कोविड मौतों का कम आंकड़ा पेश करने पर ममता सरकार को हाईकोर्ट की फटकार, डेली वैक्सीनेशन की क्षमता भी पूछा

याचिकाओं में अदालत के समक्ष कई मुद्दों को उठाया गया था जिसमें राज्य में बड़े पैमाने पर कोविड-19 बीमा योजनाओं के लिए जागरूकता, राज्य सरकार द्वारा कोविड -19 रोगियों के लिए विभिन्न सेवाओं का लाभ उठाने के लिए निर्धारित दरें और मुआवजे के भुगतान की कमी शामिल हैं। 
 

Asianet News Hindi | Published : Aug 12, 2021 12:25 PM IST

कोलकाता। कोलकाता हाईकोर्ट (Kolkata High Court) ने कोविड (Covid-19) के मामलों की सुनवाई करते हुए मौतों का आंकड़ा कम बताने पर राज्य सरकार की खिंचाई की है। हाईकोर्ट कोविड-19 से संबंधित कई याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई कर रहा था।

कोर्ट ने राज्य सरकार (West Bengal Government) द्वारा पेश किए गए 180 मौतों के आंकड़ों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि 180 मौतें एक कम संख्या है और वास्तव में यह सही आंकड़ा नहीं हो सकता क्योंकि मौतें निश्चित रूप से बहुत अधिक थीं।

कोर्ट ने पूछा-वैक्सीनेशन की प्रतिदिन की अधिकतम क्षमता कितनी

कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को राज्य के लिए प्रतिदिन कोविड-19 टीकाकरण (Vaccination) की अधिकतम क्षमता का पता लगाने का निर्देश दिया। अदालत ने आगे राज्य को निर्देश दिया कि वह अदालत को यह बताए कि उसके पास दैनिक आधार पर टीकाकरण के लिए कितना बुनियादी ढांचा है।

इन मुद्दों पर कोर्ट कर रहा था सुनवाई

याचिकाओं में अदालत के समक्ष कई मुद्दों को उठाया गया था जिसमें राज्य में बड़े पैमाने पर कोविड-19 बीमा योजनाओं के लिए जागरूकता, राज्य सरकार द्वारा कोविड -19 रोगियों के लिए विभिन्न सेवाओं का लाभ उठाने के लिए निर्धारित दरें और मुआवजे के भुगतान की कमी शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से कहा कि जागरूकता के अभाव में लोगों से अधिक शुल्क लिया जा रहा है।

सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता ने बताया कि राज्य की कोविड-19 योजना फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के लिए लागू है। उन्होंने कहा, मृत्यु की स्थिति में परिवार को 10 लाख रुपये की राशि का भुगतान किया जाता है, जबकि संक्रमित होने की स्थिति में 1 लाख रुपये का भुगतान किया जाता है।

बेंच ने कहा कि कोविड 19 रोगियों के लिए विभिन्न सेवाओं का लाभ उठाने के लिए सरकार द्वारा निर्धारित दरों को भी आम जनता की जागरूकता के लिए प्रकाशित किया जाना चाहिए। इसके अलावा उन स्थानों पर जहां आम तौर पर कोविड 19 टीकाकरण अभियान के लिए शिविर आयोजित किए जाते हैं, उस क्षेत्र के निवासियों को सरकार से अवगत कराया जाना चाहिए।

केंद्र और राज्य आईसीएमआर से डेटा अपलोड कराए

कोर्ट ने Covid19 टीकों की प्रभावशीलता के संबंध में डेटा के संग्रह के बारे में भी पूछताछ की। पीठ ने कहा कि हमने देखा है कि यह बताया जा रहा है कि टीके की दोनों खुराक लेने के बाद कई लोग संक्रमित हो रहे हैं। यह देखते हुए कि यह मुद्दा अखिल भारतीय है, कोर्ट ने सुझाव दिया कि दोनों सरकारों (केंद्र और राज्य) को आईसीएमआर (ICMR) पोर्टल के बारे में जनता को अवगत कराना चाहिए जो वैक्सीन प्राप्त करने के बाद संक्रमित होने वाले डेटा सहित संक्रमण डेटा एकत्र करता है और कुछ अधिकृत लोगों को अपलोड करना चाहिए। डेटा गलत डेटा अपलोडिंग की संभावना को कम करता है।

विकलांगों को वैक्सीनेशन केंद्र जाने में परेशानी न हो

यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वहां (टीकाकरण अभियान क्षेत्र में) विकलांग व्यक्तियों तक पहुंच के लिए उचित सुविधाएं हैं ताकि उन्हें किसी भी कठिनाई का सामना न करना पड़े। कोर्ट ने आगे आदेश दिया कि मनोरोगी केंद्रों या किसी भी जगह जहां विकलांग व्यक्ति रह रहे हैं, के कैदियों को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीनेशन किया जाना चाहिए।

कोर्ट ने पूछा-ट्रांसजेंडर्स के लिए क्या है व्यवस्था

न्यायालय ने पूछा कि क्या राज्यों ने तीसरे लिंग के लिए कुछ भी किया है, यह कहते हुए कि आमतौर पर, वे समूहों में रहते हैं। इस पर राज्य अटार्नी जनरल ने जवाब दिया कि अब तक 8210 ट्रांसजेंडरों (transgenders) को टीका लगाया गया है।

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