिया। इससे 42.85 करोड़ रुपए कम पेंशन दिए गए। वहीं, त्रिपुरा, मणिपुर, मिजोरम और जम्मू और कश्मीर ने लाभार्थियों को स्थापित सीमा से अधिक पेंशन दिया।

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