सार
ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री बने रहने के लिए 5 नवम्बर तक विधायक होना होगा। ऐसे में कहीं न कहीं से उनको उप चुनाव लड़ना होगा। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि उप चुनाव कराने का सारा दारोमदार चुनाव आयोग के पास है।
नई दिल्ली। पूरे देश में एंटी-मोदी गठबंधन के लिए विपक्ष को एकजुट करने में जुटी ममता बनर्जी खुद पश्चिम बंगाल में फंसती दिख रही हैं। प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने और मुख्यमंत्री बनने वाली ममता बनर्जी को इस्तीफा भी देना पड़ सकता है।
दरअसल, ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की तीसरी बार मुख्यमंत्री बनी हैं। लेकिन वह इस बार पहली बार विधानसभा चुनाव हार गई हैं। नंदीग्राम विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ी ममता बनर्जी को उनके पुराने सहयोगी और वर्तमान में बीजेपी के विधायक दल के नेता शुभेंदु अधिकारी ने हराया था।
चूंकि, ममता बनर्जी मुख्यमंत्री तो बन गई हैं लेकिन वह विधानसभा की सदस्य नहीं है। क्योंकि राज्य में विधान परिषद है नहीं इसलिए वह विधान परिषद सदस्य बनकर भी सदन में नहीं पहुंच सकती हैं।
नियमों पर अगर गौर किया जाए तो उनको मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के छह महीने के भीतर विधायक होना अनिवार्य है। अगर वह विधायक नहीं चुनी जाती तो इस्तीफा देना पड़ सकता है।
85 दिन बचे लेकिन चुनाव आयोग ने साधी चुप्पी
ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री बने रहने के लिए 5 नवम्बर तक विधायक होना होगा। ऐसे में कहीं न कहीं से उनको उप चुनाव लड़ना होगा। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि उप चुनाव कराने का सारा दारोमदार चुनाव आयोग के पास है। ऐसे में चुनाव आयोग यह तय करेगा कि कब चुनाव होंगे। अगर महामारी या किन्हीं अन्य वजहों को बताते हुए चुनाव आयोग ने 5 नवम्बर के पहले उप चुनाव नहीं कराए तो ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं जिसका इंतजार बीजेपी कर रही है।
ममता बनर्जी की परम्परागत सीट को किया जा चुका है खाली
ममता बनर्जी विधानसभा में भवानीपुर सीट से जीतकर पहुंचती रही हैं। इस बार इस सीट पर टीएमसी के नेता शोभनदेव चट्टोपाध्याय ने जीत हासिल की थी। हालांकि, सरकार बनने के बाद ही शोभनदेव चट्टोपाध्याय ने अपना इस्तीफा देकर यह सीट ममता बनर्जी के लिए छोड़ दी थी। ममता बनर्जी 2011 से इस सीट पर दो बार विधायक बन चुकी हैं।
यह सीटें हैं पश्चिम बंगाल की खाली
भवानीपुर के अलावा दिनहाटा, सांतिपुर, समसेरगंज, खारदाह और जांगीपुर विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव होना है। लेकिन उपचुनाव की तारीख को लेकर चुनाव आयोग चुप्पी साधे हुए है जबकि टीएमसी लगातार उप चुनाव कराने की मांग कर रही है।
साढ़े तीन दशकों में पहली बार मिली ममता बनर्जी को हार
बीते विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने अपने पूर्व सहयोगी शुभेंदु अधिकारी के पाला बदलने के बाद, चुनौती देते हुए नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। वह नंदीग्राम से चुनाव लड़ी लेकिन कांटे की टक्कर में वह करीब दो हजार वोटों से चुनाव हार गईं। 32 साल के राजनीतिक कार्यकाल में ममता बनर्जी को पहली बार हार का सामना करना पड़ा था।
हालांकि, इस परिणाम को चुनौती देते हुए ममता बनर्जी ने हाई कोर्ट का रुख किया था। इसके बाद अदालत ने बीजेपी और शुभेंदु अधिकारी को 14 जुलाई को नोेटिस जारी किया था। यही नहीं आखिरी सुनवाई के दौरान ममता बनर्जी भी ऑनलाइन मौजूद थीं। हाई कोर्ट बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को इलेक्शन से जुड़े सभी रिकॉर्ड्स और दस्तावेजों को सुरक्षित रखे को कहा था।
लेकिन अब कोर्ट करेगा 15 नवम्बर को सुनवाई
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम सीट के परिणाम को लेकर हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई को टाल दिया गया है। हाई कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले की सुनवाई 15 नवंबर तक टाल दी है।